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खत्म होने वाला है कीबोर्ड का जमाना! 2028 तक ये टेक्नोलॉजी ले लेगी टाइपिंग की जगह, रिपोर्ट में हो गया खुलासा Today Tech News

खत्म होने वाला है कीबोर्ड का जमाना! 2028 तक ये टेक्नोलॉजी ले लेगी टाइपिंग की जगह, रिपोर्ट में हो गया खुलासा Today Tech News

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यह शोध लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और जेब्रा कंपनी के सहयोग से किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि वॉइस टेक्नोलॉजी काम करने के हर पारंपरिक तरीके को प्रभावित करने जा रही है. आने वाले समय में लैपटॉप, मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर पर टाइप करने की बजाय लोग सिर्फ बोलकर अपने काम पूरे करेंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि बोलना इंसानी सोच के साथ ज़्यादा मेल खाता है इसलिए यह टाइपिंग की तुलना में कहीं ज़्यादा सहज, तेज़ और प्रभावी है.

जेब्रा के ग्लोबल हेड ऑफ ब्रांड कम्युनिकेशन पॉल सेफटन का मानना है कि जब तक जेनरेशन अल्फा यानी 2010 के बाद पैदा हुए बच्चे वर्कफोर्स में शामिल होंगे तब तक AI पूरी तरह से हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका होगा. तब लोग टाइप करने की बजाय अपने डिवाइस से बात करके ही हर काम पूरा करेंगे. उनके अनुसार, “सुविधा और दक्षता हमेशा जीतती है, और वॉइस टेक्नोलॉजी इसी दिशा में सबसे बड़ा कदम है. इससे लोग न केवल तेज़ी से बल्कि रचनात्मक ढंग से भी काम कर पाएंगे.”

जेब्रा के ग्लोबल हेड ऑफ ब्रांड कम्युनिकेशन पॉल सेफटन का मानना है कि जब तक जेनरेशन अल्फा यानी 2010 के बाद पैदा हुए बच्चे वर्कफोर्स में शामिल होंगे तब तक AI पूरी तरह से हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका होगा. तब लोग टाइप करने की बजाय अपने डिवाइस से बात करके ही हर काम पूरा करेंगे. उनके अनुसार, “सुविधा और दक्षता हमेशा जीतती है, और वॉइस टेक्नोलॉजी इसी दिशा में सबसे बड़ा कदम है. इससे लोग न केवल तेज़ी से बल्कि रचनात्मक ढंग से भी काम कर पाएंगे.”

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2030 तक जेनरेशन अल्फा के पहले सदस्य नौकरी की दुनिया में कदम रख चुके होंगे और संभव है कि वे यह जान ही न पाएं कि वॉइस टेक्नोलॉजी से पहले दफ्तरों में लोग कैसे काम करते थे. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि AI पूरी तरह से कीबोर्ड को खत्म नहीं कर पाएगा.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2030 तक जेनरेशन अल्फा के पहले सदस्य नौकरी की दुनिया में कदम रख चुके होंगे और संभव है कि वे यह जान ही न पाएं कि वॉइस टेक्नोलॉजी से पहले दफ्तरों में लोग कैसे काम करते थे. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि AI पूरी तरह से कीबोर्ड को खत्म नहीं कर पाएगा.

ईएसएसईसी बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर फैब्रिस कैवरेटा का मानना है कि टेक्स्ट और ईमेल जैसी चीज़ों में वॉइस नोट्स की सीमाएं हैं. उनके अनुसार, “लिखा हुआ टेक्स्ट सुनने की तुलना में तेज़ी से पढ़ा जा सकता है और ज़रूरी जानकारी को सर्च करना भी आसान होता है. इसलिए ईमेल या डॉक्युमेंट्स में कीबोर्ड की अहमियत बनी रहेगी.”

ईएसएसईसी बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर फैब्रिस कैवरेटा का मानना है कि टेक्स्ट और ईमेल जैसी चीज़ों में वॉइस नोट्स की सीमाएं हैं. उनके अनुसार, “लिखा हुआ टेक्स्ट सुनने की तुलना में तेज़ी से पढ़ा जा सकता है और ज़रूरी जानकारी को सर्च करना भी आसान होता है. इसलिए ईमेल या डॉक्युमेंट्स में कीबोर्ड की अहमियत बनी रहेगी.”

फिर भी, यह साफ है कि तकनीक तेजी से हमारे जीवन को बदल रही है. जिस तरह सीडी और डीवीडी कुछ ही सालों में गायब हो गए उसी तरह कीबोर्ड भी आने वाले समय में शायद बीते युग की चीज़ बन जाए. आज हम पहले से ही स्मार्टफोन, टीवी और लैपटॉप जैसे डिवाइसों पर वॉइस कमांड्स का इस्तेमाल करने लगे हैं और अगर यही रफ्तार रही तो 2028 तक हम शायद अपने डिवाइस से बात करते हुए ही हर काम पूरा करने लगेंगे.

फिर भी, यह साफ है कि तकनीक तेजी से हमारे जीवन को बदल रही है. जिस तरह सीडी और डीवीडी कुछ ही सालों में गायब हो गए उसी तरह कीबोर्ड भी आने वाले समय में शायद बीते युग की चीज़ बन जाए. आज हम पहले से ही स्मार्टफोन, टीवी और लैपटॉप जैसे डिवाइसों पर वॉइस कमांड्स का इस्तेमाल करने लगे हैं और अगर यही रफ्तार रही तो 2028 तक हम शायद अपने डिवाइस से बात करते हुए ही हर काम पूरा करने लगेंगे.

Published at : 11 Nov 2025 10:52 AM (IST)

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