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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा
– फोटो : संवाद
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किसानों के मसीहा दीनबंधु सर छोटूराम की सरजमीं गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 24 साल से कभी नहीं हारे। 2000, 2005 व 2014 में इनेलो व 2019 में भाजपा ने मजबूत प्रत्याशी उतारे, लेकिन हुड्डा की जीत एकतरफा ही रही। उनको हमेशा सीएम चेहरे होने का फायदा मिला है। मई 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को अकेले गढ़ी सांपला-किलोई हलके से 77 हजार से ज्यादा वोटों की लीड मिली थी।
इस बार भी कांग्रेस से गढ़ी सांपला-किलोई से केवल हुड्डा ने टिकट मांगा है, जबकि विपक्ष अभी उम्मीदवार तक तय नहीं कर पाया। दो बार इनेलो व एक बार भाजपा के टिकट पर हुड्डा के खिलाफ उतरने वाले सतीश नांदल ने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा टिकट मांग रहे हैं।
जाट बहुल गढ़ी सांपला-किलोई में 2.20 लाख मतदाता हैं। इनमें से 50 प्रतिशत जाट हैं। जाटों में भी हुड्डा खाप के 24 गांव हैं, जिनका ऐतिहासिक चबूतरा हलके के गांव बसंतपुर में है। इसी कारण हुड्डा इस बार भी अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं।
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ग्राउंड रिपोर्ट: हुड्डा फिर आश्वस्त, नांदल का चुनाव लड़ने से इन्कार; मुख्यमंत्री चेहरा होने का मिल रहा फायदा