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केरल में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से 58 वर्षीय शख्स की मौत, अस्पताल में चल रहा था इलाज – India TV Hindi Politics & News

केरल में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से 58 वर्षीय शख्स की मौत, अस्पताल में चल रहा था इलाज – India TV Hindi Politics & News

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Image Source : FILE PHOTO
प्रतीकात्मक तस्वीर

केरल में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित एक 58 वर्षीय शख्स की सोमवार को मौत हो गई। बता दें कि मृतक की पहचान जॉय इयपे के रूप में हुई हो जो मूल रूप से कोच्चि के कवाना का रहने वाला था। जॉय को इलाज के लिए कोट्टायम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, केरल में जीबीएस से मौत का यह पहला मामला है। जॉय का पिछले 28 दिनों से कोट्टायम मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने जीबीएस को मौत की वजह बताई है। बता दें कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र का पुणे शहर है। 

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जीबीएस के लक्षण

जीबीएस के लक्षणों में पैर का सुन्न होना और पैर में झुन्नी, मांसपेशियों का कामजोर होना और मांसपेशियों में दर्द होना शामिल है। बता दें कि जीबीएस एक दुर्लभ ऑटोइम्यून कंडिशन है, जिसमें इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्व्स पर अटैक करती है। जीबीएस के ज्यादातर मामलों में दूषित पानी को अहम वजह माना गया है। वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीते दिनों पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से ग्रसित 2 और लोगों की मौत हो गई है। इस तरह पुणे में जीबीएस से मरने वालों की कुल संख्य़ा 11 पहुंच चुकी है। वहीं आंध्र प्रदेश में बीते दिनों गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से पीड़ित 45 वर्षीय महिला और एक नाबालिग लड़के की मौत हो गई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने सोमवार को यह जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कमलम्मा की मौत रविवार को गुंटूर के सरकारी जनरल अस्पताल में हुई जबकि 10 वर्षीय लड़के की दस दिन पहले श्रीकाकुलम के एक निजी मेडिकल कॉलेज में मृत्यु हो गई। 

आंध्र प्रदेश में जीबीएस के 17 मामले

यादव ने पीटीआई-भाषा को बताया, ”इस समय 17 जीबीएस मामले हैं। यह एक गैर-संचारी रोग है। जीबीएस के मामलों में अचानक वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि यह सामान्य स्थिति है।” यादव के अनुसार, वर्ष 2024 में इस बीमारी के कुल 267 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 141 मामले वर्ष की पहली छमाही में और 126 दूसरी छमाही में सामने आए थे। मंत्री ने बताया कि औसतन हर महीने 25 मामले सामने आते हैं जिनमें से अधिकांश का इलाज सामान्य रूप से किया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन और आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता होती है। जीबीएस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला कर देती है जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और झुनझुनी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

(इनपुट-भाषा के साथ)

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