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एपल अपने फोन में संचार एप प्री-इंस्टॉल नहीं करेगा: कहा- यूजर्स का डेटा लीक होने का खतरा, सरकार से बात कर बीच का रास्ता निकालेंगे Today Tech News

एपल अपने फोन में संचार एप प्री-इंस्टॉल नहीं करेगा:  कहा- यूजर्स का डेटा लीक होने का खतरा, सरकार से बात कर बीच का रास्ता निकालेंगे Today Tech News

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नई दिल्ली10 मिनट पहले

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अमेरिकी टेक कंपनी एपल भारत सरकार के उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें हर नए फोन में ‘संचार साथी’ एप इंस्टॉल करने को कहा गया है। मंगलवार (2 दिसंबर) को पीटीआई ने रिपोर्ट में बताया कि, एपल इस फैसले से सहमत नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह संचार साथी एप और पोर्टल यूजर्स के सिम कार्ड्स को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन एपल इसे प्राइवेसी में दखल मान रही है।

कंपनी का कहना है कि, ‘आदेश पर सरकार के साथ बातचीत की जाएगी और बीच का रास्ता निकालेंगे। हम मौजूदा स्वरूप में आदेश लागू करने में सक्षम नहीं है।’

फ्रॉड रोकने का नया टूल मान रही सरकार

सरकार का कहना है कि एप चोरी या गुम फोन ट्रैक करने, ब्लॉक करने और उनका गलत इस्तेमाल रोकने के काम आएगा। यानी साइबर फ्रॉड रोकने में मदद मिलेगी। संचार साथी एप की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा गुम या चोरी हुए मोबाइल वापस मिल चुके हैं।

आदेश में एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसी मोबाइल कंपनियों को 90 दिन का समय दिया गया है। इस एप को यूजर्स डिसेबल नहीं कर सकेंगे। पुराने फोन पर सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह एप इंस्टॉल किया जाएगा।

एपल ने कहा- यूजर की प्राइवेसी पहली प्रायोरिटी

रॉयटर्स के मुताबिक, कंपनी के एक प्रवक्ता ने रिपोर्ट में बताया, ‘हम यूजर प्राइवेसी को सबसे ऊपर रखते हैं। सरकार के इस डायरेक्टिव से iOS डिवाइसेस पर डेटा शेयरिंग की जरूरत पड़ेगी, जो हमारी पॉलिसी के खिलाफ है।’ एपल का तर्क है कि पोर्टल और एप से यूजर्स का पर्सनल डेटा, जैसे IMEI नंबर और कॉल हिस्ट्री, लीक होने का खतरा है।

एपल अब सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में चैलेंज करने की प्लानिंग कर रही है। कंपनी के वकीलों ने DoT को लेटर लिखा है, जिसमें आदेश को ‘अनरेशनल’ बताया है। एपल इंडिया के हेड ने इंटरनल मीटिंग में स्टाफ को आदेश दिया है कि कोई भी डेटा शेयर न करें।

एपल की पॉलिसी क्या है?

  • यूजर का डेटा लेती है: एपल सिर्फ जरूरी डेटा इकट्ठा करती है, जैसे आपका अकाउंट डिटेल्स, डिवाइस इंफो (जैसे iPhone का मॉडल), कॉन्टैक्ट्स, पेमेंट डिटेल्स, लोकेशन, हेल्थ/फिटनेस डेटा और जो आप खुद शेयर करते हैं। बिना वजह एक्स्ट्रा डेटा नहीं मांगती।
  • कहां इस्तेमाल: यह डेटा सिर्फ सर्विसेज चलाने, पेमेंट प्रोसेस करने, सिक्योरिटी चेक करने, फ्रॉड रोकने और लॉ फॉलो करने के लिए यूज होता है। सब कुछ लीगल बेस पर, जैसे आपकी परमिशन से या जरूरी कानूनी वजह से।
  • प्रोटेक्ट: एपल एडमिनिस्ट्रेटिव, टेक्निकल और फिजिकल सिक्योरिटी मेजर्स लगाती है, जैसे एन्क्रिप्शन। ये मेजर्स को हमेशा अपडेट रखती है ताकि हैकिंग या लीक का रिस्क कम हो।
  • शेयर: डेटा सिर्फ एपल की सब्सिडियरी कंपनियों, सर्विस प्रोवाइडर्स (जैसे क्लाउड स्टोरेज), पार्टनर्स या डेवलपर्स के साथ और वो भी आपकी अनुमति से शेयर करती है। थर्ड-पार्टियों को आपके डेटा को बेचती या मार्केटिंग के लिए शेयर नहीं करती।
  • यूजर्स के राइट्स: आप अपना डेटा चेक कर सकते हैं, अपडेट कर सकते हैं, डिलीट कर सकते हैं या ट्रांसफर कर सकते हैं। कंसेंट बैक भी ले सकते हैं। इसके लिए privacy.apple.com पर जाएं। एपल डिस्क्रिमिनेशन नहीं करती अगर आप राइट्स यूज करें।

