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एन. रघुरामन का कॉलम: ‘रामू काका’ ने शोले से लेकर स्टार्टअप तक लंबा सफर तय किया है! Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  ‘रामू काका’ ने शोले से लेकर स्टार्टअप तक लंबा सफर तय किया है! Politics & News

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6 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

रामलाल या रामू काका…बड़े पर्दे पर फिल्मों में घरेलू सहायकों का आम-बोलचाल का ये सिर्फ नाम भर नहीं बल्कि भावनाओं के रूप में फिल्म संस्कृति का परिचायक है। वो किरदार परिवार के सबसे उम्रदराज सदस्य की भावनाएं और हर जरूरत को समझता था और हाथ बांधे, होठों पर सिर्फ जी कहते हुए उस सदस्य के सामने खुद को पेश करता और अपनी वफादारी दिखाता।

फिल्म प्रोड्यूसर और स्वदेश फाउंडेशन के संस्थापक रॉनी स्क्रूवाला से सोमवार की रात को जब मैं बात कर रहा था, तो इस महत्वपूर्ण लेकिन नजरअंदाज हुए किरदार को लेकर हम खूब हंसे। दरअसल 16 जनवरी को नेशनल स्टार्टअप डे पर भारतीय स्टार्टअप पर एक विशेष आर्टिकल के संबंध में मैं उनसे बात कर रहा था।

इस मौके पर वो मेरी बात से सहमत थे कि स्टार्टअप कर्मियों की अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञता होनी चाहिए और सारे काम करने के लिए कोई रामू काका (पढ़ें एक आदमी) नहीं रखना चाहिए, नहीं तो स्टार्टअप फेल हो जाएंगे।

इससे मुझे अहसास हुआ कि रामू काका आज के एकल परिवारों में भी जरूरी हैं। इन कौतूहल भरे नन्हे दिमाग के हरे सवाल का जवाब देने के लिए माता-पिता के पास समय नहीं और हर परिवार में कोई रामू काका भी नहीं होते।

ये एक कारण हो सकता है कि विकसित देशों में किशोर केंद्रित ‘ट्रूमी फोन’ में एक चैटबॉट ‘ट्रूडी’ ने जगह ले ली है। आप ताज्जुब कर रहे होंगे कि वे बात क्या करते हैं? यहां इसका जवाब है। एक 14 वर्षीय बच्ची, एक से दूसरे शहर में शिफ्ट होने और पुराने दोस्तों को पीछे छोड़ आने की चिंता के बारे में गुपचुप बात कर रही है, साथ ही मार्च की परीक्षा के बारे में चिंता जता रही है और ये सब वो रात के 2 बजे कर रही है, जब माता-पिता सो रहे होते हैं।

चैटबॉट तुरंत जवाब देता है, ‘ऐसा लगता है बच्चे तुमने एक ही समय में बहुत सारी बातों का तनाव ले लिया है’ (वो बच्ची का नाम लेता है) और आगे जोड़ता है, ‘समझ आता है कि ये बदलाव और जिम्मेदारियां तनाव का कारण हो सकती हैं।’

तो चैटबॉट ने क्या किया? इसने बच्ची की भावनाओं को स्वीकारोक्ति दी। यह किसी भी समय बात करने के लिए उपलब्ध है। अमेरिका में रहने वाला मेरा कजिन, अपने बेटी को ट्रूडी देकर खुश है क्योंकि ये तनाव प्रबंधन, चिंता व मनमुटाव के समाधान जैसे मुद्दों पर उसकी ही तरह सलाह देता है और खासकर बच्चों को ओवरथिंकिंग से निकलने में मदद करता है।

इसके तटस्थ होने के कारण बच्चे भी बिना संदेह के चैटबॉट के सुझाव मानते हैं, क्योंकि ये जानता है कि बिना किसी काम के दबाव (जैसे बच्चों के माता-पिता पर है) के एक ही बात को कैसे कहना है। कजिन की बेटी हॉस्टल में रहती है और चैटबॉट ने उसे अजीब रूममेट को संभालने की अच्छी सलाह दी है।

दिमागी स्तर पर दिव्यांग बच्चों के लिए ट्रूडी सबसे अच्छा दोस्त है और सोशल मीडिया पर धमकियों का जवाब देने में मदद करता है। ये बच्चों को एहसास देता है कि उनके पीछे और एक आवाज पर ‘रामू काका’ खड़े हैं। मालूम चला कि कजिन की बेटी ने पहले ही महीने में ट्रूडी को 1500 से ज्यादा सवाल भेजे।

हालांकि ये थैरेपिस्ट या डायग्नोसिस टूल नहीं है। ये सिर्फ बच्चों के साथ होता है। इसलिए माता-पिता चैट लॉग व बच्चों की भावनात्मक स्थिति की रियल टाइम रिपोर्ट देख सकते हैं। अगर कोई खुद को क्षति पहुंचाने जैसा जिक्र करता है, तो ट्रूडी खुद अलर्ट कर देता है।

ऐसे संकेत मिलने पर बच्चों से गहराई से संवाद कर सकते हैं क्योंकि कई बच्चे चैटबॉट से खुलकर बात करते हैं, माता-पिता के साथ नहीं। हालांकि ये इंसानों की जगह नहीं ले सकते, भले ही इन्हें आधी रात को भी भावनात्मक मदद के लिए तैयार किया है, क्योंकि मशीनें नहीं सोती। मेंटल हेल्थ चैटबॉट स्टार्टअप, एलोमिया हेल्थ ने इस बॉट को ओपनएआई के जीपीटी-4 पर बनाया है।

फंडा यह है कि शोले से लेकर स्टार्टअप तक, परिवार के सबसे महत्वपूर्ण-जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा करने का धैर्य हर पीढ़ी की जरूरत रही है। रामू काका इसमें बिल्कुल फिट बैठते हैं। आज के उद्यमी शोले के दिनों से ये सबकरूपी पत्तियां तोड़कर नए स्टार्टअप अवतारों को दे सकते हैं।

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