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विशेषज्ञ सचिन शर्मा और महिला किसान चंद्रकला – फोटो : संवाद
विस्तार
एक ओर जहां हरियाणा और पंजाब के किसान एमएसपी की गारंटी समेत अन्य मांगों के समर्थन में लंबे समय से सघर्ष कर रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश के किसान खेती के ताैर-तरीकों में बदलाव कर अपनी कृषि आय को बढ़ा रहे हैं। खेती के एफपीओ (फार्मर प्रोग्रेसिव आॅर्गेनाइजेशन) माॅडल के जरिये छोटी-छाेटी कंपनियां बनाकर ये किसान पेशेवर ढंग से खेती कर रहे हैं। किसानों का मुख्य फोकस इस बात पर रहता है कि उन्हें अपनी फसलों का एमएसपी से अधिक दाम कैसे और कहां मिल सकता है। इसके लिए वे सरकारी मंडियों के बजाय बाजार मूल्यों पर अपनी फसलों को बेचने में ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। इस कार्य में आईटीसी उनकी पूरी मदद कर रही है।
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‘द नेक्सटजेन एग्री ट्रेल’ विजन के साथ आईटीसी न केवल इन किसानों काे सरकारी योजनाओं का उचित इस्तेमाल करना सिखा रही है बल्कि फिजिटल (फिजिकल + डिजिटल हस्तक्षेप) फाॅर्मूले से किसानों को अपग्रेड भी किया जा रहा है। अाईटीसीमार्स, क्लाइमेट स्मार्ट खेती, वाॅटर यूजर्स ग्रुप, फसल विविधिकरण व चाैपाल सागर के जरिये किसानों का दृष्टिकोण व्यावसायिक बनाने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। अभी 1700 से अधिक एफपीओ गठित कर 1.7 मिलियन किसानों को इससे जोड़ा जा चुका है। वर्ष 2030 तक इन एफपीओ की संख्या बढ़ाकर चार हजार करने की योजना है। खास बात यह कि पुरुष व महिला किसान मिलकर कृ षि आधारित 100 से अधिक स्टार्टअप भी चला रहे हैं और इनके माध्यम से अपनी आय बढ़ा रहे हैं।
मध्य प्रदेश स्थित सिहोर जिले के गांव भाऊखेड़ी में किसान अपनी एक कंपनी गठित कर व्यावसायिक तरीके से खेती कर रहे हैं। किसानों की इस कंपनी में 10 निदेशक और 300 किसान सदस्य हैं। निदेशक गुलाब वर्मा ने बताया कि 20 जुलाई 2022 को किसानों ने आईटीसी की मदद से यह कंपनी गठित की थी और अब तक वे 43 हजार क्विंटल से अधिक फसलें एमएसपी से अधिक दाम पर बेच चुके हैं। मृदा जांच, बैंक लोन, खाद व दवा संबंधी कई सुविधाएं किसानों को यहीं उपलब्ध हो जाती हैं और किसान अपनी फसलों को इसी कंपनी के माध्यम से एमएसपी से अधिक दाम पर बेचते हैं।
आत्मनिर्भर महिला फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, गांव इच्छावर की निदेशक संगीता मालवीय और चंद्रकला ने बताया कि उनकी कंपनी महिला किसानों को समृद्ध करने में काम कर रही है। 35 गांवों में 2000 महिला किसान कंपनी में सदस्य हैं, जिनके पास 4385 एकड़ जमीन है। महिलाएं उनके कलेक्शन सेंटर पर फसलें लाती हैं और वहीं से उन्हें नकद भुगतान कर दिया जाता है। वर्ष 2021 में शुरू की गई महिलाओं की इस कंपनी का अब तक टर्नओवर 5.51 करोड़ है। भऊखेड़ी गांव के वृद्ध किसान गंगा प्रसाद व माताजन वर्मा कहते हैं कि किसानी के इस नए तरीके में बहुत अंतर और फायदा है। हमने वह दाैर देखा है जब फसलों को बचाना और बेचना कड़ी चुनाैती थी, कुछ हद तक आज भी है मगर इस नए माॅडल के जरिये किसान पहले से ज्यादा समृद्ध बन रहे हैं।
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खेती के बदले तरीके: FPO माॅडल से बढ़ी आय, कंपनियां गठित कर कृषि काे व्यावसायिक बना रहे किसान; बड़ा फायदा