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- N. Raghuraman’s Column How To Measure A City’s Spending Habits Before Investing In Business?
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
सूर्योदय होते ही सड़क किनारे सारे फेरीवाले फटाफट अपना ठेला खोल लेते हैं, इसमें रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क के हर कोने तक ये स्टॉल वाले ताजी ब्रेड और पाव को व्यवस्थित जमाते हैं। इन्हें सैंडविच स्टॉल समझने की गलती न करें।
वहां कोई सब्जियां नहीं हैं। लेकिन इसके पास मिट्टी का एक घड़ा है, जिसमें ताजा सफेद मक्खन भरा हुआ है। दुकान वाला ब्रेड पर सफेद मक्खन की मोटी परत लपेटता है और सुबह-सुबह अपनी चाय में डुबोकर लोग बड़े चाव से ब्रेड-बटर या मस्का-पाव खाते हैं।
अगर पोहा-जलेबी देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (मप्र) का सुबह का नाश्ता है, तो मस्का-पाव इससे थोड़े कम स्वच्छ शहर कानपुर (उप्र) का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला नाश्ता है। शहर गंदा इसलिए क्योंकि इस शहर में पान-मसाला खाने की आदत सबसे ज्यादा है, जिसके चलते जहां भी जाओ, वहां पीक मारने के निशान मिलते हैं।
यहां हर वर्ग के लोगों में पान-मसाला खाने की आदत इतनी ज्यादा है कि शहर की सड़क पर चलने वाली अधिकांश कारों में टिन कंटेनर रखने के लिए विशेष रूप से बनाया पान-मसाला स्टैंड मिल सकता है। पिछले तीन दशक में यह शहर सबसे ज्यादा पीक मारने वाला शहर बन गया क्योंकि यहां बहुत ज्यादा पान-मसाला खाया जाता है।
मैं साल 1989 में बिजनेस संवाददाता के रूप में एक दिन के लिए कानपुर रुका था, जब हमीरपुर में हिंदुस्तान लीवर की साबुन बनाने वाले फैक्ट्री का उद्घाटन था, जो कि सर्फ वॉशिंग पाउडर बनाती थी। हालांकि यह फैक्ट्री वहां से 70 किमी दूर-दराज थी, ऐसे में फैक्ट्री के अधिकांश उच्चाधिकारी कानपुर में उस समय की इकलौती स्टार होटल मेघदूत में रुके थे, यहीं भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी भी रुकते थे।
इस हफ्ते जब मैं 35 साल बाद कानपुर गया तो मुझे बताया गया कि मेघदूत बंद हो गई है और उसी शहर में उस श्रेणी की स्टार होटल लैंडमार्क पिछले 33 सालों से है और किसी प्रतिस्पर्धा के अभाव में अच्छा-खासा बिजनेस कर रही है।
मेरे साथ मौजूद एक निवेश सलाहकार ने जब यह बात सुनी तो वह बोले, अरे…इस शहर से किसी भी निवेश पर अच्छे रिटर्न (आरओआई) की उम्मीद नही की जा सकती। लेकिन उन्होंने एक आइडिया दिया कि शहर के खर्च करने का पैटर्न का कैसे पता लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमको रात में जागना चाहिए, खासकर वीकेंड पर और यहां की नाइटलाइफ देखनी चाहिए। जब वह मुझे यह सलाह दे रहे थे, हमने देखा कि कुछ बॉलीवुड सितारे होटल में दाखिल हो रहे हैं, वे यहां किसी शादी-समारोह में अपनी प्रस्तुति देने आए थे। जाहिर था कि मोटी फीस लिए बिना ये सितारे किसी समारोह में नहीं आएंगे। उन्हें देखकर उन निवेश सलाहकार ने कहा कि देखिए, इस शहर के लोगों के पास लग्जरी पर खर्च करने के लिए अटूट पैसा है।
और वह सही थे। ज्यों ही हम रात को 9 बजे होटल से बाहर निकले, हमें यह भी अहसास हुआ कि यह शहर आतिशबाजी पर भी अच्छा-खासा पैसा खर्च करता है। वहां कई सारे नाइट-क्लब्स हैं, जहां महंगी कारें आती-जाती रहती हैं। ये क्लब अनधिकृत रूप से देर रात तक भी खुले रहते हैं।
यहां हर रात का प्रति व्यक्ति औसत खर्च 30 हजार रुपए से ऊपर है। अपना ग्राउंड वर्क पूरा करने के बाद जब हम होटल लौटे, तो हमें पता चला कि देश और दुनिया की सबसे बड़ी होटल चेन में से एक ताज और हयात साल 2025-26 तक कानपुर में आ रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि नई चीजों की लालसा करने वाले ग्राहक ऐसे नए उपक्रमों पर खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं। आगे चलकर देखते हैं, कानपुर जैसे कुछ शहर तेजी से आगे बढ़ने वाले हैं! ऐसे शहरों में एक व्यावसायिक उद्यम आपको अच्छा आरओआई देगा।
फंडा यह है कि किसी शहर को ऊपरी तौर पर देखकर वहां निवेश के अवसर का आकलन न करें। जब शाम ढल जाए तब उस शहर को नजदीक से देखें कि कैसे सितारे (बॉलीवुड से) उनकी जिंदगी में चमक बिखेरने के लिए उतरकर आते हैं और फिर उस शहर में निवेश की योजना बनाएं।

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एन. रघुरामन का कॉलम: बिजनेस में निवेश से पहले शहर की खर्च करने की आदत कैसे मापें?