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अब हर नए स्मार्टफोन में साइबर सेफ्टी एप ‘संचार साथी’ प्री-इन्स्टॉल (पहले से डाउनलोड) मिलेगा। केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे स्मार्टफोन में सरकारी साइबर सेफ्टी एप को पहले से इंस्टॉल करके बेचें।
इसके लिए एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसी मोबाइल कंपनियों को 90 दिन का समय दिया गया है। इस एप को यूजर्स डिलीट या डिसेबल नहीं कर सकेंगे। पुराने फोन पर सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह एप इन्स्टॉल जाएगा।
हालांकि यह आदेश फिलहाल पब्लिक नहीं किया गया है, बल्कि चुनिंदा कंपनियों को निजी तौर पर भेजा गया है। इसका मकसद साइबर फ्रॉड, फर्जी IMEI नंबर और फोन की चोरी को रोकना है।
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह एप टेलीकॉम सिक्योरिटी को मजबूत करने का बड़ा कदम है। फर्जी IMEI से होने वाले स्कैम और नेटवर्क मिसयूज को रोकने के लिए जरूरी है।’
संचार साथी एप क्या है, कैसे करेगा मदद
संचार साथी एप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जो जनवरी में लॉन्च हुआ था। अभी यह एपल और गूगल प्ले स्टोर पर वॉलंटरी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन अब नए फोन पर यह जरूरी होगा। एप यूजर्स को कॉल, मैसेज या व्हाट्सएप चैट रिपोर्ट करने में मदद करेगा। साथ ही IMEI नंबर चेक करके चोरी या खोए फोन को ब्लॉक करेगा।

डुप्लीकेट IMEI नंबर से बढ़ रहा साइबर क्राइम
भारत में 1.2 अरब से ज्यादा मोबाइल यूजर्स हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट है, लेकिन फर्जी या डुप्लीकेट IMEI नंबर की वजह से साइबर क्राइम बढ़ रहा है। IMEI एक 15 डिजिट का यूनिक कोड होता है, जो फोन की पहचान करता है।
अपराधी इसे क्लोन करके चोरी के फोन को ट्रैक से बचाते हैं, स्कैम करते हैं या ब्लैक मार्केट में बेचते हैं। सरकार का कहना है कि यह एप पुलिस को डिवाइस ट्रेस करने में मदद करेगा। सितंबर में DoT ने बताया था कि 22.76 लाख डिवाइस ट्रेस हो चुके हैं।
कंपनियों पर असर, ऐपल-सैमसंग को दिक्कत हो सकती
इंडस्ट्री सोर्सेज कहते हैं कि पहले से कंसल्टेशन न होने से कंपनियां परेशान हैं। खासकर एपल के लिए मुश्किल है, क्योंकि कंपनी की पॉलिसी में गवर्नमेंट या थर्ड-पार्टी एप प्री-इंस्टॉलेशन पर पाबंदी है।
पहले भी एपल का एंटी-स्पैम एप पर रेगुलेटर से टकराव हुआ था। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि एपल सरकार से नेगोशिएशन कर सकती है। एपल यूजर्स को वॉलंटरी प्रॉम्प्ट देने का सुझाव भी दे सकता है। हालांकि, अभी तक किसी भी कंपनी ने आदेश के बारे में कोई कमेंट नहीं किया है।
यूजर्स की सीधा फायदा मिलेगा
यूजर्स को सीधा फायदा मिलेगा। चोरी का फोन होने पर IMEI चेक करके तुरंत ब्लॉक कर सकेंगे। फ्रॉड कॉल रिपोर्ट करने से स्कैम कम होंगे, लेकिन एप डिलीट न होने से प्राइवेसी ग्रुप्स सवाल उठा सकते हैं।
यूजर कंट्रोल कम होगा। भविष्य में एप और फीचर्स जुड़ सकते हैं, जैसे बेहतर ट्रैकिंग या AI बेस्ड फ्रॉड डिटेक्शन। DoT का कहना है कि यह टेलीकॉम सिक्योरिटी को नेक्स्ट लेवल पर ले जाएगा।

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कंपनियों को मोबाइल में देना होगा साइबर सिक्योरिटी एप: सरकार ने 90 दिन की डेडलाइन दी, ‘संचार साथी’ एप से 7 लाख फोन रिकवर हुए

