in

एन. रघुरामन का कॉलम: 2025 के लिए संकल्प लेने में बहुत देर नहीं हुई है! Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  2025 के लिए संकल्प लेने में बहुत देर नहीं हुई है! Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • N. Raghuraman’s Column It’s Not Too Late To Make Resolutions For 2025!

51 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

हमारे पूर्वज आधुनिक वैज्ञानिकों की तुलना में इस विज्ञान को कहीं बेहतर जानते थे। उन्होंने बस ये गलती की कि इसका कभी दस्तावेजीकरण नहीं किया। उन दिनों जब जमीन की जुताई के लिए श्रमिक नहीं होते थे, तब उन्हें पता था कि लाखों कामगार मुफ्त में मिल सकते हैं। बस इसकी कीमत दो मुट्ठी आटा होती थी।

ये खाने के बाद वे काम पर जुट जाते थे, उनमें से कुछ दृष्टिहीन होने के बावजूद भी काम में लगे रहते थे! उन्होंने विभिन्न प्राकृतिक आवासों में अपघटन, मिट्टी को उलटना-पलटना, पोषक चक्र और कीट नियंत्रण जैसे बहुत महत्वपूर्ण कार्य किए।

हमारे पूर्वजों को पता था कि इन मेहनतकशों ने वनस्पति का पोषण किया है और वे जीवन के चक्र के लिए शुरुआती बिंदु हैं। इसलिए उन्होंने उनका सम्मान किया और बड़ी मात्रा में खाना फैलाते हुए उनका स्वागत किया।

मैं चावल के आटे से सुबह-सुबह घर के बाहर बनाई जाने वाली रंगोली के बारे में बात कर रहा हूं। उन्हें पता था कि हर सुबह उन्हें अपना ताजा खाना कहां मिलेगा। वे एक के पीछे एक अनुशासित तरीके से आते और रंगोली के सामने सैकड़ों की संख्या में जुटकर, चुपचाप खाकर तुरंत अपने काम पर लौट जाते।

वे शानदार भोजन के बाद आराम करने के लिए कभी नहीं गए। वे उस घर के पीछे की जमीन जोतते थे और उस घर में हमेशा बंपर फसलें होती थीं। पूर्वजों को पता था कि हमारा देश जीवन के विभिन्न रूपों की प्रभावशाली विविधता का केंद्र है और भारत दुनिया के 17 विशाल जैव विविधता वाले देशों में से एक है और इसकी सीमाओं पर चार जैव विविधता हॉटस्पॉट इसका प्रतिनिधित्व करते हैं।

जी हां, मैं उन लाखों चींटियों के बारे में बात कर रहा हूं जो मुट्ठी भर चावल के आटे के बदले मुफ्त में काम करती हैं। और जब हमने रासायनिक पाउडर के साथ रंगोली बनानी शुरू कर दी, तो कई चीटियों ने इस खाया और वे मर गईं और बाद में उनकी अगली पीढ़ी ने अपना ठिकाना केवल सूखे पत्तों और टहनियों से भरे जंगल के मृत क्षेत्र में बना लिया।

पेड़ों की पत्तियों का कूड़ा और इसकी जैव विविधता जंगल के सबसे समृद्ध और सबसे विविध स्तरों में से एक है, जो कई तरह के जीवों को आश्रय देती है। आज की आधुनिक पीढ़ी में से कई लोगों को ये तक नहीं पता होगा कि ये है कि यह लाखों जीवों के लिए स्वर्ग है। इसलिए भीषण सर्दियों में हम पत्तियां जलाते थे, जैसा कि अभी सर्दियां पड़ रही हैं।

मुझे सदियों पुरानी प्रथा तब याद आ गई जब पता चला कि गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड के वैज्ञानिकों की टीम ने कर्नाटक के वेस्टर्न घाट में इस हफ्ते चींटियों की नई प्रजाति की पहचान की है, जिसे ‘टैपिनोमा ओनेल’ कहा जा रहा है। कन्नड़ में ओनेल का अर्थ है सूखे पत्ते, जो पश्चिमी घाट में वन तल का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

वैज्ञानिक वन भूमि को ढंकने वाले पत्तियों के कूड़े पर दुनिया का ध्यान खींचना चाहते हैं। साल 2020 में गोवा के नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य में पत्तियों के कूड़े से चींटी की नई प्रजाति उभरी। ये भूमिगत प्रजाति चींटियों के राज्यव्यापी सर्वेक्षण में सामने आई। सिर्फ 2.5 मिमी लंबी पीले रंग की चींटी को ‘वैभव का प्रोटेनिला’ कहा जा रहा है और ये दृष्टिहीन हैं।

ये चींटियों का दुर्लभ समूह है जिसकी केवल 12 प्रजातियां दुनिया भर में हैं। गोवा में हुई ये खोज चींटियों की 13वीं प्रजाति थी। हालांकि, भारत की इन प्रजातियों व उनके भौगोलिक वितरणों को दस्तावेज व सूचीबद्ध करने के लिए बहुत काम किया जाना बाकी है, खासकर इन विविध अकशेरुकी(जिनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती) समूहों के लिए। वैज्ञानिक स्पष्ट रूप से उन्हें ढूंढेंगे और समय के साथ हमारे जीवन चक्र में उनके महत्व का दस्तावेजीकरण करेंगे।

जब तक ऐसा नहीं होता, हम रोज आटे की रंगोली डालकर उनकी रक्षा कर सकते हैं। ये न केवल हमारे घर को जीवंत बनाएगा, बल्कि उन बेजुबानों को खिलाने की आंतरिक संतुष्टि भी होगी, जो खुद शिकार नहीं कर सकतीं, खाना जमा नहीं कर सकतीं। याद रखें, पूर्वजों ने ये काम बिना शिकायत किए और यहां तक कि प्रतिफल जाने बिना किया।

फंडा यह है कि आइए इस ग्रह पृथ्वी के संरक्षण के लिए कुछ योगदान करने का संकल्प लें। आटे से बनी रंगोली भी चमत्कार कर सकती है। 2025 के लिए संकल्प करने में बहुत देर नहीं हुई है!

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
एन. रघुरामन का कॉलम: 2025 के लिए संकल्प लेने में बहुत देर नहीं हुई है!

भास्कर अपडेट्स:  दक्षिण अमेरिकी देश चिली में भूकंप आया, रिक्टर स्केल पर 6.2 की तीव्रता Today World News

भास्कर अपडेट्स: दक्षिण अमेरिकी देश चिली में भूकंप आया, रिक्टर स्केल पर 6.2 की तीव्रता Today World News

Gurugram News: पार्किंग और अधिकारी निवास में तीन साल से चल रहा बीडीपीओ कार्यालय  Latest Haryana News

Gurugram News: पार्किंग और अधिकारी निवास में तीन साल से चल रहा बीडीपीओ कार्यालय Latest Haryana News