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एन. रघुरामन का कॉलम: हम जेन-जी को कैसी जीवनशैली देना चाहते हैं? Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  हम जेन-जी को कैसी जीवनशैली देना चाहते हैं? Politics & News

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21 मिनट पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

जैसे हम में से कई लोग मन की स्वच्छता के लिए 10 दिनों की विपश्यना में जाते हैं, वैसे ही ये डिजिटल नोमैड्स चीन के अंजी नामक स्थान पर इकट्ठा होते हैं। उनमें से हर कोई अपने स्टार्टअप्स पर काम करता है, ऐप बनाता है, फिल्म स्क्रिप्ट लिखता है या एआई की बेहतरी पर काम करता है- लेकिन इसके साथ ही वो इकट्‌ठे होकर टेक्नोलॉजी पर चर्चा करते हैं, बास्केटबॉल खेलते हैं, संगीत सुनते हैं या खाना बनाते हैं। इन्हें डिजिटल नोमैड कम्यून कहा जाता है और इनमें से अधिकांश 20 से 30 वर्ष के हैं। यानी, शादी या परिवार बसाने का सवाल है तो वे अभी सेटल नहीं हो पाए हैं।

जैसे मुंबई वालों के लिए लोनावाला और दिल्ली वालों के लिए ऋषिकेश व मनाली वीकेंड एस्केप हैं, उसी प्रकार चीन के प्रख्यात शहर शंघाई के निवासियों के लिए अंजी है। यह शंघाई से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। अंजी से 45 किलोमीटर पर ही एक अन्य शहर हांगझोउ भी है, जो डिजिटल इंडस्ट्रीज, एआई टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स का हब है।

चीन में अधिकतर टेक कंपनियों के नियमों के मुताबिक सिक्स-डे वीक में सुबह 9 से रात के 9 बजे तक काम करने वाले युवा अब अंजी आ रहे हैं और वहां की जीवनशैली पसंद कर रहे हैं। वे इस नई प्रथा को अपनाना चाहते हैं।

पूर्व में अंजी ही नहीं, बल्कि दक्षिण-पश्चिम में डाली और उत्तर में यिचुप में भी ऐसे कंट्रीसाइड रिट्रीट मौजूद हैं। महामारी के बाद इस चलन पर संदेह जताते हुए बुजुर्गों और उद्यमियों ने सोचा था कि युवा अपेक्षा के अनुरूप न्यूनतम काम भी नहीं कर रहे और आलसी हो गए हैं।

लेकिन ट्रम्प टैरिफ के चलते जब अधिक उत्पादन करने और घरेलू उत्पादों को स्थानीय उपभोक्ताओं में ही खपाने के रास्ते तलाशने का दबाव पड़ा तो युवाओं को लुभाने वाले अंजी के जीवन और कार्यशैली पर सरकार का ध्यान गया। अंजी संस्कृति रूरल री-वाइटलाइजेशन लाई है।

उसने ना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बदलावों को गति दी है, बल्कि युवाओं को यदि सही वर्क-लाइफ बैलेन्स दिया जाए तो उन्हें काम पर लौटाने में भी मददगार रही है। आज के युवाओं की चाहत है कि वे अपनी जीवनशैली खुद चुनें, जो हमारे जमाने में समाज तय करता था।

इस चलन की लोकप्रियता को देखते हुए बहुत से युवा अब अंजी से निकलकर देशभर में ऐसे केंद्र स्थापित कर रहे हैं। वे सुनिश्चत कर रहे हैं कि व्यस्त शहरों से इन जगहों की पहुंच आसान हो। कुछ नए डिजिटल नोमैड कम्यून यूथ हॉस्टलों से थोड़ी अधिक सुविधा वाले होते हैं, जहां साझा कार्यस्थल होते हैं। लेकिन अंजी में एक छोटी लाइब्रेरी, मूवी थिएटर, कैफे बार और कैफेटेरिया भी हैं।

6 लोगों वाली डॉर्मेटरीज में 60 डॉलर प्रति माह के खर्च पर आवास सुविधा मिलती है। लगभग 300 डॉलर प्रति माह में कोई भी वहां आराम से जी सकता है और युवा ऐसे ही सामूहिक अनुभव की तलाश में हैं। स्थानीय निकाय भी ऐसी पहल को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त वर्क-स्पेस दे रहे हैं। चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग चाहते हैं कि देश रोबोटिक्स, क्लीन एनर्जी और अन्य उभरती तकनीकों का नेतृत्व करे तो इसके लिए इन क्षेत्रों में नवाचार करने वाले युवाओं की जरूरत है।

भले ही अंजी में तकरीबन 20 वर्ष के युवा हों, लेकिन 40 की उम्र वाले भी उनमें शामिल होते दिख रहे हैं। और अब वो बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने ओवरवर्क और ‘इनवॉल्यूशन’ (एक चीनी स्लैंग, जिसका अर्थ है अत्यधिक मेहनत करना, पर स्पष्ट सफलता न मिलना) से दूरी बनाई। वे न्यूनतम संसाधनों में रहना चाहते हैं, लेकिन खुद को थकाना नहीं चाहते। और ऐसी वर्कफोर्स का हिस्सा भी नहीं बनना चाहते, जो हर समय वीकेंड का इंतजार करे।

फंडा यह है कि क्या हम लगभग 377 मिलियन की आबादी वाले अपने जेन-जी को विविध विकल्पों में से अपनी पसंद की जीवनशैली चुनने का अधिकार दे सकते हैं, ताकि वे अर्थव्यवस्था के लिए अधिक उत्पादक बन सकें।

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