कर्तव्यपालन का पाठ पढ़ाती है गीता : दत्तात्रेय


संत सम्मेलन का शुभारंभ करते राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय।  संवाद

संत सम्मेलन का शुभारंभ करते राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय। संवाद
– फोटो : Kurukshetra

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संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था इसलिए आज के इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा का संदेश दिया था। हमारी धर्म और संस्कृति पर इतने हमले हुए, लेकिन इसके बावजूद इसे कोई नष्ट नहीं कर पाया। कर्तव्य का पालन करना ही हमारा धर्म है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्यपालन करने का ही संदेश दिया था। यह विचार राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने व्यक्त किए।
वे शनिवार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के चलते ब्रह्मसरोवर तट पर पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित संत सम्मेलन में संबोधन कर रहे थे। सम्मेलन में दूरदराज से आए संतों ने गीता के मर्म पर मंथन किया। सम्मेलन की अगुवाई गीता मनीषी ज्ञानानंद ने की। वहीं हरियाणा के राज्यपाल के अलावा पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी मुख्य तौर पर पहुंचे।
राज्यपाल ने कहा कि आज समाज में चरित्र निर्माण की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति के तहत नैतिक मूल्यों को जोड़कर गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। गीता जीवन का मूल है। हमें अपने मन को स्थिर रखना जरुरी है। गीता नित्य नूतन है, जो सारे विश्व में ज्ञान दे रही है।
गीता मनीषी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता जयंती आस्था का पर्व है। पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा सरकार ने गीता जयंती को विराट स्वरूप दिया है। पहले कुरुक्षेत्र में गीता जयंती आयोजित की जाती थी लेकिन धीरे-धीरे कार्यक्रमों का विस्तार हुआ, आज गीता जयंती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाई जाती है। स्थाणेश्वर महादेव मंदिर के श्री बंसीपुरी ने कहा कि कुरुक्षेत्र सरस्वती का उद्गम स्थल है। यहां पर अनेक तीर्थ स्थापित हैं, जहां पर लोग सैकड़ों सालों से अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते आए हैं। इस पुण्य भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। गीता सभी ग्रंथों का सार है।
संत देवेंद्रानंद गिरि ने कहा कि भारत विश्वगुरु है और विश्वगुरु ही रहेगा। कुरुक्षेत्र बड़ा पर्यटन स्थल है। कृष्ण के उपदेश को हमें अपने जीवन के आदर्श में धारण करना चाहिए। जीना है तो खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना चाहिए। जैन संत विवेकमुनि ने कहा कि गीता का संदेश हताशा, निराशा को दूर करता है। मनुष्य विषमता, तनाव में रहता है। ऐसे समय में हमें गीता का चिंतन करना चाहिए।
संत गुरविंदर सिंह ने कहा कि सनातन मत जागृत करने वाला है। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि गीता जीवन का आधार है। जो व्यक्ति भगवान या गुरु की शरण में चला जाता है, उसका उद्धार हो जाता है। धर्मदेव महाराज ने कहा कि गीता हमे धर्म का ज्ञान देती है। गीता को अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए। संत देवेंद्र सिंह पटियाला सहित अन्य संतों ने भी विचार व्यक्त किए।
जनसाधारण में जागृति की आवश्यकता : पुरोहित
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि भारत की महान संस्कृति बहुत पुरानी है। यह हजारों साल पुरानी होने के बाद भी जीवंत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गीता का कर्म संदेश ही लेकर कार्य कर रहे हैं और भ्रष्टाचार, बुराईयों को खत्म कर रह हैं। आज हम अंधाधुंध वृक्षों को काट रहे हैं, इससे पर्यावरण नष्ट हो रहा है। जनसाधारण में जागृति की आवश्यकता है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों को बचाने के लिए जागृत करना चाहिए।
संतों की वाणी से मिलती है प्रेरणा : अश्वनी चौबे
केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा कि संतों की वाणी हमें प्रेरणा देती है। संतो की संगत और वाणी जीवन को सहीं दिशा देती है। गीता जयंती के मौके पर साधु संतों का मार्गदर्शन प्रकाश पूंज का काम करेगा। साधु संत जगत कल्याण और लोक कल्याण के लिए कार्य करते हैं। यह हर्ष का विषय है कि प्रदेश सरकार गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मना रही है, इससे गीता का प्रचार व प्रसार विदेशों में भी हो रहा है।

