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श्री कृष्ण मंदिर, सेक्टर-14 में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन करते हुए व्यासपीठासीन श्री गोदा विहार मंदिर वृदांवन के पीठाधीश्वर महंत स्वामी शाश्वत आचार्य महाराज ने कहा कि भागवत के पठन एवं श्रवण से भोग और मोक्ष तो सुलभ हो ही जाते हैं साथ ही भगवान के चरण कमलों की अविचल भक्ति भी सहज प्राप्त हो जाती है । मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई अन्य साधन नहीं है।
जिस प्रकार सिंह की गर्जना सुनकर जैसे भेड़िए भाग जाते हैं, वैसे ही भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं । इसके श्रवण मात्र से हरि हृदय में आ विराजते हैं। उन्होंने सती प्रसंग, ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए प्रथु चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि उनके शील गुण से प्रसन्न होकर भगवान ने प्रथुजी को उनकी रूचि के अनुसार दस हजार कानों की शक्ति प्राप्त करने का वरदान दिया, जिससे वे अहर्निश प्रभु का गुणगान सुनते रहें। इसके बाद ऋषभ देव का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को ऋषभ देव जी जैसा आदर्श पिता होना चाहिए। जिन्होंने अपने पुत्रों को समझाया कि इस मानव शरीर को पाकर दिव्य तप करना चाहिए, जिससे अंत:करण की शुद्धि हो ।भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिव्य तप है।
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करनाल: भागवत कथा श्रवण मन की शुद्धि का सब से बड़ा साधन है. महंत स्वामी शाश्वत आचार्य


