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सिरसा. हरियाणा के सिरसा में जगमालवाली डेरा मुखी के निधन से गद्दी विवाद के चलते बुधवार शाम 5 बजे से गुरुवार की रात 12 बजे तक सिरसा में इंटरनेट बंद किया गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले डेरा जगमालवाली (Sirsa Dera Jagmalwali) में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील का निधन हुआ था और इसके बाद 2 पक्षों में गद्दी का विवाद छिड़ा हुआ है. सिरसा में ही गुरुवार को डेरा प्रमुख की रस्म पगड़ी होने जा रही है. यहां पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.
हरियाणा के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने सिरसा के DC को चिट्ठी लिखकर नेट बंद करने के आदेश दिए और कहा कि जिले में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है.
बता दें कि डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब का निधन 1 अगस्त को हो गया था और जिस दिन डेरा प्रमुख का पार्थिव शरीर डेरा लाया गया, उसी दिन से ही गद्दी को लेकर विवाद हो गया था और 2 पक्षों में फायरिंग भी हुई. तब से लेकर आज तक गद्दी पर फैसला नहीं हो पाया है.
सूफी सिंगर बीरेंद्र सिंह और भतीजे में चल रही गद्दी की लड़ाई
डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील के निधन के बाद डेरे के मुख्य सेवक सूफी गायक महात्मा बीरेंद्र सिंह गद्दी पर वसीयत के आधार पर अपना दावा ठोक रहे हैं. वहीं, डेरामुखी के भतीजे अमर सिंह वसीयत और उनकी मौत को संदिग्ध मान रहे हैं. यह दोनों पक्ष आमने-सामने हैं.
भतीजे का दावा: मौत की जानकारी छिपाई
डेरा मुखी के भतीजे अमर सिंह का दावा है कि डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी. मौत के बाद डेरे और संगत को गुमराह किया गया कि महाराज जी की हालत स्थिर बनी हुई है. गद्दी हथियाने के चक्कर में जानबूझकर मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को उनकी मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई. बीरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह सब किया.
हाल ही सिरसा में डेरा सच्चा सौदा जगमालवाली के संत वकील साहिब का निधन हो गया था.
मुख्य सेवक बोले- डेढ़ साल पहले की वसीयत
दूसरे पक्ष में महात्मा बीरेंद्र सिंह से जुड़े शमशेर सिंह लहरी ने कहा कि डेरा प्रमुख ने बिना किसी के दबाव में डेरे की वसीयत डेढ़ साल पहले ही महात्मा बीरेंद्र सिंह सिंह के नाम की थी. वसीयत के अनुसार महात्मा बीरेंद्र ही डेरे के उत्तराधिकारी हैं. हालांकि, पहला पक्ष इन्हें उत्तराधिकारी मानने को तैयार नहीं है.
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