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एन. रघुरामन का कॉलम: प्यासे को कुएं तक जाना पड़ता है, कुआं उसके पास नहीं आता Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  प्यासे को कुएं तक जाना पड़ता है, कुआं उसके पास नहीं आता Politics & News

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4 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

‘प्रिय छात्रो, XXXXX विश्वविद्यालय करियर सेवा केंद्र छात्रों को ऑन-कैंपस इंटर्नशिप के अवसर खोजने और उन्हें तैयार करने में मदद के लिए समर्पित है। हमारा लक्ष्य नियोक्ताओं और छात्रों के साथ मिलकर ऐसा अनुभव देना है जो सीखने, पेशेवर विकास और उत्पादकता को बढ़ावा दे।

हम विभिन्न प्रकार के इंटर्नशिप अवसर प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं: मार्केट रिसर्च इंटर्न, डेटा एनालिस्ट, हेल्थ असिस्टेंट, सॉफ्टवेयर डेवलपर, ऑफिस असिस्टेंट, आईटी असिस्टेंट और स्टूडेंट इन्फ्लुएंसर। इंटर्नशिप कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक छात्र xxxxx(विश्वविद्यालय कर्मचारी का नाम) @xxx18@gmail.com पर अपने मुख्य और एक वैकल्पिक ईमेल पते के साथ संपर्क कर सकते हैं, ताकि आवेदन प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

शुभकामनाएं, XXXXX विश्वविद्यालय करियर सेवा और पेशेवर विकास’ सतही तौर पर देखें, तो ये डमी लैटर अच्छी तरह तैयार और व्यवस्थित मैसेज लगता है। हालांकि, यदि थोड़ा गहराई में जाएं, तो एक बड़ी खामी दिखतीहै- इसमें ईमेल एड्रेस यूनिवर्सिटी का नहीं, बल्कि एक सामान्य जीमेल है। अब बेंगलुरु की बात करें। वहां कई छात्र, ऑनलाइन इंटर्नशिप की पेशकश करने वाले ठगों का शिकार बन गए हैं, और उन्हें नहीं पता था कि भुगतान करने और ऑफर स्वीकार करने से पहले जांच करनी चाहिए।

ये सब कैसे हो रहा है? पहले ये ठग इंटर्नशिप वेबसाइट्स के नाम से विद्यार्थियों के वॉट्सएप ग्रुप में घुस जाते हैं। पैसा ऐंठने से पहले ये वेबसाइट्स छात्रों के रिज्यूम को मजबूत करने के लिए मुफ्त इंटर्नशिप का विज्ञापन करती हैं। ये प्रक्रिया विद्यार्थियों के बीच गूगल फॉर्म भेजने से शुरु होती है। फिर कुछ दिन बाद हर विद्यार्थी से 250 से 500 रु. की फीस मांगी जाती है।

कई ने दावा किया कि एक बार पैसा लेने के बाद आगे की प्रक्रिया के बारे में बहुत कम या बिल्कुल भी जानकारी नहीं होती। अंतिम वर्ष के छात्र अर्जुन का कहना है कि ‘मैंने सोचा कि 450 रुपए देने के बाद मुझे कंटेंट राइटिंग का अनुभव मिलेगा।’ लेकिन पैसा देने के बाद महसूस हुआ कि वहां कुछ भी वास्तविक काम नहीं था। बस कुछ सामान्य से निर्देश और एक प्रमाणपत्र का खाका शेयर कर दिया गया था।

सिर्फ बेंगलुरु ही नहीं, पूरी दुनिया में ऐसे घोटाले अब आम हैं। विद्यार्थियों को इंटर्नशिप अवसरों के लिए निशाना बनाने वाले ठग अक्सर ऐसे ही संदेश इस्तेमाल करते हैं। ये वैध कंपनियों की भांति लग सकते हैं। यहां ठगी के कुछ सामान्य हथकंडों की जानकारी है।

बिना आवेदन के ऑफरः ठग अक्सर उन्हें ईमेल-मैसेज भेजते हैं, जिन्होंने किसी पद के लिए आवेदन ही नहीं किया होता। इन ईमेल में दावा किया जाता है कि वह ‘चुने गए हैं’ या ‘सोशल साइट्स पर उनकी रुचि देखी गई है।’ याद रखें, वैधानिक कंपनियां उस व्यक्ति को नौकरी या इंटर्नशिप की पेशकश नहीं करती, जिन्होंने आवेदन ही नहीं किया हो।

नौकरी का झूठा विवरण: यदि कोई नौकरी का प्रस्ताव व्यवहारिकता से परे लगे तो यकीन मानिए कि यह झूठा है। यदि नौकरी की जानकारी अस्पष्ट है, कम काम के बदले ज्यादा तनख्वाह का वादा करता है तो यह सच्चा नहीं है। मुझे एक बात बताओ कि कौन-सी कंपनी इतनी दयावान होगी कि वह बिना काम के ही आपको अधिक पैसा दे।

दवाब बनाना: यदि कोई ठग आप पर ऑफर को स्वीकार करने के लिए दवाब बना रहा है, जल्दबाजी कर रहा है तो मान लीजिए कि यह शुद्ध तौर पर घोटाला है। याद रखें कि यदि इंटर्नशिप वास्तविक है तो बाजार में आपके जैसे हजारों अभ्य​र्थी हैं, जिन्होंने बहुत पहले ही इस मौके को लपक लिया होता। चयन प्रक्रिया में हर किसी को जूझना पड़ता है।

निजी जानकारी या पैसा मांगना: जो कंपनियां इंटर्नशिप का प्रस्ताव देती हैं, वो कभी निजी जानकारी या पैसा नहीं मांगती। यदि ऐसा है तो यह स्पष्ट तौर पर घोटाला है।

फंडा यह है कि यदि आप अवसर, नौकरी या महज लोन की भी तलाश कर रहे हैं तो इन्हें देने वाले लोग आपके पास कभी नहीं आएंगे। आपको ही उनके पास जाना पड़ेगा। यदि बात इसके विपरीत है तो यह निश्चित ही घोटाला है। सावधान रहिए।

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