[ad_1]
Last Updated:
Kurukshetra News : कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल का कहना है, ‘चूहों की इतनी बड़ी संख्या अब चिंता का विषय बन गई है. लेकिन समस्या यह है कि चूहों को मारने पर धार्मिक पाप लगने का डर है.

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, परिक्रमा पथ के पत्थर भी उखड़ने लगे हैं. पथ के धंसने और पत्थर उड़खने से परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है. आपको बता दें, ब्रह्मसरोवर एशिया का सबसे बड़ा धार्मिक सरोवर है, जिसकी देखरेख कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) करता है.
ब्रह्मसरोवर की देखरेख करने वाले कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल का कहना है, ‘चूहों की इतनी बड़ी संख्या अब चिंता का विषय बन गई है. लेकिन समस्या यह है कि चूहों को मारने पर धार्मिक पाप लगने का डर है. इसी कारण अब KDB ने विशेषज्ञों और सिंचाई विभाग से सलाह लेना शुरू किया है.’
क्या है ब्रह्मसरोवर पर चूहों के बढ़ने की वजहें…
ब्रह्मसरोवर में चूहों के बढ़ने की मुख्य दो वजह है. पहली वजह तो यह है कि ब्रह्मसरोवर के दक्षिणी गेट के पास आढ़ती गेहूं और धान के ढेर लगा देते हैं. यही चूहों को सरोवर तक खींच लाते हैं. वहीं, दूसरी वजह है कि श्रद्धालु सरोवर की मछलियों को आटा डालते हैं, जो चूहों के लिए भी भोजन बन जाता है. पूजा-अर्चना की सामग्री भी उन्हें आकर्षित करती है.
VIP घाट पर मिट्टी के खोखले होने और पत्थरों के उखड़ने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के फिसलने और चोटिल होने की आशंका बनी रहती है. इतना ही नहीं, ब्रह्मसरोवर में हर रोज हजारों-लाखों श्रद्धालु स्नान करते और अमावस्या जैसे विशेष पर्वों पर यहां बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है. चूहों की मौजूदगी से वहां बीमारियों के फैलने का खतरा और बढ़ जाता है.
क्या है ब्रह्मसरोवर का महत्व
178 एकड़ में फैला एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सरोवर है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहां यज्ञ कर ब्रह्मांड यानी सृष्टि की शुरुआत की थी, इसलिए इस जगह का नाम ब्रह्मसरोवर पड़ा. वामन पुराण, अल-बेरूनी और अबुल फजल के कई धार्मिक ग्रंथों में भी इसका जिक्र मिलता है. हण, अमावस्या और गीता जयंती मेले पर लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं.

राहुल गोयल सीनियर पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. साल 2011 में पत्रकारिता का सफर शुरू किया. नवभारत टाइम्स, वॉयस ऑफ लखनऊ, दैनिक भास्कर, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम करने का अनुभव. सा…और पढ़ें
राहुल गोयल सीनियर पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. साल 2011 में पत्रकारिता का सफर शुरू किया. नवभारत टाइम्स, वॉयस ऑफ लखनऊ, दैनिक भास्कर, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम करने का अनुभव. सा… और पढ़ें
[ad_2]