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Constipation Relief: कब्ज की समस्या दुनियाभर में बहुत आम है और लाखों लोग इससे जूझ रहे हैं. यह परेशानी न सिर्फ लोगों के डेली लाइफ को अफेक्ट करती है, बल्कि हेल्थकेयर सिस्टम पर भी भारी खर्च डालती है. एक्सपर्ट के अनुसार, अमेरिका में करीब 15 प्रतिशत लोग लंबे समय से कब्ज से परेशान हैं. कई रिपोर्टों में यह आंकड़ा 9 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक बताया गया है. यानी हर दस में से लगभग एक या दो व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहे हैं. यह केवल बुजुर्गों की परेशानी नहीं है. हालांकि 65 साल से ऊपर के लगभग एक-तिहाई लोग इससे प्रभावित होते हैं, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है. महिलाओं में यह दिक्कत पुरुषों के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक देखी जाती है. चलिए आपको बताते हैं कि इससे कैसे बचा जा सकता है
कैसे करें इससे बचाव?
अक्सर लोग इस विषय पर डॉक्टर से बात करने में हिचकिचाते हैं और खुद से इलाज करने की कोशिश करते हैं. अधिकतर लोग बिना प्रिस्क्रिप्शन के मिलने वाली दवाओं से राहत पाने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह सच है कि यह एक आम समस्या है, और पेट से जुड़ी शिकायतों के लिए लोग सबसे ज़्यादा इसी वजह से डॉक्टर के पास जाते हैं. देखने में भले मामूली लगे, लेकिन कब्ज रोजमर्रा के जीवन पर गहरा असर डाल सकती है. हाल ही में डॉ. जोसेफ सल्हाब, जिन्हें सोशल मीडिया पर thestomachdoc के नाम से जाना जाता है, उन्होंने कब्ज से राहत पाने का एक आसान घरेलू उपाय बताया है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर बताया कि पेट की मालिश यानी abdominal massage कैसे करनी चाहिए ताकि कब्ज से राहत मिल सके.
पेट की मालिश से कब्ज में राहत कैसे मिलेगी?
डॉ. सल्हाब के मुताबिक, पेट की हल्की मालिश आंतों की गति को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है. उन्होंने इसे करने का तरीका भी बताया, जैसे कि इसके लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं. उसके बाद घुटनों को मोड़ें और पैर बेड पर टिकाए रखें. पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें. हल्के हाथों से दाएं निचले हिस्से से मालिश शुरू करें. फिर ऊपर जाएं, बाईं ओर जाएं और नीचे की तरफ आएं, यानी पेट पर एक गोलाकार गति बनाएं. आपको यह प्रक्रिया करीब 5 मिनट तक करनी है.
सैक्रल इनहिबिश तकनीक
इसके साथ ही उन्होंने सैक्रल इनहिबिशन नाम की एक तकनीक अपनाने की सलाह दी है. इसमें पीठ के निचले हिस्से, यानी सैक्रम (रीढ़ की हड्डी के नीचे की त्रिकोणाकार हड्डी) पर हल्का दबाव दिया जाता है. यह तकनीक सुनने में भले मेडिकल लगे, लेकिन यह काफी आसान है और ऑस्टियोपैथिक या फिजियोथेरेपी में अक्सर इस्तेमाल की जाती है. डॉ. सल्हाब के अनुसार, सैक्रम शरीर के नर्वस सिस्टम से जुड़ा हुआ होता है, खासकर पैरासिम्पेथेटिक नर्व्स से, जो पाचन, ब्लैडर कंट्रोल और रिलैक्सेशन को प्रभावित करते हैं. जब इस हिस्से पर हल्का दबाव डाला जाता है, तो यह नसों के असंतुलित सिग्नल्स को शांत करता है जैसे शरीर का रिलैक्स बटन दबाने जैसा असर होता है.
यह तकनीक न केवल कब्ज बल्कि पेल्विक टेंशन, यूरिन संबंधी दिक्कतें और तनाव जैसी समस्याओं में भी मदद करती है. बच्चों में पेट की समस्या या बड़ों में तमाम परेशानी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह सुरक्षित, बिना दवा के और शरीर को गहराई तक आराम देने वाली प्रक्रिया है.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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