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देहरादून. कई युवा कांवड़ियों की हुड़दंग को लेकर लोग आलोचना करते हैं, लेकिन यहां एक कांवड़िये की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं. इस कावंड़िये का नाम सचिन खंडेलवाल है. 25 साल का सचिन हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाला है. वह हरिद्वार से गंगा जल लाने के लिए जा रहा था, तभी रास्ते में रुड़की के पास एक कार ने उसे टक्कर मार दी. मौत को करीब आता देखकर सचिन ने एक ऐसा फैसला किया, जिसने 5 लोगों को नई जिंदगी दे दी. उनके इस कदम से लोग उन्हें देवता की संज्ञा दे रहे हैं.
दरअसल सचिन ने मरने से पहले अपना अंग दान करने का फैसला किया. उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वह कोमा में चले गए थे. इसके तुरंत बाद उनकी मौत हो गई.
किसी को किडनी मिली तो किसी को रोशनी
इसके बाद डॉक्टरों ने पूछा तो सचिन के परिवार ने उनके अंगदान के लिए हामी भर दी. इसके बाद गुरुवार को देहरादून पुलिस ने एम्स ऋषिकेश से देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया, ताकि उनके अंगों को जल्दी से जल्दी दूसरी जगह पहुंचाया जा सके. उनके किडनी, पैंक्रियाज और लिवर को ट्रांसप्लांटेशन के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीअरी साइंसेज (ILBS) भेजा गया. वहीं सचिन के कॉर्निया की वजह से उत्तराखंड में दो मरीजों को शनिवार को आंखों की रोशनी मिल गई.
सचिन के छोटे भाई पंकज खंडेलवाल गुड़गांव में काम करते हैं. उन्होंने बताया, ‘कहते हैं कि जीवन में कम से कम दो बार कांवड़ यात्रा जरूर करनी चाहिए. हम दोनों बहुत छोटे थे, जब हम पहली बार कांवड़ यात्रा पर गए थे. इस बार वह अकेले गए थे. काश मैं उनके साथ होता.’
एम्स ऋषिकेश में यह पहला मौका था, जब किसी मृत व्यक्ति के अंगदान की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने कहा, ‘हमने न केवल आधुनिक चिकित्सा तकनीक में एक मील का पत्थर हासिल किया है, बल्कि प्रशासनिक मदद से लोगों की जान बचाने की अपनी अद्भुत क्षमता का भी परिचय दिया है.’
Tags: Dehradun news, Kanwar yatra
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