in

क्या है पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी: जिसे विपक्ष पोंजी स्कीम कह रहा, CM मान को देनी पड़ी सफाई; सवाल-जवाब में जानिए – Punjab News Chandigarh News Updates

क्या है पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी:  जिसे विपक्ष पोंजी स्कीम कह रहा, CM मान को देनी पड़ी सफाई; सवाल-जवाब में जानिए – Punjab News Chandigarh News Updates

[ad_1]

पंजाब सरकार द्वारा लैंड पूलिंग को लेकर कई बदलाव किए है।

पंजाब की भगवंत मान सरकार नई लैंड पूलिंग पॉलिसी लेकर आई है। इसके तहत राज्य भर में बड़े शहरों के साथ ही छोटे कस्बों में अर्बन एस्टेट के लिए जमीन ली जाएगी। इसके पीछे सरकार की सोच बताई गई कि उचित तरीके से शहरी विकास हो।

.

सरकार पब्लिक नोटिस दे चुकी है। इसी के साथ ही पॉलिसी का विरोध शुरू हो गया। उनका कहना है कि यह स्कीम किसानों के साथ धोखा है। विरोध बढ़ा तो सरकार को कैबिनेट मीटिंग बुलानी पड़ी। CM मान ने खुद सामने आकर कई बातें बताईं। यहां तक कहा कि लैंड पूलिंग को लेकर विरोधी दल अफवाहें फैला रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है।

दैनिक भास्कर की टीम ने जानने की कोशिश की कि क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी और क्यों हो रहा इसका विरोध? और क्या कहते हैं एक्सपर्ट? ऐसे ही सवालों और जवाबों के साथ पढ़ें पूरी रिपोर्ट

संयुक्त किसान द्वारा लैंड पूलिंग मुद्दे पर की गई सर्वदलीय बैठक।

1. क्या है मान सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी?

जवाब : पंजाब सरकार की नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के अनुसार, जब किसी इलाके में इंडस्ट्रियल, कॉमर्शियल या रिहायशी सेक्टर या कॉलोनी बसती है, तो किसानों से जो जमीन ली जाती है, उसके बदले उन्हें कीमत नहीं दी जाती, बल्कि उनकी जमीन के अनुपात में उन्हें कॉमर्शियल और रिहायशी प्लॉट दिए जाते हैं। यह प्रॉपर्टी उसी एरिया में दी जाती है, जिसे सरकार विकसित करती है। मोहाली में एयरोसिटी जैसे नए शहरों में यह योजना शुरू की गई है। इसमें किसानों को 33 से 38 फीसदी हिस्सा वापस मिलता है।

2. लैंड पूलिंग पॉलिसी की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाब : सरकार का तर्क है कि अब आबादी बढ़ रही है। आने वाले समय में लोगों को सही कॉलोनियों में घर मिलें और एरिया का सुव्यवस्थित विकास हो सके, इसके लिए यह प्रक्रिया की जा रही है। सारी जमीन एक साथ अधिग्रहित नहीं की जाएगी। हर एरिया में अलग-अलग जगह चिह्नित की गई है, जिसमें लैंड पूलिंग का विकल्प दिया गया है।

3. क्या लैंड पूलिंग के नोटिफिकेशन के बाद रजिस्ट्री बंद हो गई है?

जवाब : पंजाब सरकार का कहना है कि जिन एरिया में लैंड पूलिंग का नोटिफिकेशन जारी हो गया है, वहां पर रजिस्ट्री बंद नहीं की गई है। किसान रजिस्ट्री करवा सकते हैं, अपनी जमीन की लिमिट तय करवा सकते हैं। यह जमीन सभी नियमों से मुक्त है। जब सरकार जमीन अधिग्रहित करती है, तब ऐसी पाबंदियां लगती हैं।

4. अगर कोई किसान लैंड पूलिंग में शामिल नहीं होना चाहता, तो क्या होगा?

जवाब : सरकार का कहना है कि जब किसी एरिया को विकसित किया जाएगा, तो यह किसान पर निर्भर होगा कि वह जमीन देना चाहता है या नहीं। लैंड पूलिंग के तहत किसानों को जमीन के बदले प्लॉट मिलने तक सरकार सालाना 1 लाख रुपए देगी।

5. लैंड पूलिंग प्रोजेक्ट्स में देरी होने पर क्या होगा?

