कैथल पहुंची लाल दवा की आठ हजार खुराक


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लंपी वायरस के संक्रमण से गोशाला संचालक चिंतित में है। गोशालाओं में संक्रमित पशु मिलने के बाद उन्हें अलग कर उपचार दिया जा रहा है, ताकि अन्य पशुओं को संक्रमण से बचाया जा सके। दूसरी ओर बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग तकरीबन आठ हजार डोज की दवाई खरीद ली है, जिसे गोशालाओं में पहुंचाया जा रहा है। विभाग के अनुसार 12 हजार डोज मंगलवार तक जिले में पहुंच जाएगी।
कैथल शहर में नंदी कपिस्थल, गोपाल, कृष्ण गोशाला, पूंडरी और ढांड सहित 20 गोशालाएं है, जहां लंपी वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। यहां पशु चिकित्सकों की टीम को नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। कपिल स्थल गोशाला के प्रधान शमशेर सिंह ने बताया कि उनकी गोशाला में 10 से 15 गायों में लंपी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। गायों को बीमारी से बचाने के लिए अपने स्तर पर दवाइयों का प्रबंध किया है। वहीं कुछ दवाइयां पशुपालन विभाग ने भी उपलब्ध करवाई हैं। दूसरी तरफ पशुपालन विभाग के अनुसार गोशालाओं पर विशेष नजर रखी जा रही है। 24 डॉक्टरों को गोशालाओं में गायों की देखभाल करने का जिम्मा दिया गया है। डॉक्टरों की ओर से समय-समय पर लक्षण मिलने वाली गायों को दवाइयां दी जा रही हैं। पशुपालन विभाग के एसडीओ कुलदीप ने बताया कि गोशालाओं में डॉक्टरों की टीम तैनात कर दी गई है। लक्षण दिखने वाली गायों को अलग रखवाया जा रहा है। आठ हजार डोज लाल दवाई पहुंच गई है। जल्द गोशालाओं में लाल दवाई पहुंचा दी जाएगी।
पशुओं की घटने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
लंपी पशुओं को होने वाली एक वायरल बीमारी है। ये पॉक्स वायरस से गायों में फैलती है। यह बीमारी मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे पशुओं में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। पशु के शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं और पशु खाना कम कर देता है। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और बुखार होता है।
इन बातों का रखें ध्यान-
गायों को एक से दूसरे जिले में ले जाना तुरंत बंद करें। खून चूसने, संक्रमण फैलाने वाले मच्छर-मक्खियों से बचाएं। संभव हो तो बाड़े के बाहर न निकालें। बाड़ा भी साफ, सूखा व मच्छर-मक्खी रहित बनाए रखें। रात के समय गायों को एक से दूसरी जगह न ले जाएं। बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।

लंपी वायरस के संक्रमण से गोशाला संचालक चिंतित में है। गोशालाओं में संक्रमित पशु मिलने के बाद उन्हें अलग कर उपचार दिया जा रहा है, ताकि अन्य पशुओं को संक्रमण से बचाया जा सके। दूसरी ओर बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग तकरीबन आठ हजार डोज की दवाई खरीद ली है, जिसे गोशालाओं में पहुंचाया जा रहा है। विभाग के अनुसार 12 हजार डोज मंगलवार तक जिले में पहुंच जाएगी।

कैथल शहर में नंदी कपिस्थल, गोपाल, कृष्ण गोशाला, पूंडरी और ढांड सहित 20 गोशालाएं है, जहां लंपी वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। यहां पशु चिकित्सकों की टीम को नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। कपिल स्थल गोशाला के प्रधान शमशेर सिंह ने बताया कि उनकी गोशाला में 10 से 15 गायों में लंपी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। गायों को बीमारी से बचाने के लिए अपने स्तर पर दवाइयों का प्रबंध किया है। वहीं कुछ दवाइयां पशुपालन विभाग ने भी उपलब्ध करवाई हैं। दूसरी तरफ पशुपालन विभाग के अनुसार गोशालाओं पर विशेष नजर रखी जा रही है। 24 डॉक्टरों को गोशालाओं में गायों की देखभाल करने का जिम्मा दिया गया है। डॉक्टरों की ओर से समय-समय पर लक्षण मिलने वाली गायों को दवाइयां दी जा रही हैं। पशुपालन विभाग के एसडीओ कुलदीप ने बताया कि गोशालाओं में डॉक्टरों की टीम तैनात कर दी गई है। लक्षण दिखने वाली गायों को अलग रखवाया जा रहा है। आठ हजार डोज लाल दवाई पहुंच गई है। जल्द गोशालाओं में लाल दवाई पहुंचा दी जाएगी।

पशुओं की घटने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

लंपी पशुओं को होने वाली एक वायरल बीमारी है। ये पॉक्स वायरस से गायों में फैलती है। यह बीमारी मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे पशुओं में फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। पशु के शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं और पशु खाना कम कर देता है। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और बुखार होता है।

इन बातों का रखें ध्यान-

गायों को एक से दूसरे जिले में ले जाना तुरंत बंद करें। खून चूसने, संक्रमण फैलाने वाले मच्छर-मक्खियों से बचाएं। संभव हो तो बाड़े के बाहर न निकालें। बाड़ा भी साफ, सूखा व मच्छर-मक्खी रहित बनाए रखें। रात के समय गायों को एक से दूसरी जगह न ले जाएं। बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।

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