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- N. Raghuraman’s Column It’s Not A Game Of Living Long, It’s A Game Of Staying Healthy.
1 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
तकरीबन रोज की बात है। भोपाल में अगर आप सुबह-सुबह होशंगाबाद रोड से गुजरें, तो वहां आपको एक दुबला-पतला व फिट व्यक्ति वॉक करते, रनिंग करते हुए और साथ में कभी-कभी उछल-कूद करके हवा में ही अपना बैडमिंटन रैकेट घुमाते और दूसरे हाथ से फुटबॉल को मारते हुए दिख जाएगा, जैसे वह इन खेलों को अकेला ही खेल रहा है।
उसका यह एकल खेल वहां से गुजरने वालों का, खासतौर पर बच्चों का ध्यान खींचता है। कुछेक बार मैंने भी उन्हें देखा है, लेकिन हाल ही में दैनिक भास्कर के डीबी स्टार में प्रकाशित एक खबर में उनका जिक्र देखकर मुझे उनके बारे में और जानकारी मिली।
वह युवाओं को इस बात की सीख देते हैं कि कैसे अपनी स्वयं की एक्टिविटी को सोशल मीडिया पर वायरल कर फिट रहा जाता है। 65 वर्षीय ‘युवा’ अनिल कुमार श्रीकृष्ण नगाइच एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें ‘सुपर एजर्स’ कहा जा सकता है। ‘सुपर एजर्स’ ऐसा टाइटल है, जिसे बहुत कम लोग गर्व से धारण करते हैं।
ये करियर में मिले पद से कहीं ज्यादा है! हां, हम सब जीवनशैली में बदलाव करके ये टाइटल पा सकते हैं, जैसे प्रोसेस्ड फूड नहीं खाना, शरीर को पर्याप्त नींद देना। पर एक चीज है, जो उम्र को बेहतर तरीके से बढ़ाने के लिए की जा सकती है और वो है कसरत। देखा जाए तो यही एक मात्र उपाय है, जिसने उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने पर कोई प्रभाव दिखाया है। संक्षेप में, कसरत ही तय करती है कि कोई कितनी जल्दी बूढ़ा होगा।
करीबन 17 साल पहले, कार्डियोलॉजिस्ट और सैन डिएगो के स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशन इंस्टीट्यूट के संस्थापक एरिक टोपोल ने ये पता लगाने का प्रयास किया कि क्यों कुछ लोग बहुत बेहतर तरीके से उम्रदराज होते हैं, जबकि दूसरे क्यों नहीं। वह उस वक्त 53 वर्ष के थे और उन्हें लगा कि स्वस्थ तरीके से उम्र का बढ़ना एक गूढ़ वैज्ञानिक प्रक्रिया है और तब उन्होंने इस शोध में व्यक्तिगत तौर पर रुचि ली, क्योंकि उन्हें यह शक भी था कि ये जेनेटिक भी हो सकती है।

मित्रों के साथ उन्होंने छह वर्ष से अधिक समय में ऐसे करीब 14,000 से अधिक लोगों की जीनोम सिक्वेसिंग की, जो उम्र के 80वें दशक में थे और जिन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। टोपोल ने उन्हें ‘सुपर एजर्स’ कहा। शोध में उन्होंने पाया कि बेहतर तरीके से उम्र के बढ़ने में कसरत सबसे बड़ा योगदान देती है।
कार्डियोलॉजिस्ट के तौर पर टोपोल को हमेशा से लगता था कि साइकलिंग, वॉकिंग और स्विमिंग सबसे अच्छी कसरत हैं। लेकिन उनके शोध ने साबित किया कि सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है। उन्होंने अपनी नई पुस्तक ‘ सुपर-एजर्स-एन एविडेंस बेस्ट अप्रोचु टू लॉन्जेविटी’ में ये बात कही है।
उन्होंने कहा है रेसिस्टेंस ट्रेनिंग और ग्रिप स्ट्रेंथ का स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ने के साथ असाधारण संबंध है। सवाल है कि कौन-सी कसरत करें और क्या हम एक ट्रेनर रखें? टोपोल कहते हैं कि ट्रेनर की जरूरत नहीं। वे लोगों को सलाह देते हैं कि वह जो कर सकते हैं, वो करें- प्लैंक्स, लंग्स की एक्सरसाइज, सिट-अप्स, स्क्वैट्स और फ्लोर पर किए जा सकने वाले व्यायाम, खासतौर पर रेजिस्टेंस बैंड्स संबंधी एक्सरसाइज और पैड्स पर संतुलन बनाना।
अपनी पुस्तक में वो कहते हैं कि मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने की शुरुआत करने के लिए कोई उम्र बड़ी नहीं होती। किसी भी उम्र में आप एथेलेटिकली फिट और मजबूत होने में पूर्णत: सक्षम हैं। टोपोल की पुस्तक पढ़कर मुझे लगा कि जो अनिल कुमार कर रहे हैं, उसमें सबसे महत्वपूर्ण है- बाहर घूमना।
पुस्तक में बताया है कि बुजुर्ग एकांतप्रिय हो जाते हैं। और यह स्वस्थ्य तरीके से उम्र बढ़ने के लिए ठीक नहीं। उनका कहना है, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि दोस्तों के साथ प्रकृति के इर्दगिर्द घूमना सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।’ और याद रखें कि यह अपने परिजनों और सगे-संबंधियों से ‘सुपर एजर्स’ का टाइटल पाने की बात नहीं है, बल्कि यह एक तथ्य है कि यदि आप उन पर अक्सर अस्पताल जाने का दबाव नहीं डालोगे तो वे आपसे अधिक प्यार करेंगे।
फंडा यह है कि यह लंबे समय तक जीने का खेल नहीं (यह तो भगवान के हाथों में है), यह खेल है स्वस्थ रहने का, ताकि आगे आने वाले साल कैंसर, कार्डियोवैस्कुलर और न्यूरो डीजेनरेशन जैसी उम्र संबंधी गंभीर बीमारियों के बिना गुजर सकें।
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एन. रघुरामन का कॉलम: यह लंबे समय तक जीने का खेल नहीं यह खेल है स्वस्थ रहने का।