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- N. Raghuraman’s Column Caring For The Elderly Is Not Just A Good Deed, It’s Also Big Business
14 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
खातेगांव, मध्य प्रदेश का एक कृषि-उत्पादक क्षेत्र है। यह इंदौर से 120 और भोपाल से 145 किमी दूर है। लगभग 35,900 की आबादी वाले इस विधानसभा क्षेत्र ने इस महीने की शुरुआत में 200 से अधिक बुजुर्गों का मुफ्त इलाज करके और एक 100 वर्षीय महिला की सहायता करके अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस मनाया।
इसे यह कहकर निरस्त न कर दें कि एक नामालूम-सी जगह की इस छोटी-सी संख्या का हमसे क्या सरोकार है। 1951 की जनगणना में देश में बुजुर्ग जनसंख्या का प्रतिशत मात्र 5.5% था, जो 2011 की जनगणना तक बढ़कर 8.6% हो गया तथा 2031 में इसके 13.1% तक हो जाने की संभावना है। 2011 में जो बुजुर्ग 10.38 करोड़ थे, वो बढ़कर 2031 में 19.38 करोड़ हो जाएंगे तथा यूएनएफपीए का अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या बढ़कर 34.7 करोड़ तक पहुंच सकती है। यह एक बहुत बड़ी आबादी होगी।
यह क्यों महत्वपूर्ण है? एक तरफ अल्जाइमर्स, पार्किंसंस, डिमेंशिया, गतिहीनता जैसी विशिष्ट बीमारियां और स्थितियां बुढ़ापे से जुड़ी हैं और जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। दूसरी तरफ, कई राज्यों में राजस्व-अधिकारी माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत दायर मामलों के बोझ तले दबे जा रहे हैं।
उदाहरण के लिए, ऑल-गोवा सीनियर सिटीजंस फेडरेशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह राजस्व अधिकारियों को प्रशिक्षित करे, ताकि वे समाज-कल्याण और विधि विभागों को कानूनी विशेषज्ञता वाले अधिकारियों की नियुक्ति करके भरण-पोषण संबंधी मामलों को सुधारने की सलाह दे सकें। यह बढ़ते पारिवारिक विवादों को दर्शाता है।
इन आंकड़ों को कौन समझ पा रहा है? तीन बातें हुई हैं और केंद्र, राज्य और सरकारी एजेंसियां धीरे-धीरे इन बढ़ते हुए आंकड़ों के प्रति जागरूक हो रही हैं। ये हैं :
1. केंद्र सरकार ने इस साल 70 से ऊपर की उम्र के सभी लोगों को आयुष्मान भारत योजना का कवर दिया है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। कौन जानता है कि आने वाले सालों में, अगले चरण में इसे 65 साल से ऊपर की उम्र वालों तक भी बढ़ाया जाए।
2. राज्य स्तर पर, केंद्र ने राज्यों से बुजुर्गों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक अखिल भारतीय हेल्पलाइन लागू करने का आग्रह किया है। यह लागू होने की प्रक्रिया में है। टोल-फ्री नंबर-एल्डरलाइन 14567- सातों दिन सुबह 8 से शाम 8 बजे तक चालू रहेगा, जो बेघर बुजुर्गों से दुर्व्यवहार, उनके रेस्क्यू और परिजनों से उनकी री-यूनियन के मामलों में मुफ्त जानकारी, मार्गदर्शन, भावनात्मक समर्थन और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप प्रदान करेगा।
3. तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग ने अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर मंगलवार को सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ‘बुजुर्ग स्वास्थ्य सहायक’ के लिए तीन महीने का सर्टिफिकेशन पाठ्यक्रम शुरू किया। इसके अंतर्गत तीन महीनों में 975 लोगों को प्रमुख संस्थानों में प्रशिक्षित किया जाएगा। दसवीं उत्तीर्ण करने वाले छात्र इसके लिए नामांकन कर सकते हैं। मद्रास मेडिकल कॉलेज के तहत आने वाला राष्ट्रीय वृद्धावस्था संस्थान पाठ्यक्रम का संचालन करेगा। एनआईए हर जिले के छात्रों को प्रशिक्षित सहायक बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यहां से संकेत लेते हुए निजी कॉलेज भी इसमें उतरेंगे।
बात केवल बुजुर्गों की देखभाल की ही नहीं है, अकेले रहने वाले या अपने बच्चों से दूर रहने वाले शारीरिक रूप से सक्षम वरिष्ठ नागरिक इस नवरात्र के दौरान लखनऊ में चंद्रिका देवी मंदिर और बड़ी कालीजी मंदिर, धर्मशाला में चामुंडा देवी मंदिर या देश भर में अन्य शक्तिपीठों में जाने के लिए यात्रा-सहायता की तलाश कर रहे हैं। रिश्तेदारों, बैंकों, वित्तीय ज्ञान और कई अन्य क्षेत्रों में जाने के अलावा यह आबादी चुपचाप मदद की मांग कर रही है। लेकिन उन्हें इसके लिए ईमानदार, विनम्र किंतु प्रशिक्षित लोग नहीं मिल रहे हैं।
फंडा यह है कि बुजुर्गों की हेल्थकेयर, उनकी वित्तीय और अन्य जरूरतों का प्रबंधन करना एक ऐसा व्यवसाय बनने जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होंगे। इससे पहले कि इसमें बहुत भीड़ हो जाए, इसमें शामिल हो जाइए।
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एन. रघुरामन का कॉलम: बुजुर्गों की देखभाल अच्छे कर्म ही नहीं, बड़ा बिजनेस भी है