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निरंतर अभ्यास करने से सफलता अवश्य मिलती है। ऐसे में आलस्य को त्यागकर नियमित दिनचर्या के साथ अभ्यास करते रहना चाहिए। सफलता के लिए आभासी दुनिया के मायाजाल से दूर रहते हुए लक्ष्य पर फोकस भी बेहद जरूरी है। जीवन निर्माण का यह मंत्र गुरुकुल कुरुक्षेत्र के विद्यार्थियों को गुरुकुल के संरक्षक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने दिया।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उनका बच्चा जीवन में उन्नति करे और इसी उद्देश्य से अभिभावक अपने बच्चों को गुरुकुलों में भेजते हैं। गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली से ही छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव है।
गुरुकुल में दिये जाने वाला विशुद्ध प्राकृतिक पोषण से भरपूर आहार, गायों का अमृततुल्य दूध-घी और साफ-स्वच्छ वातावरण छात्रों को शारीरिक और बौद्धिक स्तर पर मजबूत बनाता है, समय-समय पर अनेक विद्वानां के विशेष-सत्र कराये जाते जिससे छात्रां में प्रेम, दया, करूणा, राष्ट्रप्रेम जैसे नैतिक मूल्यों और भारतीय संस्कारों का विकास होता है।
उन्होंने कहा कि सुख चाहने वालों को विद्या छोड़ देनी चाहिए और विद्या चाहने वालों को सुख छोड़ देना चाहिए। सफलता के लिए विद्यार्थी को कठोर परिश्रम के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। जीवन में अनुशासन और अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते हुए अपने लक्ष्य की और बढ़ें। इस दौरान राज्यपाल द्वारा सीबीएसई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रां को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
इस दौरान निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि गुरुकुल के 11 छात्र एनडीए एसएसबी रेकेमेंड हुए हैं वहीं छह का आईआईटी में चयन हुआ है। सीबीएसई में 10वीं एवं 12वीं के छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया, 10वीं में आदर्श कुमार ने 98.8 अंकों के साथ टॉप किया।
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गुजरात के राज्यपाल ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र के विद्यार्थियों को दिए जीवन निर्माण के सूत्र