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अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने शुक्रवार रात जेफ्री एपस्टीन सेक्स स्कैंडल से जुड़े तीन लाख दस्तावेज जारी किए, जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, पॉप सिंगर माइकल जैक्सन, हॉलीवुड एक्टर क्रिस टकर जैसे दिग्गजों की तस्वीरें सामने आईं।
रिलीज से पहले एपस्टीन फाइल्स में कई भारतीयों के नाम आने की भी चर्चाएं थीं, लेकिन अब तक हुए खुलासों में किसी भारतीय के एपस्टीन आइलैंड जाने या एपस्टीन से मिलने का संकेत नहीं मिला है।
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट ‘वायर्ड’ की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा मंत्रालय से जुड़ी डेटा ट्रैकिंग कंपनी ‘नियर इंटेलिजेंस’ ने 2016 से 2019 तक का डेटा जुटाया है। इसमें एपस्टीन के लिटिल सैंट जेम्स आइलैंड जाने वाले 200 लोगों के मोबाइल फोन का डेटा ट्रैक किया गया।
ट्रैकर का डेटा बताता है कि इन 4 साल में एक भी भारतीय एपस्टीन आइलैंड नहीं गया। नियर इंटेलिजेंस ने इन 200 लोगों की पूरी जानकारी जुटाई। मसलन वे कहां से आए, आइलैंड में किस जगह सबसे ज्यादा समय बिताया और वापस कहां गए?

नियर इंटेलिजेंस के डेटा के अहम फैक्ट्स
2008 में एपस्टीन पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद भी उसके आइलैंड पर मेहमानों की आवाजाही कम नहीं हुई। आइलैंड पर आने वाले ज्यादातर मेहमान अमेरिकी मूल के थे, जो फ्लोरिडा, मैसाचुसेट्स, टैक्सास, मिशिगन और न्यूयॉर्क जैसे राज्यों से आते थे।
मेहमान आइलैंड पर अपना ज्यादातर समय दो जगहों पर बिताते थे। पहला- एपस्टीन के मुख्य मेंशन पर, दूसरा- हिलटॉप बनी ‘टेंपल साइट’ पर। ये वही टेंपल साइट है, जहां एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगते आए हैं।
एपस्टीन के मेहमान आइलैंड से लौटने के बाद, मार्था वाइनयार्ड, मियामी नाइटक्लब जैसी जगहों पर गए, जिनकी गिनती अमेरिका के महंगे क्लबों में होती है। इससे मेहमानों के अमीर होने की बात की बात कही जा रही है।
रिपोर्ट में ट्रम्प टावर के पास की लोकेशन भी मिली है, जबकि ट्रम्प की ओर से ये दावा किया गया था कि वे 2008 में जेफ्री पर मुकदमा दर्ज होने के बाद उससे नहीं मिले।एपस्टीन आइलैंड पर अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश केमैन आइलैंड और यूक्रेन की राजधानी कीव से भी विजिटर आते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन 4 सालों में आइलैंड पर भारत से कोई भी नहीं पहुंचा और न ही आइलैंड से लौटकर कोई भारत गया।

क्या यूरोपीय देशों से कोई एपस्टीन आइलैंड नहीं गया?
रिपोर्ट में खंगाले गए मोबाइल फोन डेटा में एक भी डेटा प्वाइंट यूरोप का नहीं मिला, जबकि 19 सितंबर देर रात जारी हुई तस्वीरों में ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू की तस्वीरें भी नजर आए हैं।
इसके अलावा पीड़िताओं के बयानों और कोर्ट डॉक्युमेंट्स में ये बात भी सामने आ चुकी है कि यूरोपीय देश फ्रांस की राजधानी पेरिस में मॉडलिंग एजेंसी चलाने वाले जीन-ल्यूक ब्रुनेल कई बार एपस्टीन आइलैंड गए थे।
दरअसल, यूरोप का एक भी डेटा प्वाइंट सामने न आने की वजह यूरोप के सख्त प्राइवेसी प्रोटेक्शन कानून है, जिनके चलते यूरोपीय यूजर्स का पर्सनल डेटा ट्रैक किया जाना मुश्किल है।
भारत और एपस्टीन आइलैंड के कनेक्शन पर क्या कहती है रिपोर्ट?
भारतीय डेटा प्रोटेक्शन कानून इतने सख्त नहीं हैं। नियर इंटेलिजेंस ने दावा किया था कि उसके पास 44 देशों के 16 करोड़ लोगों का डेटा है, जिनमें बेंगलुरु जैसे शहरों के यूजर्स का डेटा भी शामिल है।
यानी NI अपने सर्वर की मदद से भारत के किसी भी शहर के यूजर्स का डेटा हासिल कर सकता है। हालांकि NI के डेटा के मुताबिक, भारत समेत किसी भी एशियाई देश का कोई व्यक्ति 2016 से 2019 के बीच एपस्टीन आइलैंड नहीं गया।
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