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मंत्री जी, मेरा व मेरे भाई का फर्जी शपथ पत्र देकर अधिकारियों से मिलीभगत से बिजली कनेक्शन बिमला देवी के नाम कर दिया। इसी कनेक्शन को फिर राजबीर सिंह के नाम कर दिया। इसकी शिकायत केयूके थाने से लेकर पुलिस अधीक्षक तक दी। कार्रवाई के लिए सात माह तक भटकता रहा। तीन-तीन जांच अधिकारी आए लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की और बेहद मुश्किल से मामला दर्ज हो पाया। लेकिन इन सात माह के दौरान जो मानसिक व आर्थिक पीड़ा झेली उसका जिम्मेदार कौन। तीनों जांच अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
यह पीड़ा गांव अमीन के रहने वाले सलिंद्र सिंह ने रखी, जिसके साथ ही पुलिस कार्रवाई पर सवाल भी उठाए। मौका था जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की बैठक का, जिसकी अध्यक्षता खाद् एवं पूर्ति राज्यमंत्री राजेश नागर कर रहे थे। पीड़ित की यह गुहार सुनकर वे भी हैरान से रह गए तो पुलिस अधिकारियों से जवाब भी मांगा। अधिकारियों ने असल शपथ पत्र मिलने में देरी मानी तो पीड़ित ने कहा कि वह आज तक भी नहीं मिल पाया तो फिर सात माह बाद भी एफआईआर क्यों की गई। मंत्री ने माना कि यह उनके आदेश के बाद ही हुई है। इस पर पीड़ित ने कहा कि आपके पास नहीं आते तो ऐसे ही भटकते रहते। बाद में राज्यमंत्री ने सही जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए तो पीड़ित को सही न्याय दिलाने का भरोसा भी दिया। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने में सात माह का समय लगाने वाले तीन पुलिस जांच अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।
बैठक में 14 शिकायतें रखी गई थी, इनमें से छह शिकायतों का मौके पर ही समाधान किया गया। तीन शिकायतों का केस अदालत में विचाराधीन है तथा शेष पांच शिकायतों पर अधिकारियों को तेजी से कार्य करने के आदेश दिए
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