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गेंदे की खेती बनी घाटे का सौदा! फरीदाबाद के किसानों को नहीं मिल रहे सही दाम Haryana News & Updates

गेंदे की खेती बनी घाटे का सौदा! फरीदाबाद के किसानों को नहीं मिल रहे सही दाम Haryana News & Updates

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फरीदाबाद के नवादा गांव में गेंदे के फूलों की खेती करने वाले किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं. मंडी में फूलों के दाम 10 रुपए किलो तक गिर गए, जबकि लागत 50 रुपए किलो आती है. मुनाफा न मिलने से किसान संकट में हैं और सर…और पढ़ें

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गेंदे की कीमत गिरने से नवादा के किसान परेशान.

हाइलाइट्स

  • फरीदाबाद में गेंदे के फूलों की खेती करने वाले किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं.
  • मंडी में फूलों के दाम 10 रुपए किलो तक गिर गए, जबकि लागत 50 रुपए किलो आती है.
  • मुनाफा न मिलने से किसान संकट में हैं और सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं.

फरीदाबाद: फरीदाबाद के नवादा गांव में कई किसान गेंदे के फूलों की खेती करते हैं. इसी से वह अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. लेकिन इस बार मंडी में फूलों की कीमत इतनी गिर गई है कि किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

किसान भारती पिछले चार सालों से गेंदे की खेती कर रही हैं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले खेत की जुताई तीन से चार बार करनी पड़ती है, फिर पौधे लगाए जाते हैं. इस फसल को तैयार होने में छह महीने का समय लगता है. खेती में कीटनाशक और अन्य दवाइयों पर करीब 10 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं.

10 रुपए किलो बिक रहा है गेंदा
भारती ने बताया कि उन्होंने खेत पट्टे पर लिया हुआ है. एक किले का पट्टा 50 हजार रुपए में पड़ता है. इसके अलावा, पानी, खाद और मजदूरी का खर्च भी अलग से आता है. इस समय गेंदे की कीमत मंडी में सिर्फ 10 रुपए प्रति किलो मिल रही है जबकि लागत ही 50 रुपये प्रति किलो बैठ रही है. भारती का कहना है कि अगर कीमत 100 रुपये किलो तक जाए तभी कुछ मुनाफा होगा नहीं तो खेती करना घाटे का सौदा बनता जा रहा है.

मंडी में नहीं मिल रहे अच्छे दाम
भारती ने बताया कि वे अपनी फसल फरीदाबाद की ओल्ड मंडी और दिल्ली की फूल मंडी में बेचने जाती हैं. लेकिन इस बार गेंदे की कीमत इतनी कम हो गई है कि लागत भी नहीं निकल पा रही. उन्होंने कहा हम झोपड़ी में रहते हैं खेती के अलावा कोई और सहारा नहीं है. इतनी मेहनत करने के बाद भी मुनाफा नहीं हो रहा जिससे परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है.

किसानों की बढ़ी मुश्किलें
गेंदे की खेती पर ज्यादा खर्च आता है और अगर फसल के सही दाम न मिलें तो किसान पूरी तरह से कर्ज में डूब जाते हैं. पट्टे पर जमीन लेना बीज खरीदना खाद डालना, कीटनाशक का छिड़काव करना, मजदूरी देना इन सबका खर्च मिलाकर किसान पर बहुत भार पड़ता है. लेकिन जब मंडी में दाम गिर जाते हैं तो उनके लिए खेती घाटे का सौदा बन जाती है.

किसान भारती और उनके जैसे कई और किसान सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि वे इस संकट में उनकी मदद करें. अगर मंडी में सही दाम नहीं मिले तो छोटे किसानों के लिए खेती करना नामुमकिन हो जाएगा.

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