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कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होगा: ट्रम्प ने 2020 में शुरुआत की थी; इजराइल के इस्लामिक देशों से रिश्ते सुधारना मकसद Today World News

कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होगा:  ट्रम्प ने 2020 में शुरुआत की थी; इजराइल के इस्लामिक देशों से रिश्ते सुधारना मकसद Today World News

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वॉशिंगटन डीसी2 मिनट पहले

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को घोषणा की कि कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होगा। इसका मकसद इजराइल और मुस्लिम देशों के बीच रिश्ते सामान्य करना है।

ट्रम्प ने बताया कि उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव से फोन पर बात की है। उन्होंने कहा,

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हम जल्द ही साइनिंग सेरेमनी की तारीख घोषित करेंगे। कई और देशों की भी इस समझौते में शामिल होने की इच्छा है।

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अब्राहम समझौते की शुरुआत 2020 में ट्रम्प के पिछले कार्यकाल के दौरान हुई थी। तब ट्रम्प की पहल पर UAE और बहरीन ने इजराइल से संबंध स्थापित किए थे। उसी साल मोरक्को भी इस समझौते में शामिल हुआ।

ट्रम्प का दावा है कि वे अपने कार्यकाल में इस समझौते को और बड़ा बनाना चाहते हैं।

ट्रम्प का दावा है कि वे अपने कार्यकाल में इस समझौते को और बड़ा बनाना चाहते हैं।

अब्राहम समझौता क्या है?

अब्राहम समझौते के तहत 2020 में इजराइल और कुछ अरब देशों ने आधिकारिक रूप से दोस्ताना संबंध बनाने का फैसला किया था।

इस समझौते से जुड़े देशों UAE, बहरीन और मोरक्को ने इजराइल में दूतावास खोलने, व्यापार करने, सैन्य और तकनीकी साझेदारी बढ़ाने पर सहमति दी थी।

फिलिस्तीन विवाद के चलते इजराइल और अरब देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि इस समझौते ने पहली बार कई मुस्लिम देशों को इजराइल के साथ खुलकर संबंध स्थापित करने का रास्ता दिया।

कई मुस्लिम देश और फिलिस्तीन समर्थक इस समझौते को फिलिस्तीन के साथ अन्याय मानते हैं। इन देशों का कहना है कि इजराइल से रिश्ते तभी सामान्य होने चाहिए जब फिलिस्तीन को उसका अधिकार मिले।

गुरुवार को ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं से मुलाकात की। ट्रम्प ने कहा,

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इनमें से कई देश अब्राहम समझौते में शामिल होंगे, जल्द घोषणा होगी।

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अमेरिका सेंट्रल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। रूस और चीन की यहां पहले से मजबूत मौजूदगी हैं। इस लिहाज से यह मुलाकात बेहद अहम थी।

अमेरिका सेंट्रल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। रूस और चीन की यहां पहले से मजबूत मौजूदगी हैं। इस लिहाज से यह मुलाकात बेहद अहम थी।

कजाकिस्तान-इजराइल के बीच पहले से राजनयिक संबंध

कजाकिस्तान की सरकार ने बयान जारी कर बताया कि इस फैसले को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। सरकार ने कहा, “अब्राहम समझौते में शामिल होना हमारे विदेश नीति के स्वाभाविक विस्तार की तरह है, जो बातचीत, आपसी सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित है।”

कजाकिस्तान के पहले से ही इजराइल के साथ पूरी तरह राजनयिक और आर्थिक संबंध हैं। इसलिए इस फैसले को सिर्फ औपचारिकता माना जा रहा है। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि “इजराइल और अन्य सदस्य देशों के साथ खास आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी मजबूत करेगा।”

अमेरिका को उम्मीद है कि कजाकिस्तान के शामिल होने से अब्राहम समझौता दोबारा रफ्तार पकड़ेगा, क्योंकि यह विस्तार पिछले कई महीनों से गाजा युद्ध की वजह से रुका हुआ था।

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