[ad_1]

अब समस्या यह है कि लैपटॉप के अंदर मौजूद धातु, बैटरी, सर्किट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स X-Ray इमेज में बहुत घने (dense) दिखते हैं. इससे मशीन के ऑपरेटर को बैग के अंदर की बाकी चीजें ठीक से दिखाई नहीं देतीं. यानी अगर किसी ने लैपटॉप के नीचे या पीछे कुछ छिपाया है तो उसे पकड़ना मुश्किल हो सकता है.

जब यात्रियों से लैपटॉप या टैबलेट अलग ट्रे में रखने को कहा जाता है तो X-Ray मशीन को हर वस्तु की स्पष्ट इमेज मिलती है. इससे सिक्योरिटी अधिकारी यह देख सकते हैं कि लैपटॉप के अंदर कोई छिपा हुआ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या बम जैसा कंपोनेंट तो नहीं है. बैग में रखी अन्य चीजें सुरक्षित और स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं या नहीं. इस तरह यह प्रक्रिया यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए होती है न कि यात्रियों को परेशान करने के लिए.

लैपटॉप में लिथियम-आयन बैटरी होती है जो अगर दबाव या गर्मी में आए तो फट भी सकती है. सुरक्षा जांच के दौरान जब बैग्स पास-पास रखे जाते हैं तो इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को अलग रखना जरूरी होता है ताकि कोई शॉर्ट सर्किट या तापमान में वृद्धि न हो.

तकनीक के विकास के साथ अब कुछ देशों में नई पीढ़ी की CT स्कैन X-Ray मशीनें लगाई जा रही हैं जो बैग के अंदर मौजूद हर चीज़ का 3D व्यू दिखाती हैं. इन मशीनों की मदद से यात्रियों को लैपटॉप या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बाहर निकालने की जरूरत नहीं होती. हालांकि, भारत सहित कई देशों में अभी यह सुविधा सभी एयरपोर्ट्स पर लागू नहीं हुई है.

एयरपोर्ट पर बैग से लैपटॉप निकालने की प्रक्रिया दिखने में भले ही झंझट लगे लेकिन यह आपके और बाकी यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी कदम है. यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी खतरनाक वस्तु या विस्फोटक डिवाइस सुरक्षा जांच से बच न सके.
Published at : 22 Oct 2025 02:15 PM (IST)
[ad_2]
एयरपोर्ट पर बैग से Laptop निकालने को क्यों कहा जाता है? जानिए इसके पीछे की असली वजह