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Haryana Air Pollution – फोटो : PTI
विस्तार
मानसून की विदाई और धान की कटाई के साथ हर साल हरियाणा की फिजा में प्रदूषण घुलने लगता है। प्रदेश के कई इलाके गंभीर रूप से वायु प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं। दीपावली के बाद प्रदेश के अधिकतर इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई ) अचानक बहुत खराब यानी रेड जोन (एक्यूआई 300-400) में पहुंच जाता है।
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इसका बड़ा कारण दीपावली पर चलने वाली आतिशबाजी, त्योहार की आड़ में धड़ल्ले से पराली जलाना, त्योहार के चलते ट्रैफिक जाम और मौसम में आया बदलाव होता है। बीते कई वर्षों से देखा जा रहा है कि दीपावली से शुरू वायु प्रदूषण कई दिनों तक स्थिर रहता है। हालांकि हरियाणा सरकार ने मजबूती से दावा करते हुए कहा है कि वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों पर कदम उठाए जा रहे हैं।
पराली जलाने से रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। विंटर एक्शन प्लान के तहत भी शहरों में कदम उठाए जा रहे हैं। पटाखों पर भी नजर रखने की बात कही जा रही है मगर विभाग के इस आदेश का अनुपालन करना इतना आसान नहीं है।
वायु प्रदूषण का असर न सिर्फ स्वास्थ्य पर पड़ता है बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी अब बाधित होने लगी है। मजबूरी में स्कूल प्रशासन को कई दिनों तक स्कूलों को बंद रखना पड़ता है। दीपावली नजदीक आते ही लोगों की फिर से चिंताए बढ़ने लगी कि कहीं इस बार भी दिवाली के अगले दिन हरियाणा गैस चेंबर न बन जाए।
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क्या हरियाणा फिर बनेगा गैस चैंबर?: धुएं में घुलने लगी खुशियों की रोशनी…धीरे-धीरे बढ़ने लगा प्रदूषण; हवा खराब