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- N. Raghuraman’s Column Our City’s ‘NTE’ Will Soon Change The Way We Live
एन. रघुरामन , मैनेजमेंट गुरु,
पूरी दुनिया में आमतौर पर सिर्फ दिन के वक्त को ध्यान में रखकर शहरों को डिजायन किया गया है। लेकिन जब इन शहरों को बेहतर कुशलता से चलाने के लिए अधिक पैसे की जरूरत पड़ी तो उन्होंने पाया कि शाम 6 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक के समय में बड़ी मात्रा में धन छिपा है। इसे लोकप्रिय रूप में ‘नाइट टाइम इकोनॉमी’ (एनटीई) के नाम से जाना जाता है।
हालांकि, कई जगहों पर 24 घंटे का शहर थोड़ा बदनाम है, लेकिन कई शहरों ने समझा है कि एनटीई विकास के क्षेत्रों का वास्तविक चालक हो सकता है। कम से कम उन चुनिंदा स्थानों के लिए, जहां स्थानीय लोग और आगंतुक बार-बार आते जाते हैं। न्यूयॉर्क, लंदन और बर्लिन जैसे कई वैश्विक महानगरों ने इस विचार का अनुसरण किया, लेकिन एम्स्टर्डम इस क्षेत्र का अग्रणी है। मैं अचानक इस बारे में बात क्यों कर रहा हूं?
दरअसल हैदराबाद जल्द ही 24 घंटे की अर्थव्यवस्था को अपनाने वाला भारत का पहला शहर बनने जा रहा है। राज्य सरकार समग्र एनटीई नीति को अंतिम रूप दे रही है, जिसका उद्देश्य सूर्यास्त के बाद शहर की पूर्ण आर्थिक क्षमता का उपयोग करना है। सरकार रात की समस्त गतिविधियों की देखभाल के लिए समर्पित हैदराबाद नाइट टाइम इकॉनोमी अथॉरिटी (एनटीईए) स्थापित कर रही है। इसमें अग्रणी होने के लिए एम्स्टर्डम ने क्या किया?
ये उन पहले शहरों में से है, जिन्होंने एनटीई का आर्थिक-सांस्कृतिक महत्व समझा। ये कई कारणों से सफल हुआ, जिनमें सक्रिय स्थानीय निकाय, समर्पित ‘नाइट मेयर’ शामिल हैं, जो स्वतंत्र अधिवक्ता की भांति रातभर की गतिविधियों पर नजर रखता है। नीदरलैंड के किसी भी शहर में, खासकर रात्रिकालीन संस्कृति को सम्मिलित करने वाली पहली योजना के नाते एम्स्टर्डम का ‘नाइट विजन’ एतिहासिक दस्तावेज है। ये रात्रिकालीन संस्कृति से शहर के लगाव, इसकी सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के लिए इसके जरूरी होने की मान्यता, दोनों को दिखाता है। नाइट मेयर की भूमिका क्या है?
ये शहरी निकाय, रात्रिकालीन व्यवसायों, स्थानीय निवासियों व अन्य हितधारकों के बीच सेतु का कार्य करता है। मेयर व उसका कार्यालय सुरक्षा, शोर, परिवहन, जोनिंग (इलाका) जैसे मुद्दों का समाधान करते हुए सुनिश्चित करता है कि रात्रिकालीन अर्थव्यवस्था व शहर की जरूरतों के बीच संतुलन रहे। सफल एनटीई को टॉयलेट से लेकर परिवहन तक, हर चीज पर विचार करना होता है।
एनटीई को गलत ना समझें: एम्स्टर्डम की इनटीई सिर्फ क्लबर्स के लिए ही नहीं है। साधारण क्लब्स तो इसमें तब तक प्रवेश नहीं कर सकते, जब तक कि वे अन्तरराष्ट्रीय आगंतुकों को किसी सभ्य स्थान पर आकर्षित करने के लिए कुछ अनोखा प्रदान ना करें। ऐसे कड़े कायदों और नियंत्रण के कारण ही एम्स्टर्डम ने एम्स्टेल नदी के किनारे सांस्कृतिक रूपरेखा तैयार की है और एनटीई को सफल बनाया है। हालांकि रात्रिकालीन गतिविधियां मनोरंजन संबंधी तस्वीर पेश करती हैं, यहां तक कि भारतीयों में भी, लेकिन हैदाराबाद की यह पहल मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल, परिवहन, आईटी सर्विस, खुदरा और पर्यटन जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। नीति तैयार कर रहे जानकार मानते हैं कि यह शहरी अर्थव्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तस्वीर दिखाती है।
एनटीई के आर्थिक प्रभाव: वर्ल्ड सिटीज कल्चर फोरम के अनुसार एम्स्टर्डम में 500 रात्रिकालीन प्रतिष्ठानों ने 5 हजार रोजगार दिए। 15 लाख विजिटर आए, जिन्होंने स्थानीय अर्थव्यवस्था में सालाना 1.25 अरब यूरो का योगदान दिया। लंदन ने 13 लाख रात्रिकालीन रोजगार पैदा किए। वर्तमान में हैदराबाद एनटीई का कारोबार 8500 करोड़ रु. है, जो 2032 तक तीन गुना होकर अनुमानत: 26,011 करोड़ पहुंच सकता है। इससे रोजगार भी बढ़ेंगे। हैदराबाद ने ये शुरू किया है तो इसे मुम्बई, दिल्ली पहुंचने में वक्त नहीं लगेगा। इंदौर, अहमदाबाद जैसे टियर-2 शहर भी हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाले नहीं है।
फंडा यह है कि हम सभी को इस उभरते हुए विचार में सहभागिता निभानी चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में हमारे जीने के तरीके को बदलने जा रहा है।
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एन. रघुरामन का कॉलम: हमारे शहर की ‘एनटीई’ जल्द ही हमारे जीने का तरीका बदल देगी