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इंटरमिटेंट फास्टिंग एक प्रकार का खाने का पैटर्न होता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग को शुरुआत में सिर्फ वजन घटाने के तरीके के तौर पर अपनाया गया था. लेकिन धीरे-धीरे इसे डायबिटीज कंट्रोल और लिवर हेल्थ सुधारने के लिए भी जाना जाने लगा है. कई रिसर्च में बताया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान शरीर में ऐसे मेटाबॉलिक बदलाव होते हैं जो सेल्स को खुद की मरम्मत करने और सूजन कम करने में मदद करते हैं. इस वजह से इसे लिवर के लिए फायदेमंद माना जाने लगा है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्या सच में इंटरमिटेंट फास्टिंग लिवर को ठीक कर सकती है.
कैसे काम करती हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग का बेसिक रूल एक तय समय के लिए खाना बंद करना है. एक तय समय के लिए खाना बंद करने से शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की जगह फैट का इस्तेमाल करने लगता है. वहीं इस बदलाव को मेटाबॉलिक स्विचिंग कहा जाता है. इस प्रक्रिया में सेल्स ऐसी एक्टिविटी शुरू कर देते हैं जो शरीर में ऑक्सीडेटिव और मेटाबॉलिक स्ट्रेस को कम करती है. इससे खराब सेल्स हटते हैं और डैमेज सेल्स की मरम्मत होती है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार
- टाइम रिस्ट्रिक्टेड फास्टिंग– टाइम रिस्ट्रिक्टेड फास्टिंग में 16 घंटे का फास्ट होता है और सिर्फ 8 घंटे के अंदर खाना खाया जाता है.
- ऑल्टरनेटेड फास्टिंग– ऑल्टरनेट डे फास्टिंग का मतलब होता है कि एक दिन खाना खाना और 1 दिन फास्ट करना या किसी खास दिन फास्ट करना.
- मॉडिफाई फास्टिंग– मॉडिफाई फास्टिंग का मतलब हफ्ते में 1 से 2 दिन कैलोरी को 20 से 25 प्रतिशत सीमित करना होता है.
- फास्टिंग मिमिक्किंग डाइट– फास्टिंग मिमिक्किंग डाइट 5 दिनों का एक साइकिल होता है, जिसमें बहुत कम कैलोरी वाले पैकेज्ड फूड दिए जाते हैं.
लिवर डिजीज और इंटरमिटेंट फास्टिंग का कनेक्शन
दुनिया भर में ओबेसिटी और उससे जुड़ी बीमारियों के बढ़ने के साथ-साथ नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज सबसे आम क्रॉनिक लिवर डिजीज बन चुका है. इसमें लिवर में फैट जमा होता है और धीरे-धीरे सूजन फाइब्रोसिस और आगे चलकर सिरोसिस तक की समस्या हो सकती है. इसे कंट्रोल करने का सबसे पहला और असरदार तरीका डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव होता है. वहीं कई रिसर्च बताती है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से लिवर में जमा फैट कम होता है, सूजन और स्टेटोसिस में सुधार होता है. AST और ALT जैसे लिवर एंजाइम बेहतर होते हैं. इसके अलावा वजन, फैट मांस और कोलेस्ट्रॉल लेवल में भी कमी आती है. वहीं 12 हफ्तों की एक स्टडी में पाया गया है कि 5:2 इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट से NAFLD मरीजों में वजन से लेकर लीवर एंजाइम तक कई पैरामीटर बेहतर हुए हैं.
क्या है ऑटोफैजी लीवर रिपेयर की प्रक्रिया?
फास्टिंग के दौरान ऑटोफैजी शुरू होती है. यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर खराब सेल्स और बेकार पदार्थों को खुद साफ करके नए सेल्स बनाने में मदद करता है. यह लिवर सेल्स की मरम्मत में भी जरूरी भूमिका निभाती है. इसके अलावा आईएफ लिवर में सूजन कम करती है, जिससे लीवर डिजीज के आगे बढ़ने की संभावना घट सकती है. हालांकि इसे लेकर शुरुआती स्टडी के नतीजे पॉजिटिव है, लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग से लिवर की समस्याएं ठीक होने की यह स्टडीज छोटी है. वहीं इसके लंबे समय के रिजल्ट भी साफ नहीं है. इसके अलावा सभी तरह के लिवर रोगियों के लिए एक जैसा असर भी से नहीं मिलता है, इसलिए इसे लिवर को ठीक करने का पक्का इलाज कहना अभी भी जल्दबाजी माना जाता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग से ठीक हो जाता है लिवर? जानें इसके पीछे का पूरा सच

