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सोलनिन की अधिक मात्रा से पेट में दर्द, ऐंठन, मतली (उबकाई), उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं, सोलनिन का अत्यधिक सेवन सिरदर्द, चक्कर आना, बुखार, लो ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन तेज होने जैसे लक्षण पैदा कर सकता है. बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह मांसपेशियों में कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत भी पैदा कर सकता है और रेयर केसेज में कोमा तक की कंडीशन भी बन सकती है.

आलू अपने पोषक तत्वों का उपयोग अंकुरों को विकसित करने में कर देता है, जिससे उसकी पोषण गुणवत्ता जैसे विटामिन और मिनरल्स कम हो जाते हैं. इसके अलावा अंकुरित आलू में स्टार्च शुगर में बदल जाता है, जिससे इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ जाता है. यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर का लेवल तेजी से बढ़ा सकता है.

अगर आलू में छोटे और हल्के अंकुर निकले हैं और आलू ज्यादा नरम या हरा नहीं हुआ है तो आप अंकुरों और हरे हिस्से को काटकर हटा सकते हैं. छिलका उतारकर और अच्छी तरह पकाकर इसके हानिकारक यौगिकों का लेवल कुछ हद तक कम किया जा सकता है. यदि आलू बहुत ज्यादा अंकुरित और नरम हो गया है या उसमें हरापन ज्यादा है तो उसे फेंक देना ही सही ऑप्शन है.

अंकुरित प्याज आलू जितना जहरीला नहीं होता. प्याज में सोलनिन नहीं होता, लेकिन इसमें सल्फर यौगिक होते हैं. ज्यादा अंकुरित प्याज खाने से कुछ लोगों को पाचन संबंधी हल्की दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे गैस या पेट में हल्की गड़बड़ी हो सकती है.

अंकुरित होने पर प्याज का स्वाद थोड़ा कड़वा हो सकता है और इसकी बनावट नरम या रबर जैसी हो सकती है. यदि प्याज ज्यादा समय से रखा है और उसमें अंकुर निकल आए हैं तो उस पर फफूंदी लगने या सड़ने की आशंका बढ़ जाती है. फफूंदी लगा या सड़ा हुआ प्याज खाना फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आलू और प्याज को कभी एक साथ नहीं रखना चाहिए. प्याज से निकलने वाली एथिलीन गैस आलू के अंकुरण की प्रक्रिया को तेज कर देती है, जिससे आलू जल्दी खराब हो जाते हैं. इन्हें ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह पर अलग-अलग स्टोर करना चाहिए.

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Published at : 14 Jul 2025 07:34 AM (IST)
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