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Freebies Politics: बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने राज्य सरकारों (State Governments) की ओर चुनावी लाभ के लिए किसानों के कर्ज माफी, मुफ्त बिजली-पानी, मुफ्त बसों में सवारी जैसे लोकलुभावन एलानों को लेकर चिंता जाहिर की है. आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार के लोकलुभावन एलानों के चलते सामाजिक, आर्थिक आधारभूत ढांचे का विकास प्रभावित हो सकता है.
राज्यों के वित्तीय हालत पर आरबीआई की रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार 19 दिसंबर, 2024 को स्टेट्स फाइनेंस: स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2024-25 (State Finances: A Study of Budgets of 2024-25) नाम से एक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि, कई राज्यों ने किसानों के लिए कर्ज माफी का एलान किया है. इसके अलावा राज्यों ने कृषि और घरेलू दोनों ही के लिए मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है. आरबीआई के मुताबिक कुछ राज्यों में मुफ्त ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी दी जा रही है. इसके अलावा बेरोजगार युवाओं को भत्तों के अलावा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महिलाओं को भी मदद दी जा रही है.
सब्सिडी खर्च को नियंत्रित करें राज्य: RBI
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रकार के खर्चों से सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे जैसे बेहद प्रमुख क्षमताओं का विकास प्रभावित हो सकता है. इस प्रकार के लोकलुभावन एलानों से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले इन चीजों का विकास प्रभावित हो सकता है. अपनी रिपोर्ट में आरबीआई ने किसानों के कर्ज माफी, कृषि और घरों को मुफ्त बिजली, फ्री ट्रांसपोर्ट के साथ ही सस्ता एलपीजी सिलेंडर, युवाओं और महिलाओं को कैश ट्रांसफर जैसे मदों में बढ़े खर्च के चलते राज्यों के खजाने पर सब्सिडी के बोझ को खतरनाक करार दिया है. आरबीआई ने राज्यों को अपनी सब्सिडी खर्च को नियंत्रित करने के साथ ही इसे तर्कसंगत बनाने को कहा है जिससे सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के विकास पर किए जाने वाले खर्च के लिए धन की कमी ना हो.
राज्यों की बिजली कंपनियां खस्ताहाल
आरबीआई ने राज्यों के बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों (DISCOMs) की बिगड़ी वित्तीय हालत को लेकर भी अपने रिपोर्ट में चिंता जाहिर की है. आरबीआई के मुताबिक डिस्कॉम्स का फाइनेंशियल हेल्थ राज्यों के वित्तीय स्थिति के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है. फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग के बावजूद राज्यों के बिजली डिस्टरीब्यूशन कंपनियों पर बकाया कर्ज 2016-17 से 8.7 फीसदी के दर की बढ़ोतरी के साथ 2022-23 में 4.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.8 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है जो कि जीडीपी का 2.5 फीसदी है.
चुनावी जीत के लिए लोकलुभावन एलानों की होड़
दरअसल पिछले कुछ वर्षों में राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर लोकलुभावन एलान किए जा रहे हैं जिसके केंद्र में महिलाएं हैं जिनके वोट हासिल करने के लिए सभी दलों द्वारा शाषित राज्यों में ऐसी घोषणाएं की जा रही है.
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