गाय के दूध से किनारा कर रहे लोग, लंपी का दिख रहा खौफ


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लंपी बीमारी के प्रभाव के चलते लोग डेयरियों और गोशालाओं से गाय का दूध खरीदने से किनारा कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी गाय के दूध की खपत घट रही है। स्थिति यह है कि जिन गोशालाओं और डेयरियों में रोजाना छह से सात क्विंटल दूध बिकता था, वहां तीन से चार क्विंटल दूध की बिक्री रह गई है। डेयरी संचालकों का कहना है कि बिक्री कम होने के चलते दूध मुफ्त में बांटना पड़ता है ताकि खराब न हो। बीमारी का भय अब लोगों में साफ दिखाई देने लगा है।
डेयरी संचालकों के अनुसार लोगों में आशंका है कि यदि उन्होंने गाय का दूध पीया तो वे भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं, हालांकि अभी तक बीमारी के इंसानों में प्रभाव की जानकारी नहीं मिली है। न ही ऐसा कोई शोध या जानकारी सामने आई है। इसके बावजूद 55 रुपये प्रति लीटर तक बिकने वाले गाय के दूध के दाम तेजी से नीचे आ रहे हैं। कुछ डेयरियों में तो दाम 40 रुपये प्रति लीटर से भी नीचे आ चुके हैं। वहीं बीमारी के चलते दूध उत्पादन भी घटा है, जो गाय आठ लीटर दूध देती थी, वह बीमार हालत में चार से पांच लीटर ही दूध देने लगी है। पशुपालन विभाग के एसडीओ कुलदीप कुमार ने बताया कि गायों को बीमारी से बचाने के लिए विभाग की ओर से प्रबंध पुख्ता किए जा रहे हैं। गोशालाओं के साथ-साथ पशुपालकों के पास दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं, ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
ये हैं लंपी बीमारी के लक्षण-
लगातार बुखार रहना, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर गांठें बन जाना। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल सकती है। गायों के एक दूसरे के संपर्क में आने और भोजन एवं पानी के जरिए भी फैल सकती है। ये काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है। रोग दुधारू गायों में पाया जा रहा है। लोगों को डर है कि कहीं उनमें भी इसका असर न हो जाए।
कुरुक्षेत्र गोशाला प्रबंधक प्रदीप कुमार ने बताया कि गोशाला से रोजाना कम से कम पांच क्विंटल दूध बिकता था, जो अब तीन के करीब बिकता है। गायों में बीमारी का डर बना हुआ है। 50 से 60 गायों में लक्षण हैं और वे खुद ही उपचार करवा रहे हैं। प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। खुद चिकित्सक रखा है। दूध की मांग काफी घट गई है।
पुराना बस स्टैंड के पास डेयरी संचालक मुनीष कुमार ने बताया कि गायों के दूध की मांग घट गई है। उन्होंने गांवों से भी दूध मंगवाना बंद कर दिया है। ग्राहक भी गाय का दूध खरीदने से बच रहे हैं। दाम में भी कमी आई है।

लंपी बीमारी के प्रभाव के चलते लोग डेयरियों और गोशालाओं से गाय का दूध खरीदने से किनारा कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी गाय के दूध की खपत घट रही है। स्थिति यह है कि जिन गोशालाओं और डेयरियों में रोजाना छह से सात क्विंटल दूध बिकता था, वहां तीन से चार क्विंटल दूध की बिक्री रह गई है। डेयरी संचालकों का कहना है कि बिक्री कम होने के चलते दूध मुफ्त में बांटना पड़ता है ताकि खराब न हो। बीमारी का भय अब लोगों में साफ दिखाई देने लगा है।

डेयरी संचालकों के अनुसार लोगों में आशंका है कि यदि उन्होंने गाय का दूध पीया तो वे भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं, हालांकि अभी तक बीमारी के इंसानों में प्रभाव की जानकारी नहीं मिली है। न ही ऐसा कोई शोध या जानकारी सामने आई है। इसके बावजूद 55 रुपये प्रति लीटर तक बिकने वाले गाय के दूध के दाम तेजी से नीचे आ रहे हैं। कुछ डेयरियों में तो दाम 40 रुपये प्रति लीटर से भी नीचे आ चुके हैं। वहीं बीमारी के चलते दूध उत्पादन भी घटा है, जो गाय आठ लीटर दूध देती थी, वह बीमार हालत में चार से पांच लीटर ही दूध देने लगी है। पशुपालन विभाग के एसडीओ कुलदीप कुमार ने बताया कि गायों को बीमारी से बचाने के लिए विभाग की ओर से प्रबंध पुख्ता किए जा रहे हैं। गोशालाओं के साथ-साथ पशुपालकों के पास दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं, ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

ये हैं लंपी बीमारी के लक्षण-

लगातार बुखार रहना, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर गांठें बन जाना। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल सकती है। गायों के एक दूसरे के संपर्क में आने और भोजन एवं पानी के जरिए भी फैल सकती है। ये काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है। रोग दुधारू गायों में पाया जा रहा है। लोगों को डर है कि कहीं उनमें भी इसका असर न हो जाए।

कुरुक्षेत्र गोशाला प्रबंधक प्रदीप कुमार ने बताया कि गोशाला से रोजाना कम से कम पांच क्विंटल दूध बिकता था, जो अब तीन के करीब बिकता है। गायों में बीमारी का डर बना हुआ है। 50 से 60 गायों में लक्षण हैं और वे खुद ही उपचार करवा रहे हैं। प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। खुद चिकित्सक रखा है। दूध की मांग काफी घट गई है।

पुराना बस स्टैंड के पास डेयरी संचालक मुनीष कुमार ने बताया कि गायों के दूध की मांग घट गई है। उन्होंने गांवों से भी दूध मंगवाना बंद कर दिया है। ग्राहक भी गाय का दूध खरीदने से बच रहे हैं। दाम में भी कमी आई है।

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