संवाद न्यूज एजेंसी

कुरुक्षेत्र। आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था इसलिए आज के इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा का संदेश दिया था। हमारी धर्म और संस्कृति पर इतने हमले हुए, लेकिन इसके बावजूद इसे कोई नष्ट नहीं कर पाया। कर्तव्य का पालन करना ही हमारा धर्म है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्यपालन करने का ही संदेश दिया था। यह विचार राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने व्यक्त किए।

वे शनिवार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के चलते ब्रह्मसरोवर तट पर पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित संत सम्मेलन में संबोधन कर रहे थे। सम्मेलन में दूरदराज से आए संतों ने गीता के मर्म पर मंथन किया। सम्मेलन की अगुवाई गीता मनीषी ज्ञानानंद ने की। वहीं हरियाणा के राज्यपाल के अलावा पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी मुख्य तौर पर पहुंचे।

राज्यपाल ने कहा कि आज समाज में चरित्र निर्माण की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति के तहत नैतिक मूल्यों को जोड़कर गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। गीता जीवन का मूल है। हमें अपने मन को स्थिर रखना जरुरी है। गीता नित्य नूतन है, जो सारे विश्व में ज्ञान दे रही है।

गीता मनीषी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता जयंती आस्था का पर्व है। पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा सरकार ने गीता जयंती को विराट स्वरूप दिया है। पहले कुरुक्षेत्र में गीता जयंती आयोजित की जाती थी लेकिन धीरे-धीरे कार्यक्रमों का विस्तार हुआ, आज गीता जयंती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाई जाती है। स्थाणेश्वर महादेव मंदिर के श्री बंसीपुरी ने कहा कि कुरुक्षेत्र सरस्वती का उद्गम स्थल है। यहां पर अनेक तीर्थ स्थापित हैं, जहां पर लोग सैकड़ों सालों से अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते आए हैं। इस पुण्य भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। गीता सभी ग्रंथों का सार है।

संत देवेंद्रानंद गिरि ने कहा कि भारत विश्वगुरु है और विश्वगुरु ही रहेगा। कुरुक्षेत्र बड़ा पर्यटन स्थल है। कृष्ण के उपदेश को हमें अपने जीवन के आदर्श में धारण करना चाहिए। जीना है तो खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना चाहिए। जैन संत विवेकमुनि ने कहा कि गीता का संदेश हताशा, निराशा को दूर करता है। मनुष्य विषमता, तनाव में रहता है। ऐसे समय में हमें गीता का चिंतन करना चाहिए।

संत गुरविंदर सिंह ने कहा कि सनातन मत जागृत करने वाला है। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि गीता जीवन का आधार है। जो व्यक्ति भगवान या गुरु की शरण में चला जाता है, उसका उद्धार हो जाता है। धर्मदेव महाराज ने कहा कि गीता हमे धर्म का ज्ञान देती है। गीता को अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए। संत देवेंद्र सिंह पटियाला सहित अन्य संतों ने भी विचार व्यक्त किए।

जनसाधारण में जागृति की आवश्यकता : पुरोहित

पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि भारत की महान संस्कृति बहुत पुरानी है। यह हजारों साल पुरानी होने के बाद भी जीवंत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गीता का कर्म संदेश ही लेकर कार्य कर रहे हैं और भ्रष्टाचार, बुराईयों को खत्म कर रह हैं। आज हम अंधाधुंध वृक्षों को काट रहे हैं, इससे पर्यावरण नष्ट हो रहा है। जनसाधारण में जागृति की आवश्यकता है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों को बचाने के लिए जागृत करना चाहिए।

संतों की वाणी से मिलती है प्रेरणा : अश्वनी चौबे

केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा कि संतों की वाणी हमें प्रेरणा देती है। संतो की संगत और वाणी जीवन को सहीं दिशा देती है। गीता जयंती के मौके पर साधु संतों का मार्गदर्शन प्रकाश पूंज का काम करेगा। साधु संत जगत कल्याण और लोक कल्याण के लिए कार्य करते हैं। यह हर्ष का विषय है कि प्रदेश सरकार गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मना रही है, इससे गीता का प्रचार व प्रसार विदेशों में भी हो रहा है।

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