जवाब: पंजाब सरकार का कहना है कि यदि प्रोजेक्ट में देरी होती है, तो सरकार किसानों को प्रति वर्ष 1 लाख रुपए का भुगतान करेगी, जिसमें हर साल 10% की वृद्धि होगी। योजना में शामिल होने की सहमति पर 50 हजार रुपए का चेक मिलेगा। जब तक एरिया विकसित नहीं होगा, किसान खेती कर पाएंगे।

6. क्या प्लॉट्स की कीमत बाजार दर से कम होगी?

जवाब: चूंकि लैंड पूलिंग में किसानों को उनकी जमीन के बदले विकसित क्षेत्र में प्लॉट्स दिए जाते हैं, इनकी कीमत बाजार दर के बराबर या उससे अधिक हो सकती है। हालांकि, यह क्षेत्र के विकास और स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इस पर सरकार का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि किसानों को उचित मूल्य मिले।

7. जमीन गई तो क्या बेरोजगार हो जाएंगे?

जवाब : सरकार का कहना है कि लैंड पूलिंग के तहत जब किसान जमीन देंगे, तो एरिया विकसित न होने तक उन्हें सालाना भुगतान मिलेगा। साथ ही उन्हें रिहायशी के अलावा कॉमर्शियल प्लॉट भी दिया जाएगा। ऐसे में किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।

8. एलओआई कितने दिन में जारी होगा?

जवाब : सरकार का दावा है कि 21 दिनों के भीतर लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी कर दिया जाएगा। इसके आधार पर किसान अपना आवंटित प्लॉट बेच सकते हैं या उस पर लोन ले सकते हैं। जब तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं होता, वे उस जमीन पर खेती कर सकते हैं। सरकार 50 हजार रुपए अतिरिक्त वार्षिक मदद भी देगी।

9. क्या जमीन मालिकों से कोई चार्ज लिया जाएगा?

जवाब : भूमि मालिकों को एक कनाल अधिग्रहित भूमि के बदले 125 वर्ग गज का रिहायशी प्लॉट और 25 वर्ग गज व्यवसायिक भूमि दी जाएगी। 50 एकड़ या उससे अधिक जमीन की लैंड पूलिंग के मामलों में एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जाएगा।

10. क्या कॉमर्शियल प्लॉट न लेने पर यह विकल्प मिलेगा?

जवाब : अगर कोई जमीन मालिक कॉमर्शियल प्लॉट नहीं लेना चाहता है, तो उसके बदले उसे तीन गुना अधिक रिहायशी प्लॉट मिलेगा। यानी एक एकड़ जमीन देने वाले किसान को यदि 200 गज का कॉमर्शियल प्लॉट नहीं चाहिए, तो उसके बदले 600 गज रिहायशी प्लॉट दिया जाएगा। इस तरह एक एकड़ जमीन देने पर किसान को अर्बन एस्टेट में 1600 गज रिहायशी प्लॉट मिल जाएगा।

11. क्या लैंड पूलिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र है?

जवाब: सरकार का दावा है कि लैंड पूलिंग प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल और स्थानीय स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी, जो किसानों को प्रक्रिया, आवंटन, और भुगतान की जानकारी प्रदान करेंगी। किसान अपनी शिकायतें या सुझाव भी इन समितियों के माध्यम से दर्ज कर सकते हैं।

लैंड पूलिंग पॉलिसी को एक्सपर्ट के नजरिए से जानिए… 65,523 एकड़ जमीन की जरूरत का आधार क्या जमीनों के मामलों के जानकार मनिक गोयल माहिर कहते हैं कि सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 65,523 एकड़ जमीन की जरूरत का आधार क्या है, खासकर जब पंजाब में कई कॉलोनियां पहले से खाली पड़ी हैं। किसानों का कहना है कि पहले के लैंड पूलिंग प्रोजेक्ट्स में वादे पूरे नहीं हुए, जैसे व्यवसायिक प्लॉट्स का आवंटन। नीति को स्वैच्छिक कहा गया है, लेकिन नोटिफिकेशन के बाद जमीन पर मकान निर्माण या लोन लेने की पाबंदियां लगने से यह जबरन अधिग्रहण जैसा प्रतीत होता है। लोग सरकार पर प्रॉपर्टी डीलर जैसा व्यवहार करने का आरोप लगा रहे हैं, और यह भी दावा है कि मुख्यमंत्री और हाउसिंग मंत्री ने नीति को पूरी तरह नहीं समझा।

