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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
दिसंबर आते ही सुस्ती बढ़ जाती है। लोग टीवी, स्मार्टफोन पर रील देखते हुए और बाकी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर गेम खेलते हुए समय बिताते हैं। अगर आपको मेरी बात पर यकीन नहीं, तो विभिन्न इलाकों में हुए अध्ययन की हालिया रिपोर्ट देखें, जिसमें 16 देशों के 6300 किशोरों (11 से 19 साल के) व उनके माता-पिता से बात की गई। ये रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बिहेवियरल न्यूट्रीशन एंड फिजिकल एक्टिविटी में प्रकाशित हुई है।
इसमें कहा गया कि भारत समेत दुनियाभर के किशोर एक जगह टिककर करने वाली गतिविधियों में रोजाना दिन के आठ से दस घंटे बिता रहे हैं, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिदिन दो से तीन घंटे की अनुशंसा से चार गुना ज्यादा है। दिन में ऐसी गतिविधियों के पीछे स्क्रीन टाइम का बहुत बड़ा योगदान है, ऐसा ज्यादा इसलिए है क्योंकि बाहर के ठंडे मौसम के कारण शरीर गर्म कंबल के अंदर दुबका रहना चाहता है।
सवाल है कि क्या हमें पता है कि वर्ष के इस समय व्यायाम यकीनन किसी भी अन्य समय की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। क्यों? एक मोटिवेशन है। इन महीनों में जब सर्दी-खांसी की आशंका ज्यादा होती है, तो कसरत से इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। और मौसम बदलने के साथ जिन लोगों के मूड पर असर पड़ता है, कसरत से पैदा होने वाला एंडोर्फिन सर्दी-खांसी व हताशा वाले दिनों में नकारात्मक विचारों से बचा सकता है।
यही कारण है कि यूिनवर्सिटीज़ (जहां स्कूल के बाद ये किशोर जाते हैं) बच्चों को कसरत के लिए प्रेरित करने के रास्ते खोजते हैं। सोशल इवेंट्स या वार्षिक दिवस समारोह सिर्फ मूड बेहतर करने वाली कवायद नहीं है, बल्कि इन कार्यक्रमों को सफल बनाने के पीछे का उत्साह नए छात्रों के बीच भाईचारा बढ़ाता है, जो नए दोस्त बनाने का रास्ता खोलता है, जो उन्होंने हाल ही में स्कूली जीवन के बाद खो दिए थे।
याद रखिए कि बाहर तापमान घटने के साथ हॉस्टल रूम में अकेलापन उन्हें आसानी से डिप्रेशन की तरफ ले जा सकता है और ये नई बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है जो उन्हें स्क्रीन पर अपना समय बिताने की ओर धकेल रही है। गर्म-गर्म बिस्तर और रजाई में आराम महसूस करने वाले उन तमाम लोगों के लिए यहां कुछ सुझाव हैं, ताकि वे बिस्तर से बाहर निकलकर कसरत कर सकें।
1. दो अलार्म सेट करें, वो भी बिस्तर के बहुत नजदीक नहीं बल्कि कमरे के दूसरे छोर पर रखें और दोनों में 5 मिनट का गैप रखें। इसे बंद करने के लिए आपको उठना होगा। अगर आप रेडियो अलार्म लगाते हैं, तो संगीत से शुरू अलार्म आपका मूड अच्छा रखेगा।
2. सर्दियों में प्यास 40% तक कम हो जाती है। इसलिए लोग आसानी से अनहेल्दी खाने की तरफ झुक जाते हैं। विशेषज्ञ दो सुझाव देते हैं। सुबह उठने के बाद से जब भी मुमकिन हो, बिना दूध-शक्कर की गर्म हर्बल चाय, अदरक की चाय या मनपसंद फ्लेवर टी पिएं। दूसरा, ढेर सारी सब्जियों को काटकर गर्म सूप बनाएं या चुनाव के अनुसार नॉन वेज सूप भी बना सकते हैं। ये गर्म पेय दो काम करते हैं। ये शरीर को गर्म रखते हैं, साथ ही साथ डिहाइड्रेशन की समस्या सुलझाते हैं, क्योंकि इन दिनों में लोग कम पानी पीते हैं।
3. आपके सर्किल में कोई एक दोस्त जरूर होगा, जो सेहत के प्रति जुनूनी होगा, जिसे फिटनेस बडी बना सकते हैं। वह आपको प्रेरित करेगा या कम से कम स्वास्थ्य की अनदेखी करने के लिए आप में अपराध बोध पैदा करेगा।
4. जब कड़ाके की सर्दी पड़े, तो बाहर कसरत के लिए निकलने से पहले घर पर ही दस मिनट वार्मअप करें, क्योंकि शरीर का तापमान बढ़ाना जरूरी है।
5. एक रात पहले ही सारी तैयारी कर लें- कपड़े, पानी की बोतल, पूरे चार्ज ईयरफोन। अगले दिन अगर आप इनका इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो अपराध बोध होगा।
फंडा यह है कि सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे सर्दियों के इस मौसम में कसरत करें, ताकि सर्दी-खांसी और हल्के-फुल्के बुखार के प्रति उनका इम्यून सिस्टम बेहतर काम करे। और याद रखिएगा, कसरत न सिर्फ किशोरों को अकेलेपन से दूर रखने में मदद करेगी, बल्कि परिवार से दूर रहने वाले युवा एक्जीक्यूटिव्स के लिए भी मददगार होगी।
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एन. रघुरामन का कॉलम: सर्दियों में कसरत क्यों जरूरी है?