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ओटावा34 मिनट पहले
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पीएम ट्रूडो ने 14 अक्टूबर की देर रात (भारतीय समयानुसार) प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय डिप्लोमैट्स को हटाने की सार्वजनिक घोषणा की।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंटों पर खुफिया जानकारी जुटाने, टारगेट किलिंग, कनाडा के नागरिकों को धमकाने और हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है।
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के सबूतों का हवाला देते हुए ट्रूडो ने दावा किया कि कनाडा से निकाले गए भारत सरकार के 6 एजेंट्स उन गतिविधियों में शामिल थे जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
ट्रूडो ने यह भी कहा कि कनाडा ने इन मामलों पर भारत सरकार के साथ काम करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन भारत ने हर बार मदद करने से इनकार कर दिया।
दरअसल, यह पूरा मामला ट्रूडो सरकार की भेजी एक चिट्ठी के बाद गरमाया। चिट्ठी में भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था।
इसके बाद कनाडा ने भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा। जवाब में भारत ने कनाडा के कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश छोड़ने कहा है।
जस्टिन ट्रूडो के बयान की बड़ी बातें…
- पिछले साल की घटनाओं और आज के खुलासे ने लोगों को झकझोर दिया है। खास तौर पर इंडो-कैनेडियन और सिख समुदाय को। कई लोग नाराज, परेशान और डरे हुए हैं। मैं समझता हूं, ऐसा नहीं होना चाहिए।
- प्रधानमंत्री के तौर पर मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उन लोगों को आश्वस्त करूं जो महसूस कर रहे हैं कि उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया है, लेकिन सबसे अहम बात यह है कि कार्रवाई करना मेरी जिम्मेदारी है।
- कनाडा-भारत का आपसी संबंधों और व्यापार का लंबा इतिहास है। लेकिन अभी जो देख रहे हैं, उसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान करते हैं और उम्मीद करते हैं भारत भी हमारे लिए ऐसा ही करे।
- मैंने पिछले हफ्ते पीएम मोदी से बात की थी। उन्हें बताया था कि सिंगापुर में हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली बैठक कितनी अहम होगी। उन्हें उस बैठक के बारे में पता था और मैंने उन पर दबाव डाला था।
- भारत सरकार ने यह सोचकर गलती की है कि वह कनाडा की धरती पर कनाडाई लोगों के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकती है, चाहे वह हत्या हो या जबरन वसूली। यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं।
- कोई भी देश, खासकर कोई लोकतंत्र अपनी संप्रभुता के मौलिक उल्लंघन को स्वीकार नहीं कर सकता। हमने उम्मीद की थी कि भारत हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेगा, ले किन ऐसा नहीं हुआ।
- यह कनाडा-भारत संबंधों में खटास पैदा करने वाला फैसला नहीं है। जब हमें पता चला कि भारत संभवतः (हरदीप सिंह) निज्जर की हत्या के पीछे था, तो हमने भारत सरकार से कहा कि इसे ठीक करने के लिए हमारे साथ काम करें।
- भारत ने इस समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों को खारिज करते हुए हमारी सारी मांगें ठुकरा दीं। इसलिए हमें कनाडा में भारतीय राजनयिकों से लेकर आपराधिक संगठनों तक के बीच की चेन को तोड़ना पड़ा।
कनाडा पुलिस ने कहा, भारतीय एजेंट्स ने कई जानकारियां जुटाईं
कनाडाई पुलिस ने 14 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेस भी की।
कनाडाई पुलिस के कमिश्नर माइक दुहेमे ने प्रेस कॉन्फ्रेस भी की। कहा, ‘कनाडा में भारतीय राजनयिक और अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर गुप्त तरीके से भारत सरकार के लिए जानकारियां जुटाई हैं। इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने एजेंट्स का इस्तेमाल किया। इनमें से कुछ एजेंट्स को भारत सरकार के साथ काम करने के लिए धमकाया गया और उन पर दबाव बनाया गया।
उन्होंने बताया कि भारत ने जो जानकारी जुटाई, उसका इस्तेमाल दक्षिण एशियाई लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है। हमने भारत सरकार के अधिकारियों को इसके सबूत दिए थे और उनसे हिंसा को रोकने और सहयोग करने की अपील की थी।’
दोनों देशों के बीच तनाव की वजह खालिस्तानी आतंकी निज्जर, पिछले साल हत्या हुई थी
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या 18 जून 2023 को हुई थी। सितंबर में कनाडाई पीएम ने इस हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा था।
18 जून 2023 की शाम को कनाडा के सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पिछले साल 18 सितंबर को भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था।
इसके बाद 3 मई को निज्जर की हत्या के 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ये तीनों आरोपी भारतीय हैं। कनाडाई पुलिस ने कहा कि इन पर पुलिस कई महीनों से नजर रखे हुई थी। उन्हें यकीन है कि इन्हें भारत ने निज्जर को मारने का काम सौंपा था। तब भारत ने इस मामले पर कहा था कि यह कनाडा का आंतरिक मामला है।
ट्रूडो के लिए निज्जर का मुद्दा अहम क्यों कनाडा में अक्टूबर 2025 में संसदीय चुनाव हैं। खालिस्तान समर्थकों को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पार्टी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हालांकि पिछले महीने ही ट्रूडो सरकार में शामिल खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की NDP पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था।
2021 की जनगणना के मुताबिक, कनाडा की कुल आबादी 3.89 करोड़ है। इनमें 18 लाख भारतीय हैं। ये कनाडा की कुल आबादी का 5% हैं। इनमें से 7 लाख से अधिक सिख है, जो कुल आबादी का 2% हैं।
निज्जर 27 साल पहले कनाडा गया था, 3 साल पहले आतंकी घोषित
PM ट्रूडो ने पीएम मोदी से मुलाकात का दावा किया कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने लाओस में ईस्ट एशिया समिट के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। ट्रूडो ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान जरूरी मुद्दों पर काम करने को लेकर बातचीत हुई।
लाओस में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ट्रूडो ने कहा कि “मैंने इस बात पर जोर दिया कि हमें कुछ काम करना है।” ट्रूडो ने बातचीत के बारे में अधिक जानकारी देने से मना कर दिया था।
हालांकि इंडियन मीडिया हाउस NDTV के मुताबिक विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस मुलाकात का खंडन किया था और कहा था कि दोनों नेताओं के बीच इस तरह की कोई मुलाकात नहीं हुई।
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कनाडा की संसद में 18 जून को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के एक साल पूरे होने पर उसे श्रद्धांजलि दी गई। इसके लिए संसद में एक मिनट का मौन रखा गया। कनाडाई संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में पहले स्पीकर ग्रेग फर्गस ने शोक संदेश पढ़ा और उसके बाद सभी सांसदों से निज्जर के लिए मौन रखने को कहा गया। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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