पिछले अनुभवों के कारण नीति पर भरोसा कम सरकार ने यह नहीं बताया कि क्या किसानों की सहमति के लिए कोई सर्वे किया गया। पहले 30,000 रुपए भत्ते की घोषणा को किसानों ने अपर्याप्त बताया, क्योंकि ठेके पर 80,000 रुपए मिल रहे थे, जिसके बाद सरकार ने भत्ते को संशोधित किया। लोग पूछ रहे हैं कि खाली कॉलोनियों का उपयोग कैसे होगा और नोटिफाई जमीन पर प्रतिबंधों का प्रभाव क्या होगा। पारदर्शिता की कमी और पिछले अनुभवों के कारण नीति पर भरोसा कम है।

लैंड पूलिंग पॉलिसी पर अपनी राय रखते एक्सपर्ट मनिक गोयल माहिर।

लैंड पूलिंग पॉलिसी पर अपनी राय रखते एक्सपर्ट मनिक गोयल माहिर।

किसान नेता डल्लेवाल ने भी उठाए पॉलिसी पर सवाल किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति की जमीन ली जाती है, तो उसमें 80 प्रतिशत किसानों की सहमति होना अनिवार्य है। सरकार को किसानों की जमीन का चार गुना मुआवजा मार्केट रेट के हिसाब से देना चाहिए। डल्लेवाल ने उदाहरण देते हुए कहा- अगर आज जमीन का दाम 2 करोड़ रुपए प्रति एकड़ है, तो सरकार को 8 करोड़ रुपए प्रति एकड़ देना चाहिए।

उन्होंने चिंता जताई कि सरकार करीब एक लाख एकड़ जमीन अधिग्रहित कर रही है, जिससे लगभग 160 गांव प्रभावित होंगे और किसान बेघर हो जाएंगे। सरकार क्या उन किसानों के पुनर्वास का इंतजाम करेगी? डल्लेवाल ने हिमाचल, राजस्थान और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकारों ने जमीन खरीदने की इजाजत नहीं दी और किसानों के हितों की रक्षा की।

लैंड पूलिंग पॉलिसी पर विपक्षी दलों ने ये कहा…

——————

लैंड पूलिंग पॉलिसी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

पंजाब सरकार का लैंड पूलिंग को लेकर फैसला:प्लॉट मिलने तक मिलेंगे एक लाख रुपए सालाना; एरिया विकसित न होने तक खेती कर सकेंगे

पंजाब सरकार की आज (22 जुलाई) कैबिनेट मीटिंग में लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। सरकार ने तय किया है लैंड पूलिंग में जमीन के बदले किसानों को प्लॉट का कब्जा देने तक सरकार उनको 1 लाख रुपए सालाना देगी। अगर इसमें देरी होती है तो हर साल इस राशि में 10 फीसदी इजाफा किया जाएगा। वहीं, जब तक एरिया विकसित नहीं होता है, तो किसान उस पर खेती कर पाएंगे। (पूरी खबर पढ़ें)

[ad_2]
क्या है पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी: जिसे विपक्ष पोंजी स्कीम कह रहा, CM मान को देनी पड़ी सफाई; सवाल-जवाब में जानिए – Punjab News

Gurugram News: बिछोर से युवक लापता, चार दिन बाद भी सुराग नहीं  Latest Haryana News

Gurugram News: बिछोर से युवक लापता, चार दिन बाद भी सुराग नहीं Latest Haryana News

Gurugram News: एसएमसी के विलय के विरोध में प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन  Latest Haryana News

Gurugram News: एसएमसी के विलय के विरोध में प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन Latest Haryana News