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– फोटो : Istock
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चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग की एक के बाद एक कई खामियां सामने आ रही हैं। विभाग चंडीगढ़ के लिंगानुपात में सुधार के लिए तय किए मानकों की भी अनदेखी करने में पीछे नहीं है, तभी तो जन जागरूकता के लिए मिले लाखों रुपये बैंक में रखकर भूल गया।
स्थिति यह है कि अल्ट्रासाउंड सेंटर से शुल्क के रूप में मिले जिस फंड का उपयोग लिंगानुपात को बेहतर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम पर खर्च किया जाना चाहिए, वह बैंक में पड़ा रह गया। यह गड़बड़ी ऑडिट में सामने आई। ऑडिट टीम ने बैंक में पड़े फंड के उपयोग पर सवाल खड़े किए हैं लेकिन आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
फंड खर्च करने में भी अनदेखी
एनडीपीएस अधिनियम के अभिलेखों की नमूना जांच के दौरान पाया गया है कि विभाग अपने फंड (प्राप्त रसीदें) का उचित उपयोग नहीं कर रहा था और फंड का बड़ा हिस्सा बैंक खाते में निष्क्रिय पड़ा था। 31 मार्च 2024 को विभाग के बैंक खाते में 24 लाख 92 हजार 809 रुपये पड़े थे। लिंगानुपात में सुधार राष्ट्रीय प्राथमिकता का लक्ष्य है इसलिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि कन्या शिशु अनुपात में सुधार किया जा सके। इस संबंध में ऑडिट ने विभाग से सवाल भी पूछा है।
इसलिए पैसे खर्च करने का है निर्देश
स्वास्थ्य विभाग एनडीपीएस एक्ट 1994 के तहत अल्ट्रासाउंड केंद्रों को लाइसेंस जारी करता है और शुल्क वसूलता है। यह शुल्क एनडीपीएस विभाग की ओर से जिला/राज्य में नियम के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रखा जाता है। विभाग उस पैसे को खर्च कर लोगों को नियम के बारे में जागरूक करने के लिए सेमिनार और अन्य जागरूकता कार्यक्रम करता है ताकि लोगों को इससे जोड़कर महिला लिंगानुपात में सुधार किया जा सके।
सभी हैं मौन
जीएमएसएच 16 के मेस में मानकों को दरकिनार कर कंपनी को दोगुने से ज्यादा भुगतान किया जाना तो कभी नर्सिंग का प्रशिक्षण ले रहे छात्रों का रिकॉर्ड उपलब्ध न होना। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग कंप्यूटर और प्रिंटर की खरीद कर उसे डंप भी कर रहा था। इन सभी गड़बड़ियों का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हो चुका है लेकिन विभाग के एक भी आला अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
जागरूकता से ही बनी है बात
प्रशासन की तरफ से जारी किए गए आंकड़े
साल बेटे बेटियां लिंगानुपात
2017-18 7046 6412 910
2018-19 6935 6406 920
2019-20 6958 6608 950
2020-21 6351 6067 955
2021-22 (अप्रैल-सितंबर) 3209 3000 935
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ऑडिट में खुलासा: जागरूकता के लिए मिला फंड बैंक में ही रखकर भूल गया चंडीगढ़ का स्वास्थ्य विभाग