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- N. Raghuraman’s Column Provide Crash Courses To Youth On Road Etiquette
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
किसी भी नए कार खरीदार की भांति कोल्हापुर के 21 वर्षीय ओम जाधव ने हाल ही नई एसयूवी खरीदी, जिसकी कीमत 20 लाख रुपए है। इसी 10 जुलाई को उसकी कार की डिलीवरी हुई। अपनी हाई—एंड कार को खरीदने के यादगार मौके का जश्न मनाने और उसे लेकर चलने के लिए ओम ने अपने मित्रों को शोरूम पर बुलाया। कुशाल कदम, सोहम शिंदे, निखिल महांगदे और एक नाबालिग उसके साथ हो लिए।
शुरुआती जश्न और शोर-शराबे के बाद वे कार को ड्राइव कर एक व्यस्त पुल पर ले गए और सड़क के बीचों-बीच रोक दिया। उन्होंने अपनी नई खरीदी एसयूवी के साथ रील बनाने के लिए पुणे-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर करीब 15 से 20 मिनट के लिए पूरा आवागमन रोक दिया। यह सामान्य रील नहीं थी।
बल्कि उन्होंने आसमान से एक सटीक शॉट लेने के लिए ड्रोन का उपयोग भी किया ताकि एसयूवी और उसमें बैठे लोगों का 360 डिग्री शॉट लिया जा सके। इसके बाद जाधव ने ये वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जिसका सतारा जिला पुलिस को बाद में पता चला। इस रविवार को पुलिस ने उन सभी के खिलाफ यातायात आवागमन में बाधा डालने और अवैध रूप से ड्रोन का इस्तेमाल करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया और युवाओं से ऐसी गतिविधियों में शामिल ना होने की अपील की, जिससे अन्य लोगों को परेशानी हो।
अब दूसरी कहानी पर आते हैं। एक बच्चा इतना कमजोर था कि वह पांच साल की उम्र होने पर चल सका। और यहां से लगा कि उसने समय को पीछे छोड़ दिया। वह दुनिया का सबसे उम्रदराज फुल मैराथन धावक बना और दुनिया भर में लाखों युवाओं और बुजुर्गों की प्रेरणा बना। वह महान फौजा सिंह थे। उनके बारे में जानने से पहले, जब भी मेरी मेडिकल रिपोर्ट में मेरे चिकित्सकों को कोई चिंता का कारण दिखता तो वह मुझे छोटी दौड़ समेत और अधिक शारीरिक गतिविधियों की सलाह देते थे।
मैं उनसे तर्क करता कि एक उम्र के बाद, खासकर 50 के पार दौड़ना घुटनों के लिए सही नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में, मैं उन्हें सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी दिखाता था। और बदले में मेरे चिकित्सक ने फौजा सिंह के वीडियो बताए। मेरी तेज वॉक के पीछे भी वही प्रेरणा बने। ‘टर्बन्ड टोरनेडो’ के नाम से मशहूर फौजा 2012 के लंदन ओलिंपिक के मशालवाहक भी बने।
ब्यास गांव में जन्मे फौजा सिंह की उम्र उनके पासपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 1911 थी। 100वें जन्मदिन पर उन्हें क्वीन एलिजाबेथ-2 ने व्यक्तिगत तौर पर पत्र भेजकर शुभकामनाएं दी। विभिन्न आयुवर्ग की प्रतियोगिताओं में उनके नाम से कई रिकॉर्ड हैं। इस सोमवार को 114 वर्षीय फौजा सिंह जालंधर-पठानकोट हाईवे के किनारे चल रहे थे कि दोपहर करीब 3.30 बजे अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। परिजन उन्हें अस्पताल ले गए, पर उसी रात 8 बजे उनकी मृत्यु हो गई।
पुलिस, वाहन और चालक की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। जैसे ही उनकी मृत्यु की खबर फैली, सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया। मुझे भी वहीं से इस बारे में पता चला।
सड़क पर हुई इन दोनों घटनाओं ने मुझे खुद से पूछने को मजबूर कर दिया कि यह अचानक से हमें क्या हो गया? मुंबई में मेरे 30 साल के कार्यकारी जीवन में मैंने दुर्घटनाओं, खासतौर पर लोकल ट्रेन में हादसों का शिकार हुए लोगों की सहायता के लिए कम से कम 30 आकस्मिक अवकाश लिए होंगे। उन दिनों जब किसी को दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जानकारी अपने परिजनों को देनी होती थी, तो मोबाइल नहीं हुआ करते थे।
और ऐसा मैं अकेला नहीं था, बल्कि बॉम्बे, आजकल की मुम्बई में ऐसे बहुत से लोग थे। अलग-अलग शहरों से ऐसे कई लोग थे जो बदले में किसी भी चीज की अपेक्षा किए बिना लोगों की मदद करते थे। ऐसे लोगों ने मानवता को बनाए रखा।
फंडा यह है कि ऐसी छिटपुट घटनाएं हमारे समाज में काला धब्बा बन गई हैं। हमें हमारे युवाओं को तत्काल सड़क शिष्टाचार को लेकर क्रैश कोर्स कराने की जरूरत है। क्योंकि सड़कों पर भीड़भाड़ बढ़ रही है और यह उनके जीवन के लिए भी खतरा है।
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एन. रघुरामन का कॉलम: युवाओं को सड़क शिष्टाचार को लेकर क्रैश कोर्स कराएं