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<p style="text-align: justify;">कमर दर्द के रोगी आज दुनिया में हर जगह मौजूद हैं. छोटे से दर्द से शुरू हुई यह समस्या कब बड़ा रूप ले लेती है, पता भी नहीं चलता. धीरे-धीरे यह समस्या इतनी बड़ी हो जाती है कि लोगों को उठने-बैठने और चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है. इस समस्या ने जयपुर की वाल्मीकि बस्ती में रहने वाले विकलांग दत्ता जी को भी परेशान कर रखा था. कई साल से वह कमर दर्द से जूझ रहे थे. आइए जानते हैं उनकी सच्ची कहानी के बारे में. एक दुर्घटना, जिसने सब कुछ बदल दिया.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>ट्रेन में चढ़ते-उतरते वक्त कटे पैर</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">दत्ता जी महाराष्ट्र के पुणे में अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ सुखी जीवन जी रहे थे. ट्रेन में चढ़ने-उतरने के दौरान हुए एक भयानक हादसे में उनके दोनों पैर कट गए, जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. इस दर्दनाक घटना की खबर जब उनके परिवार को मिली तो मानो उनके जीवन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो, क्योंकि परिवार की जिम्मेदारियां उठाने वाले दत्ता जी अब अपने परिवार के लिए एक बोझ बन चुके थे.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>सरकारी सहायता से की नई शुरुआत</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">जीवन से हताश दत्ता जी की कठिनाइयों का कम होना तब शुरू हुआ, जब जयपुर की एक सरकारी संस्था ने उनकी मदद की. इस संस्था ने उन्हें नकली पैर और व्हीलचेयर प्रदान की, जिससे उन्होंने फुटपाथ पर बीड़ी, सिगरेट, नमकीन, बिस्किट, चिप्स आदि बेचकर अपनी जीवन-यापन की शुरुआत की. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक दुकान लगाकर दत्ता जी ने अपने जीवन को एक नई दिशा दी और जयपुर में किराए का एक कमरा लेकर रहने लगे. </p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>कमर दर्द का नया संकट</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">जैसे-जैसे दत्ता जी की जिंदगी में थोड़ी स्थिरता आई, एक नया संकट उनके सामने आ गया। घंटों बैठे रहने के कारण उनकी कमर में असहनीय दर्द होने लगा. दत्ता जी ने इस दर्द को नजरअंदाज किया और अपने काम में व्यस्त रहे, लेकिन धीरे-धीरे दर्द बढ़ने लगा और दवा लेने के बावजूद आराम नहीं मिला. दर्द के कारण उनकी जिंदगी मुश्किल हो गई और उनकी आय का आधा हिस्सा दवाइयों पर खर्च होने लगा. </p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>राहत की खोज में जुड़े हकीम सुलेमान खान साहब से</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">एक दिन दत्ता जी को YouTube पर जोड़ों के दर्द से संबंधित एक वीडियो मिला, जिससे उन्हें हकीम सुलेमान साहब की संस्था और जोड़ों के दर्द में कारगर उन जड़ी-बूटियों के बारे में पता चला, जिन जड़ी-बूटियों के सेवन से हजारों-लाखों लोगों को जोड़ों के दर्द में फायदा मिल चुका था. हकीम साहब की संस्था में मौजूद विशेषज्ञों ने दत्ता जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद उन्हें गोंद सियाह, जॉइन्ट फॉर्ट और S. Care का सेवन करने को कहा. दत्ता जी ने online ऑर्डर करके इन जड़ी-बूटियों को मंगवा लिया और सेवन शुरू कर दिया. केवल सात दिनों में ही उन्हें राहत मिलनी शुरू हो गई. उन्हें यकीन हो गया कि ये दवा कारगर है. चार से पांच महीनों तक इन दवाओं के सेवन से दत्ता जी को इतना फायदा मिल गया कि उन्होंने अपनी दुकान और जीवन की दिनचर्या को फिर से सामान्य बना लिया.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>जीवन की नई शुरुआत</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">दत्ता जी की जिंदगी पहले के मुकाबले अब पूरी तरह से बदल गई है. कमर दर्द ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था, लेकिन हकीम सुलेमान साहब की जड़ी-बूटियों ने इन्हें राहत दिलाई. अब वह जयपुर में बिना किसी परेशानी के अपनी दुकान चला रहे हैं और त्योहारों पर अपने परिवार के पास भी आते-जाते रहते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">यदि आप या आपके जानने वाला कोई व्यक्ति जोड़ों के दर्द से पीड़ित है तो हकीम सुलेमान खान साहब की जड़ी-बूटियां आपके जीवन को एक नई दिशा दे सकती हैं और आपकी समस्याओं में राहत पहुंचा सकती हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए नंबर पर कॉल करें.</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><a href="tel:01161205511">011-61205403</a></p>
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कमर दर्द से लाचार दत्ता जी की संघर्ष भरी कहानी आपको रुला देगी, जानें कैसे मिली राहत
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