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India Healthcare Sector: कोरोना महामारी के बाद से देश में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को लेकर लोगों में सजगता बढ़ी है. इसका नतीजा है कि देश में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर मार्केट का लगातार विस्तार हो रहा है. जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) के मुताबिक, भारत का प्रिवेंटिव हेल्थकेयर मार्केट पिछले चार वर्षों में दोगुना हो गया है, जिसमें अकेले ‘वेलनेस और फिटनेस’ का योगदान 98 बिलियन डॉलर है और कुल बाजार आकार का 51 प्रतिशत है.
प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के पास भी पैसा बनाने का एक बड़ा अवसर है, क्योंकि बाजार का अनुमानित आकार 2025 तक 197 बिलियन डॉलर यानी करीब 8 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. कामथ ने एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, “पिछले दशक में स्वास्थ्य से जुड़ी हर चीज बहुत जल्दी लगती थी. यह स्थिति अब बदल रही है और शहरी भारत में हेल्थ और लंबी आयु मेनस्ट्रीम बन रहे हैं.”
पोस्ट में साझा किए गए डेटा के अनुसार, कोविड महामारी के समय से लाइव फिटनेस कंटेंट की खपत में 1,300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसने स्वास्थ्य के बारे में दुनिया के दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल दिया है. यह बढ़ती हुई चेतना ही है जिसका लाभ भारत को मिलने वाला है. इस पोस्ट ने भारत में वियरेबल्स और जिम जाने वालों कम पेनिट्रेशन की तुलना दुनिया से कर फिटनेस इंडस्ट्री के संभावित विकास के बारे में उन्होने जानकारी दी है.
कामथ ने अपने पोस्ट में बताया कि, 2021 के आंकड़ों के मुताबिकर, भारत में प्रति 10,000 लोगों पर 114 यूनिट फिटनेस वियरेबल्स बेची जाती हैं, जबकि वैश्विक औसत 645 है. इससे वैश्विक संख्या के मुकाबले भारत में फिटनेस वियरेबल की बिक्री 82 प्रतिशत कम है. भारतीय प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर सालाना औसतन 4,000 से 10,000 रुपये तक लोग खर्च करते हैं. उनकी पोस्ट के अनुसार, प्रिवेंटिव हेल्थकेयर में व्यायाम, स्वस्थ पोषण, स्वास्थ्य बीमा, शीघ्र निदान और स्वास्थ्य ट्रैकिंग शामिल हैं.
निखिल कामथ ने बका, जिम सब्सक्रिप्शन के मामले में भारत बहुत पीछे है, जो दुनिया की कुल संख्या का 0.2 प्रतिशत है. आंकड़ों के अनुसार, “इसके अलावा, न केवल हमारे पास दुनिया में सबसे कम जिम सब्सक्रिप्शन है, बल्कि 50 प्रतिशत से अधिक जिम मेंबर नियमित रूप से जिम नहीं जाते हैं. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि भारत में वर्तमान में कुल 96,278 जिम हैं.”
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