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Loneliness and Dementia : अकेलापन धीमे जहर की तरह है. यह अपने आप में कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब हद से ज्यादा हो जाता है तो कई खतरनाक समस्याएं पैदा कर सकता है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मेंटल हेल्थ को होता है. अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में पाया गया है कि अकेलेपन से डिमेंशिया (Dementia) का खतरा 31% तक बढ़ जाता है. नेचर मेंटल हेल्थ में पब्लिश नए रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें डिमेंशिया होने की आशंका ज्यादा होती है. इससे दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. आइए जानते हैं क्या कहता है रिसर्च…
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अकेलापन कितना खतरनाक
अकेलेपन को अक्सर ही डिप्रेशन और उदासी से जोड़कर देखा जाता है. ज्यादातर लोगों का मानना है कि अकेले रहने से इंसान मेंटली वीक होता है. यह काफी हद तक सही भी हो सकता है. मायो क्लिनिक की एक रिसर्च यह भी कहती है कि अकेलेपन का असर सिर्फ मेंटल हेल्थ ही नहीं बल्कि बायोलॉजिकल भी हो सकता है. इससे इंसान जल्दी बूढ़ा हो सकता है. अकेलापन निगेटिव विचार भी पैदा करता है. इससे कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. कई बार इंसान सुसाइड तक की सोचने लगता है.
अकेलापन क्या कहता है
क्या कहता है अध्ययन
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन की सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की लेखिका मार्टिना लुचेती का कहना है कि हाल के कुछ सालों में देखा गया है कि सामाजिक स्तर पर कटे रहने वाले और कम दोस्त रखने वालों में मेमोरी लॉस यानी डिमेंशिया ज्यादा होता है. लुचेती और उनकी रिसर्च टीम ने दुनियाभर के 608,561 लोगों का डेटा एनालिसिस करने और 21 स्टडीज को देखने के बाद पाया कि अकेलेपन से डिमेंशइया का खतरा बढ़ता है.
इस रिसर्च में अमेरिका, यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका से डेटा लिया गया. न्यूरोसाइकोलॉजिकल टेस्ट से इसमें शामिल सभी लोगों के अकेलेपन को स्तर को पहचानने की कोशिश की गई और पाया गया कि ऐसे लोग समाज से खुद को अलग पाते हैं और उनमें भूलने की बीमारी जल्दी हो सकती है.
1. दिल की बीमारियां बढ़ती हैं.
2. डायबिटीज
3. पाचन से जुड़ी समस्याएं
4. नींद न आना
5. डिप्रेशन-स्ट्रेस, मानसिक तनाव, सुसाइड का ख्याल आना, मेंटल डिसऑर्डर
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क्या अकेलेपन से बढ़ जाता है डिमेंशिया का खतरा? नई रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा