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पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने कहा- मेरे राज्यपाल रहते हुए कभी मुख्यमंत्री से टकराव नहीं हुआ। फाइलों पर उल्टी-सीधी बातें लिखने के क्रम को मैंने तोड़ा है। मेरा वो (पंजाब सीएम भगवंत मान) पूरा सम्मान करते हैं। मैं भी सम्मान
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अब काम करने का दोनों का ढंग अलग-अलग है। उनकी पार्टी दिल्ली से चलती है। कई बार वह भी मजबूर होते हैं। केजरीवाल जो चाहता है, वो करना पड़ता है। हर एक की अपनी-अपनी पार्टी की मजबूरियां होती हैं। आज कोई हमको भी दिल्ली से कोई कुछ कहेगा तो हमें भी उसको स्वीकार करना ही पड़ेगा।
कटारिया ने पिछले दिनों उदयपुर में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…
गुलाबचंद कटारिया ने पंजाब और देश की राजनीति पर बात की।
फाइलों पर उल्टा सीधा लिखने के क्रम को मैंने तोड़ा पंजाब सरकार से कामकाज और मतभेद से जुड़े सवाल पर कटारिया ने कहा- सरकार विचारधारा में अलग है, लेकिन काम तो उसी के साथ करना है। अगर आपको उनकी कोई चीज समझ में नहीं आती तो बुला लो। उनसे बात करके समझने की कोशिश करो। मैंने कोशिश की। मुख्यमंत्री ने भी बहुत पॉजिटिविटी दिखाई। कई बार उनकी बात मुझे ठीक लगती है। मैं स्वीकार कर लेता हूंं। कई बार मेरी बात उनको ठीक लगती है तो वह स्वीकार कर लेते हैं। टकराव की स्थिति थी। फाइलों पर उल्टा-सीधा लिखने के क्रम को मैंने तोड़ा। इस कारण से इस सरकार के साथ भी कार्यक्रम कर रहा हूं।

नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक रूप से नई दिशा देने का प्रयास किया कांग्रेस से बहुत से नेताओं को बीजेपी में लेने के सवाल पर कहा- कांग्रेस तो बिखर रही है। उनकी विचारधारा को लोग पसंद नहीं करते। अब उनके नेताओं की मजबूरी है। क्योंकि वो पार्टी से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस में कई अच्छे लोग भी रहे हैं। प्रणब मुखर्जी से अच्छा व्यक्ति कौन हो सकता है, लेकिन वो भी घुटन महसूस करते थे।
नरसिम्हा राव से ज्यादा अच्छा कौन व्यक्ति था। वो संस्कारी भी थे। उन्होंने भी राज चलाया। अपने स्वरूप में चलाया। पहली बार आर्थिक दृष्टि से हिंदुस्तान को नई दिशा देने का प्रयास नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने किया। उनके जीवन में मूल्य बहुत प्रमुख थे, लेकिन उसके बाद तो राज प्रमुख हो गया, मूल्य गुण हो गए। केवल तुष्टीकरण के आधार पर देश को कमजोर करते चले गए। लोग समझ गए।
इससे कांग्रेस कमजोर होती गई। जो अच्छे लोग हैं, वह सब वहां अपने आप को अच्छा नहीं समझते थे। कई लोग उस कारण से भी निकले। बाहर से अच्छे लोग लेने में दिक्कत नहीं है। लेकिन कैडर उतना मजबूत हो कि बाहर वालों को अपने हिसाब से ढालकर ट्रेंड कर सकें। कोई नुकसान नहीं होगा।
पंजाब में नशा और धर्मांतरण दो बड़ी समस्याएं पंजाब में नशे के खिलाफ अभियान पर कटारिया ने कहा- इसके लिए हम मिलकर प्रयास कर सकते हैं। सफलता तो बहुत दूर है, लेकिन कोशिश शुरू करें तो परिणाम आएंगे। मैं जब से गया हूं, रोज क्राइम रिपोर्ट देखता हूं। कोई मिलने आता है तो वो भी यह जिक्र करता है। वहां दो ही बड़ी समस्याएं हैं नशा और धर्मातंरण।
मैं सीमावर्ती जिलों के दौरे पर गया, वहां विलेज कमेटी के लोगों से मिला। वहां महिलाएं खड़ी थीं। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि गवर्नर साहब और कुछ कर सको तो करना। हमारे बच्चों को नशे से बचा लो। उनकी आंखों में जो करुणा और दर्द था, उसने मुझे झकझोर दिया। महिला कह रही थी, जवान बेटा तड़प रहा है। उसे नशा लाकर देना होता है। हमने इसके खिलाफ अभियान शुरू किया है। मैं खुद पैदल यात्रा में शामिल हुआ। लोगों का गजब रिस्पॉन्स मिला।
अब सभी पार्टियों में व्यक्तिगत हित हावी होने लगे कटारिया ने कहा- मेरे जीवन का अनुभव कहता है कि 1990 तक हम देश और पार्टी के लिए काम करते थे। हमने जैसे-जैसे तरक्की की। उसके बाद अपना व्यक्तिगत हित भी धीरे-धीरे मजबूत होने लग गया। सदाचार हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई थी। उसे जिस तरह मेंटेन रखना चाहिए था। उसमें धीरे-धीरे गिरावट आई। देश की सभी राजनीतिक पार्टियों में इस प्रकार की गिरावट होती चली गई। एक आदेश पर हमारा कार्यकर्ता कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता था।