डेटा को लेकर पहले भी सरकार से हो चुका टकराव

  • 2018 में RBI ने नियम बनाया कि भारत में होने वाले हर पेमेंट (जैसे Apple Pay या एप स्टोर से) का पूरा डेटा भारत के अंदर ही सर्वर पर रखना जरूरी है।
  • एपल ने 3 साल तक टालमटोल की और कहा, “हमारा सिस्टम ग्लोबल है, हर देश के लिए अलग सर्वर नहीं बना सकते।”
  • फिर दबाव बढ़ा तो 2021 में हार मान ली। एपल ने ऐलान किया कि अब भारतीय यूजर्स का iCloud डेटा (फोटोज, बैकअप, फाइल्स) भारत में ही स्टोर होगा। इसके लिए टाटा ग्रुप के साथ पार्टनरशिप भी की।

भारतीय बाजार में एपल की 9% हिस्सेदारी

कंपनी

हिस्सेदारी

वीवो

24%

ओप्पो

16%

सैमसंग

13%

शाओमी

13%

एपल

9%

अन्य

24%

भारत में तेजी से बढ़ रही एपल की ग्रोथ

एपल के लिए भारत लगातार महत्वपूर्ण बाजार के रूप में उभरा है। मार्केट ट्रैकर IDC के अनुसार, 2025 में कंपनी देश में 15 करोड़ आईफोन बेच सकती है। इससे एपल का मार्केट शेयर पहली बार 10% से ऊपर जा सकता है।

सितंबर तिमाही में एपल भारत का चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन विक्रेता बना, जहां कंपनी ने लगभग 5 मिलियन यूनिट की बिक्री के साथ 25% सालाना वृद्धि दर्ज की।

कुक ने हाल के कई एनालिस्ट कॉल में भारत को स्टैंडआउट मार्केट बताया है जहां कंपनी ने लगातार 15 तिमाहियों से रिकॉर्ड राजस्व हासिल किया है।

संचार साथी एप क्या है और कैसे काम करता है

  • संचार साथी एप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था।
  • अभी यह एपल और गूगल प्ले स्टोर पर वॉलंटरी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन अब नए फोन में यह जरूरी होगा।
  • एप यूजर्स को कॉल, मैसेज या वॉट्सएप चैट रिपोर्ट करने में मदद करता है।
  • IMEI नंबर चेक करके चोरी या खोए फोन को ब्लॉक करेगा।
  • इससे फेक सिम्स का पता लगेगा और स्कैमर्स को रोका जा सकेगा।

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क्या संचार एप से जासूसी हो सकती है:सरकार ने इसे हर मोबाइल के लिए जरूरी किया; यह OTP पढ़ सकता है, बातचीत सुन सकता है

कल्पना करें… किसी के पास ऐसा सीक्रेट वेपन हो कि वो जब चाहे आपके फोन में झांक सके। पर्सनल मैसेज के साथ बैंक OTP जैसे मैसेज पढ़ सके। जब चाहे आपकी बात सुन सकें।

आपकी लोकेशन जान सके और आपके फोन में मौजूद फोटो-वीडियो देख सकें। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ ऐसा ही हो सकता है संचार साथी मोबाइल एप से, जिसे सरकार ने हर मोबाइल पर इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है।

इस स्टोरी में जानेंगे कि संचार साथी मोबाइल एप क्या है? इसका विरोध क्यों हो रहा है? क्या इससे जासूसी की जा सकती है और क्या ये लोगों की प्राइवेसी पर हमला है? पूरी खबर पढ़ें…

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