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हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की खंडपीठ ने ग्रुप कैप्टन चौधरी की याचिका पर सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया। जिसमें एयरफोर्स अधिकारियों पर 20 मार्च के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। इस मामले की सुनवाई सोमवार को हाई कोर्ट ने की। ग्रुप कैप्टन चौधरी के वकील कैप्टन संदीप बंसल ने दायर याचिका के जरिए कहा कि 20 मार्च के आदेश के माध्यम से हाई कोर्ट ने अधिकारियों को सभी औपचारिकताओं को पूरा करने और विवेचना की अनुमति दी थी। लेकिन वर्तमान याचिका के निस्तारण तक इंतजार नहीं किया गया। इसके साथ ही हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए जनरल कोर्ट मार्शल ने ग्रुप कैप्टन चौधरी को दोषी ठहराने के बाद बर्खास्तगी का आदेश भी दे दिया।
सिर्फ एक ही परीक्षण में कैसे कर दिया बर्खास्त
कैप्टन बंसल ने कहा कि जीसीएम की अध्यक्षता करने वाले अधिकारी ने हाई कोर्ट के समक्ष चौधरी के खिलाफ एक याचिकाकर्ता पक्ष है। और यह बात किसी तरीके से समझ नहीं आती है कि वह एक परीक्षण में किसी नतीजे पर कैसे पहुंच सकता है? हाईकोर्ट को बताया गया कि ग्रुप कैप्टन चौधरी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण, चंडीगढ़ के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। जिसमें विभिन्न राहतों का दावा किया गया था। उस चरण में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के संयोजन आदेश की आपूर्ति भी शामिल थी।
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एएफटी ने जीसीएम की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इस पर केंद्र सरकार ने उक्त आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद हाई कोर्ट ने 5 जुलाई, 2022 के अंतरिम आदेश के तहत उसे जीसीएम की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा। फिर से अपने 20 मार्च के आदेश में HC ने GCM को अपने निष्कर्ष देना जारी रखने की अनुमति दी थी। लेकिन मुख्य मामले में हाई कोर्ट के निर्णय तक निष्कर्षों को प्रभावी नहीं करने की अनुमति दी थी। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर तय की गई है।
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