भैरोंसिंह शेखावत ने चुनावी चंदा लिया होगा, लेकिन उस पैसे को हाथ नहीं लगाते थे कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होने के आरोपों पर कटारिया ने कहा- जब सरकारें बनती हैं तो यह विषय चलता रहता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर डिपेंड करता है। आपका नेतृत्व करने वाला व्यक्ति कैसा है, उसका काम करने का तौर-तरीका कैसा है? उसके आधार पर यह तय होता है।

तीसरी जगह सारा पैसा रखते थे। उतना ही खर्च करते थे, जितनी हमारी क्षमता है। जितना हम लाए थे। पैसे के आधार पर चुनाव नहीं लड़ते थे। अपने परिश्रम और विचार के आधार पर चुनाव लड़ते थे। उनको भी जनता पसंद करती थी। आज भी पसंद करती है। हमको कई वोट तो बिना मेहनत के मिलते हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयालजी से लेकर हमारे दिग्गज नेताओं ने जिस समर्पण भाव से संगठन खड़ा किया। उसकी प्रतिष्ठा जनता के बीच में है।
अब सामूहिक चर्चा में किसी की आलोचना कर दो दुश्मन मान लेते हैं, मन छोटे हो गए राजस्थान के नेताओं के सलाह लेने के सवाल पर कटारिया ने कहा- सामान्यतया सलाह लेते हैं, संघ से भी विचार करते हैं। लेकिन अब मैं सोचता हूं कि थोड़ी-थोड़ी तो कमी आ रही है। पहले खुली चर्चा होती थी। आजकल खुली चर्चा कर दो, आलोचना कर दो तो लोग दुश्मनी मान लेते हैं। मन छोटे हो गए। पहले विधानसभा के फ्लोर पर देखा है, हमारी और कांग्रेस के बीच में इतनी हॉट डिस्कशन होती थी कि लगता था अब जिंदगी में एक-दूसरे से नहीं बोलेंगे। जैसे ही सदन से बाहर आते थे तो भैरोंसिह शेखावत और परसराम मदेरणा साथ में चाय पीते थे। कभी हरदेव जोशी और शेखावत साहब दोनों गप्पे मार के खाना खा रहे होते थे।

संघ प्रचारकों के तपस्या की कमाई खा रहे हैं हम, उनके आदर्शों पर चलना होगा अपने और विपक्षी नेताओं पर नाराज होकर डांटने के सवाल पर कटारिया ने कहा- मुझे गलत बात और काम पसंद नहीं। मैं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भी बोल जाता हूं। डांट भी देता हूं। हमारे जैसे नेताओं को तो पद, प्रतिष्ठा, दाम मिल रहा है। संघ के प्रचारक तो झोला लेकर घर से निकले। निस्वार्थ भाव से काम किया। उनके बारे में भी सोचो।
मैं कहता हूं कि जो प्रचारक अपना घर छोड़कर निकले। उनकी तपस्या की तुम कमाई खा रहे हो। उस आदर्श को नहीं रखोगे तो उनके प्रति न्याय थोड़ी कर सकोगे। यह कोई हमारी अकेले की उपलब्धि नहीं है। उन सब संघ के प्रचारकों की उपलब्धि है, जिन्होंने कुएं में कूद करके भी भारत के मूल्यों को बचाने का प्रयास किया। जिनका नाम-पता कोई नहीं जानता।
हमारे प्रधानमंत्री मोदी प्रचारक रहे, देश के लिए घर छोड़कर आए हैं कटारिया ने कहा- जितने हमारे बड़े नेता और संगठन के लोग आए हैं, वो संघ से आए। सारी जिंदगी खपाई। भैरोंसिंह शेखावत भी उससे ही निकलकर आए। 1952 में हमारे आठ विधायक जीते थे। केवल 8 एमएलए जीते थे। सभी जागीरदारी बैकग्राउंड के थे। जनसंघ ने जागीरदारी अबोलिशन बिल (जागीरदारी उन्मूलन) के समर्थन का फैसला किया, जबकि आठों विधायक उसके खिलाफ थे। हमारी पार्टी में विद्रोह हो गया था। खुद डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी आए थे। उन्होंने बैठक लेकर कहा था कि हम भले कांग्रेस के खिलाफ लड़कर आए हैं। लेकिन यह बिल किसान और देशहित में है। हमें इसका सपोर्ट करना है।
हमारे आठ में से 6 विधायक चले गए थे। केवल भैरोंसिंह शेखावत और बड़ी सादड़ी (चित्तौड़गढ़) से जगत सिंह बचे थे। उन्होंने विचारधारा से समझौता नहीं किया। भैरोंसिंह ने इसी स्टैंड के चलते देश में ख्याति प्राप्त की। हम लोगों को उस लाइन के आधार पर ही चलना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचारक थे। घर छोड़कर आए हैं। देश के लिए आए हैं। परिवार और सब आनंद छोड़कर आए हैं।
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आपातकाल पर गुलाबचंद कटारिया का इंटरव्यू पढ़िए..
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पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने दैनिक भास्कर से बातचीत में आपातकाल के दौरान अपनी जेल यात्रा के ऐसे कई अनुभव शेयर किए। मूलरूप से उदयपुर के रहने वाले कटारिया राजस्थान की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। (पूरी खबर पढ़ें)
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गवर्नर कटारिया बोले- मुझे भी दिल्ली का कहा करना पड़ेगा: हर पार्टी की मजबूरियां, केजरीवाल जो चाहता, मजबूरी में पंजाब के सीएम वो करते हैं – Rajasthan News