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Union Budget 2025: विकसित भारत के सपनों को पूरा करने के लिए भारत सरकार इस बार बजट का खजाना खेत और खेती की ओर भी खोल सकती है. कृषि की हिस्सेदारी इंडियन इकोनॉमी या जीडीपी में भले ही कम हो, लेकिन आज भी यह सबसे अधिक रोजगार का आधार है. भारत की रीढ़ कहे जाने वाले एग्रीकल्चर सेक्टर को अधिक से अधिक एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सरकार बजट में प्रावधान कर सकती है. इसलिए एग्रीकल्चर सेक्टर में प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर सरकार मेहरबान हो सकती है. किसानों की मांग, हाल के दिनों में सरकार की पहल और सत्ता पक्ष के लगातार आ रहे बयान को देखते हुए ऐसा लग रहा है.
रूरल इनकम बढ़ाकर पूरी इकोनॉमी को बूस्ट करने की है रणनीति
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार की रणनीति रूरल इनकम बढ़ाकर ओवरऑल इकोनॉमी को बूस्ट करने की है. इसके लिए कृषि से संबद्ध क्षेत्रों के विकास और कृषि आधारित निर्यात को बढ़ावा देने की दीर्घकालिक रणनीति पर सरकार काम कर रही है. इससे किसान भी अन्न उगाकर केवल अपना पेट भरने के बजाय देश के लिए विदेशी मुद्रा लाने वाले बन सकते हैं. इस रणनीति में देश में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार भी शामिल है. इससे वैसी जमीनों को जहां अभी तक सिंचाई सुविधाएं नहीं पहुंची हैं, उन्हें सिंचाई सुविधाओं से लैस कर प्रॉडक्टिविटी बढ़ाई जा सकती है.
रूरल वर्कफोर्स के स्किल डेवलपमेंट पर रहेगा फोकस
कृषि के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज देने की रणनीति को अमली जामा पहनाने हेतु भी बजट में कई प्रावधान किए जा सकते हैं. इसके लिए रूरल वर्कफोर्स के स्किल डेवलपमेंट को बढावा देने पर भी एग्रीकल्चर बजट का फोकस हो सकता है. रूरल वर्कफोर्स का स्किल डेवलपमेंट कर सरकार जहां कृषि से अधिक से अधिक आमदनी सुनिश्चित करना चाहती है, वहीं एग्रीकल्चर के एलायड सेक्टर में आर्थिक गतिविधियों में इकोनॉमी को विस्तार देने पर फोकस करना चाह रही है. यह रूरल वर्कफोर्स को उतना ही समय देने पर आमदनी के कई सारे उपाय उपलब्ध कराएगा.
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कृषि क्षेत्र के लिए ऐसे खुलेगा बजट का खजाना कि खेत उगलेंगे सोना