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एन. रघुरामन का कॉलम: योग्यता के बावजूद युवाओं को अच्छी नौकरियां क्यों नहीं मिल रहीं? Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  योग्यता के बावजूद युवाओं को अच्छी नौकरियां क्यों नहीं मिल रहीं? Politics & News


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3 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

इस साल गर्मियों में मेरी कुछ छात्रों से मुलाकात हुई, जिनकी ठीकठाक अकादमिक उपलब्धियां थीं। उनमें से कुछ ने पेड तो कुछ ने अनपेड इंटर्नशिप की थी और कुछ लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के साथ वॉलंटियर रहे।

उनमें से एक छात्र मुझे पिछले हफ्ते मिल गया, जो जॉब इंटरव्यू के लिए आया था और दुखड़ा रोने लगा, “आपने तो कहा था कि ग्रेजुएशन अपने आप में बड़ी उपलब्धि है और एक नई शुरुआत है। लेकिन मैं अभी भी वहीं हूं, जहां तीन साल पहले ग्रेजुएशन शुरू करने के समय था।’ ये इकलौता छात्र नहीं है, जो ग्रेजुएट्स की नौकरी की तलाश की एक धुंधली-सी तस्वीर पेश कर रहा है। कई ग्रेजुएट नौकरी ढूंढने की प्रक्रिया को निराशाजनक और दिल दुखाने वाली कह रहे हैं।

ये स्थिति तब है, जब केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस हफ्ते बताया कि ऑटोमोबाइल व ऑटोमोटिव उपकरण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के कारण 30 हजार से ज्यादा नौकरियां सृजित करने में मदद मिली है।

ये हालात इसके बावजूद हैं कि अमेरिकी निवेशक जैसे जेबिल, जो एपल, एचपी और सिस्को का बड़ा सप्लायर है, तमिलनाडु के त्रिची में उत्पादन इकाई लगाने के लिए दो हजार करोड़ रु. निवेश करके पांच हजार नौकरियां सृजित कर रही है। हालात इस तथ्य के बावजूद भी हैं कि इस सप्ताह केंद्र द्वारा जारी हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया 2022-23 रिपोर्ट में ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में 50% कर्मचारियों की कमी पर प्रकाश डाला गया है।

तब मैंने एचआर से जुड़े कुछ लोगों से बात की कि आखिर स्नातकों की नौकरियों के बाजार में क्या गलत हो रहा है, जिससे नौकरी खोज रहे युवा और कंपनियों के बीच विच्छेद-सा है। लंबी बात में उन्होंने कई अनकहे हालात बताए।

नौजवान इससे अंजान हैं कि वे ऑटोमेटेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) स्क्रीनिंग, अनंत ऑनलाइन योग्यता परीक्षण व उच्च वेतन वाली नौकरियों की कमी के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। सबसे बड़ा खलनायक, आवेदनों की तादाद के कारण नियोक्ताओं द्वारा तैनात एआई स्क्रीनिंग है। यही कारण है कि कई विद्यार्थी भावी नियोक्ताओं के दृष्टिकोण से चीजें शेयर नहीं कर रहे हैं। कुछ लोग रिज्यूम बनाने में थोड़े-बहुत बदलाव का सुझाव देते हैं। यहां 5 प्रमुख सुझाव हैं-

1. रिज्यूम मशीन-रीडेबल बनाएं ः अनोखी डिजाइन, तस्वीर, कलर स्कीम पर भरोसा न करें। संक्षिप्त-छोटे वाक्यों से पुराने अनुभव बताएं। उपलब्धियां आंकड़ों में पेश करें।

2. रिज्यूम नौकरी विवरण के कीवर्ड से मेल खाना चाहिए ः एआई आधारित रिज्यूम स्क्रीनर कई बार योग्य उम्मीदवारों को भी खारिज कर देते हैं क्योंकि वे नौकरी के विवरण से मेल खाते सटीक मानदंड व कीवर्ड शामिल नहीं करते। ऐसे भी टूल हैं, जो एआई स्क्रीनर की नजर से आपको अपना रिज्यूम दिखाने में मदद कर सकते हैं। कुछ वेबसाइट्स आपको नौकरी विवरण डालने और अपने रिज्यूम की तुलना उस विवरण से करने की अनुमति देती हैं, ताकि देखा जा सके कि आपका रिज्यूम भूमिका से मेल खाता है या नहीं।

3. स्किल का गुणगान करें, स्कूल का नहीं : रिज्यूम में स्किल्स का हिस्सा बनाएं, ताकि एआई स्क्रीनर को उस पद के लिए स्किल्स का मिलान आसान हो। ऐसा मानते हैं कि एआई आपके शहर या आप कहां से ग्रेजुएट हैं, उसे कम ही प्राथमिकता देता है।

4. एआई आपका ऑनलाइन व्यवहार देखता है : अगर आप किसी भी जॉब साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एआई आपके कमेंट्स, व्यवहार, शब्दों का चयन आदि पर निगरानी रखता ही है। आप जो भी पोस्ट करते है, उससे आपका आत्मविश्वास, शब्दों का चयन और उदारता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

5. रिज्यूम मौलिक लगना जरूरी : रिज्यूम तराशने के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे एडिट करें, ताकि ये आपके व्यक्तित्व के हिसाब से मौलिक लगे।

फंडा यह है कि पहचानें, किन वजहों से भावी नियोक्ताओं की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा, अगली बार आवेदन से पहले उस क्षेत्र पर काम करें। मेरी तरफ से आपको शुभकामनाएं।

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