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- N. Raghuraman’s Column: Learn Food Pairings To Reap Nutritional Benefits
12 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
जब भी मेरे हाथ या पैर में कोई सूजन आ जाती या कोई फोला/ फोड़ा हो जाता तो मेरी मां कड़ाई में तुरंत तैयार किया हुआ एक लेप लगातीं। इसे बनाने के लिए वो उबलते तेल में एक टेबलस्पून आटा और एक टीस्पून हल्दी मिलातीं और पांच मिनट में देसी लेप तैयार हो जाता।
आधुनिक बच्चे इसे क्रीम कह सकते हैं। उस लेप को वह पान के पत्ते में लेती और जब वह सहने लायक गर्म बचता तो उसे किसी पुराने साफ फटे कपड़े से सूजन वाली जगह में बांध देतीं। उस ड्रेसिंग के बाद वह एक कप हल्दी वाला दूध देतीं, जिसे आज के समय में हम ‘लाटे’ कहते हैं। अगले दिन वह सूजन कम हो जाती या वह फोला फूट जाता और दर्द भी कम हो जाता।
चमकते-पीले रंग के इस मसाले का हमारे यहां सदियों से औषधीय इस्तेमाल होता आ रहा है। आज हल्दी के संभावित स्वास्थ्य लाभ पर सक्रिय अध्ययन हो रहे हैं, वजह हल्दी का मुख्य घटक करक्यूमिन है। ये 8,000 से अधिक यौगिकों के एक वर्ग से संबंधित है जिन्हें पॉलीफेनोल्स कहा जाता है।
करक्यूमिन में मजबूत इंफ्लामेशन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और ऐसा माना जाता है कि यह न केवल दर्द को कम करने में मदद करता है, बल्कि गैर-अल्कोहल फैटी लिवर की गंभीरता को भी कम करता है और अवसाद के लक्षणों को कम करता है। कोई ताज्जुब नहीं कि हम भारतीयों के हर खाने में हल्दी होती है।
ये समझने में मुझे वर्षों लग गए कि हमारी मांएं कितनी जीनियस थीं। भले ही वे स्कूल नहीं गई, लेकिन वे वह विज्ञान जानती थीं, जिसे हमने सातवीं-आठवीं में पढ़ा कि अगर क्षार (पढ़ें हल्दी) और अम्ल (पढ़ें खड़ी लाल मिर्च या पाउडर) मिलाएं तो वे एक दूसरे का प्रभाव न्यूट्रलाइज कर देते हैं। यही कारण है कि मेरी मां व्रत के खाने में हमेशा हल्दी के साथ काली मिर्च डालतीं।
अब शोधकर्ता कह रहे हैं कि हल्दी, जिसे शरीर अच्छी तरह अवशोषित नहीं कर पाता, इसे बेहतर करने के लिए इसमें कोई बसा जैसे तेल मिलाने की अनुशंसा कर रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि जब हल्दी को काली मिर्च के साथ मिलाया जाता है, तो काली मिर्च का सक्रिय घटक पिपेरिन, करक्यूमिन के हीलिंग गुण को हल्दी से निकालने में मदद करता है।
हल्दी में काली मिर्च का 1/20 हिस्सा भी करक्यूमिन के शरीर में उपयोग में सुधार कर सकता है। दिलचस्प रूप से, शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि हल्दी का अवशोषण बढ़ाने के लिए इसे गर्म करें, जैसा हमारे पूर्वज हमेशा करते थे।
आज के वैज्ञानिक व खाद्य शोधकर्ता न केवल हल्दी को तेल व काली मिर्च के साथ मिलाने का कहते हैं, बल्कि वे पालक, आलूबुखारा, टोफू, कद्दू के बीज, छोले को कई चीजों के साथ जोड़ते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें आयरन की मात्रा अधिक होती है लेकिन शरीर को इसकी पूरी मात्रा नहीं मिल पाती।
वैज्ञानिकों का कहना है कि पादप खाद्य पदार्थों में मौजूद आयरन, जिसे ‘नॉन-हीम आयरन’ (non-heme iron) कहा जाता है, शरीर में अच्छी तरह अवशोषित नहीं होता। ‘फाइटेट्स’ नामक प्राकृतिक यौगिक के कारण, शरीर के अवशोषण के लिए आयरन मिलता नहीं।
वहीं, अगर कोई इन सब्जियों में विटामिन सी मिलाए तो आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है। जैसे ग्रीन सलाद के साथ आधा कप कटी स्ट्रॉबैरी (50 मिलीग्राम विटामिन सी), तली सब्जी के साथ ब्रोकोली (81 मिलीग्राम विटामिन सी) मिला दें, तो इन हरी सब्जियों से शरीर अधिकतम आयरन लेगा।
लाल शिमला मिर्च में 100 मिलीग्राम, पीली शिमला मिर्च में 170 मिलीग्राम विटामिन-सी होता है, जिसे हरी सब्जियों जैसे पालक, शकरकंद, गाजर, कद्दू के साथ एक चम्मच तेल में सॉते करें तो ये सब्जियां दिमाग के लिए फायदेमंद विटामिन-ई व हड्डी निर्माण करने वाला विटािमन-के का शरीर में अवशोषण बेहतर करता है।
फंडा यह है कि अगर आपको नहीं पता कि किस सब्जी को किस के साथ मिलाएं, तो अपनी दादी-नानी और मां से पूछें कि वह उन सालों में कैसे खाना पकाती थीं क्योंकि वे आज के वैज्ञानिकों की तरह ही बुद्धिमान थे।

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