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एचएयू में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ अन्य। संवाद
हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में खेजड़ी (जाटी) को सरंक्षण व बढ़ावा देने के उद्देश्य से शनिवार को बैठक का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि खेजड़ी का संरक्षण व बढ़ावा देना जरूरी है, इसके लिए विश्वविद्यालय शोध करे और किसानों को पौधे उपलब्ध कराए। किसानों में खासतौर पर युवाओं को इसके महत्व के बारे में जागरूक करें।
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उन्होंने कहा कि खेजड़ी शुष्क क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण वृक्ष है। इसका संपूर्ण भाग मनुष्य और पशुओं के लिए लाभदायक है और यह पर्यावरण को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाता है। खेजड़ी एक नाइट्रोजन-फिक्सिंग पेड़ है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। खेजड़ी का उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग लंबे समय से विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है।
कृषि वानिकी मॉडल पर परीक्षण किए : प्रो. कांबोज
एचएयू के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि खेजड़ी सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और चरखी दादरी जिलों में पाया जाता है। कृषि वानिकी मॉडलों पर परीक्षण किए हैं, जिसमें पाया गया कि खेजड़ी के साथ जो फसल बोई जाती है उस फसल की उत्पादकता सामान्य से अधिक होती है। खेजड़ी की फलियां जिनका मूल्य संर्वधन करके जैसी सब्जी, अचार, लड्डू, चटनी, बिस्किट इत्यादि खाद्य उत्पाद निर्मित करके पोषण सुरक्षा व उद्यमिता को बढ़ावा मिल सकता है।
विधायक रणधीर पनिहार ने कहा कि किसान को खेत की मंडेर पर खेजड़ी के पेड जरूर लगाने चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को शोध के लिए जमीन व अन्य किसी प्रकार की सहायता का आश्वासन दिया। जीजेयू के कुलपति प्रो. नरसी राम ने चिपको आंदोलन व अन्य विषयों पर अपने विचार रखे। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने खेजड़ी पर विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर वन मंडल अधिकारी, रोहतास बीरथल, ओएसडी डॉ. अतुल ढीगड़ा, रजिस्ट्रार डॉ. पवन कुमार, डॉ. एसके पाहुजा, कपिल अरोड़ा, वानिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप आर्य, डॉ. उर्वशी नांदल आदि मौजूद रहे।
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खेजड़ी के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय करे शोध, किसानों को उपलब्ध कराए पौधे : बंडारू दत्तात्रेय