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1 घंटे पहले
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कल्याणी शुक्ला सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड एनर्जी सिक्योरिटी में रिसर्च कंसल्टेंट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट-भाषण की शुरुआत तेलुगु कवि गुरजाड अप्पाराव की इन पंक्तियों से की थी : ‘देश सिर्फ उसकी मिट्टी ही नहीं, उसके लोग भी हैं।’ इस वर्ष के बजट का फोकस ‘सबका विकास’ पर था, जो विकसित भारत के विजन के अनुरूप है। लेकिन इस विजन का सम्बंध ‘स्वच्छ भारत, हरित भारत’ के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताने और 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को अर्जित करने से भी है।
इस वित्तीय वर्ष में रीन्यूएबल एनर्जी (आरई) के लिए किया गया बजट आवंटन भी इस पर जोर देता है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। कुल परिव्यय ₹26,549 करोड़ रुपयों का होगा। पिछले वर्षों की तुलना में यह बहुत अधिक है। यह बताता है कि भारत जीवाश्म ईंधन से दूर होकर स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर निरंतर बढ़ रहा है।
2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए इस बार के बजट में सौर ऊर्जा क्षमता के विस्तार पर खासा जोर दिया गया है। पीएम सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना और पीएम कुसुम योजना जैसी प्रमुख पहलें इसके केंद्र में हैं।
पीएम सूर्य घर के अंतर्गत लगभग दस लाख रूफटॉप प्रणालियां (आरटीएस) स्थापित की जा चुकी हैं। इस योजना को 20,000 करोड़ रु. दिए गए हैं। प्रारंभिक योजना में मार्च 2026 तक 40 लाख घरों और मार्च 2027 तक एक करोड़ घरों तक पहुंचने की परिकल्पना की गई थी। इसके साथ सोलर पॉवर ग्रिड प्रोग्राम को भी 1500 करोड़ दिए गए हैं।
इन पहलों को सौर सेल्स पर कस्टम ड्यूटी को 25% से घटाकर 20% करने जैसे नीतिगत उपायों से बल मिला है। सोलर पीवी सेल्स की मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पीएम कुसुम योजना का रणनीतिक उद्देश्य कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से जोड़ना है, जिसके लिए बजट में 2,600 करोड़ रु. का महत्वपूर्ण आवंटन किया गया है।
बजट का व्यापक दृष्टिकोण ग्रिड-एकीकरण में सुधार और अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन क्षमता का विस्तार करने तक फैला हुआ है। इससे बढ़ी हुई रीन्यूएबल ऊर्जा क्षमता को राष्ट्रीय ग्रिड में निर्बाध रूप से समाहित करने में सुविधा होगी।
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर भी भारत के रीन्यूएबल एनर्जी बुनियादी ढांचे के विकास का महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है। इसके लिए बजट में 600 करोड़ दिए गए हैं। विद्युत प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने के लिए फंडिंग बढ़ाई गई है। हालांकि ये आवंटन सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, लेकिन इनके वर्ष-दर-वर्ष वित्तपोषण में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है।
इस पहल को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (एसजीआरबी) से प्राप्त आय का समर्थन प्राप्त है, जिसके तहत सरकार ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर सहित विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 20,000 करोड़ जुटाए हैं। ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर भारत की व्यापक स्वच्छ ऊर्जा रणनीति का अंग है, जो रीन्यूएबल एनर्जी के फैलाव को सुगम बनाएगा और ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन के लिए सरकार की पहल भी स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दर्शाती है। बजट में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को 600 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष से दोगुना है।
पूंजीगत व्यय के लिए निर्धारित 535 करोड़ रुपए के साथ यह मिशन घरेलू इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग को समर्थन देने के लिए बनाया गया है, जो हरित बिजली का उपयोग करके पानी से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
बायो-एनर्जी कार्यक्रम के लिए भी 325 करोड़ दिए गए हैं। परमाणु ऊर्जा पर ध्यान देते हुए 2020 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। हालांकि पवन ऊर्जा के लिए आवंटन में गिरावट है। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)
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