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- N. Raghuraman’s Column To Solve The Puzzle, Attention Should Be Paid To Even The Smallest Things
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
13 अप्रैल 2024 को नवी मुंबई के नेरुल इलाके के एक पूल में एक अज्ञात व्यक्ति खून से लथपथ पाया गया। 45 वर्षीय इस व्यक्ति की हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगालते हुए पुलिस ने पाया कि मृतक कूड़ा बीनने का काम करता था और हत्या की पूरी वारदात कैमरे में कैद हो गई।
जाहिर तौर पर पुलिस ने सोचा कि इस हत्या का लूट की कोशिश से कोई संबंध नहीं होगा। फुटेज में पुलिस ने गौर किया कि एक व्यक्ति किसी नुकीली चीज से दूसरे व्यक्ति के सिर पर वार कर रहा है, लेकिन फुटेज स्पष्ट नहीं था कि आरोपी की शिनाख्त हो सके। मृतक के साथ क्या हुआ, यह ठीक-ठीक पता चल जाने के बाद भी पुलिस के पास आरोपी का कोई सुराग नहीं था।
फुटेज खंगालते हुए पुलिस को वारदात वाली जगह पर, एक काला श्वान (डॉग) दिखा, जिसकी छाती पर एक सफेद पट्टी थी। इस हिंसक वारदात से श्वान को कोई फर्क नहीं पड़ा और न ही उसने किसी पर भौंका, जबकि वह नजदीक ही बैठा हुआ था। इससे पुलिस को अंदेशा हुआ कि इस श्वान और हत्यारे के बीच कोई न कोई संबंध जरूर होगा।
पुलिस ने हत्यारे को ढूंढने के बजाय उस श्वान को खोजना शुरू किया। आखिरकार उन्हें नेरुल फ्लाईओवर के पास एक फुटपाथ पर रहने वाले के पास डॉग को देखा। उस व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि वह डॉग भूर्या नाम के किसी आदमी के साथ रहता है, क्योंकि वह उसे रोज खिलाता है। और यही डॉग बाद में पुलिस को संदिग्ध व्यक्ति के पास ले गया, केस सुलझाने में मदद की।
उस व्यक्ति को खोजने के बजाय, वे यह जानने के लिए डॉग पर नजर रख रहे थे कि उसे कौन खिलाता है। और इस तरह भूर्या उर्फ मनोज प्रजापति को पुलिस ने पकड़ा, जब वो एक अन्य फ्लाइओवर के नीचे सो रहा था। उसने आरोप लगाया कि झुग्गी-झोपड़ी वाला वह व्यक्ति उसकी कमाई छीन लेता था, इस बात पर उस दिन उनकी लड़ाई हो गई, जिससे चलते उसने उसकी हत्या कर दी।
इस वारदात से मुझे 20 नवंबर 2019 को हुई एक और सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री याद आ गई। जिसमें अमेरिका के दक्षिण अलबामा यूनिवर्सिटी के 39 वर्षीय इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर मैथ्यू वाइज़र को उनके घर में घुसपैठ करके, गोली मारकर हत्या कर दी थी।
शुरुआत में केस में आगे बढ़ने का कोई सुराग नहीं मिला और कुछ समय तक केस ठंडा पड़ा रहा। यहां तक कि पुलिस ने केस से जुड़ी किसी भी सूचना के लिए 5,000 डॉलर के ईनाम की भी घोषणा की। कोई भी लीड नहीं मिलने के बाद जांचकर्ताओं ने बारीक से बारीक चीजों पर ध्यान देना शुरू किया।
चुराई गई चीजों में वीडियो गेम कंसोल निन्टेन्डो का एक स्विच भी था। पुलिस को स्विच का नंबर मिल गया और इंतजार किया कि कोई इस स्विच को कनेक्ट करके गेम खेलेगा। 13 दिसंबर 2019 को चुराया गया स्विच ऑनलाइन हुआ और पुलिस इसका आईपी एड्रेस ट्रेस करने में कामयाब रही और गेम सिस्टम की ऑनलाइन गतिविधियों को फॉलो किया, जिसके चलते पुलिस 20 साल के दो व्यक्तियों डेरिक स्कॉट और टिकूज टिमन्स तक पहुंची। विस्तृत जांच हुई और 17 फरवरी 2020 को एक तीसरे संदिग्ध, 23 वर्षीय कर्टिस एंथोनी वोमैक जूनियर को भी मर्डर के चार्ज में गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों ही मामलों में ऑब्जर्वेशन यानी पैनी नजर, तार्किक सोच और किसी ऐसी चीज़ को पहचानने की क्षमता जो उस गतिविधि से जुड़ी नहीं है- इसने ही केस को सुलझाया। ये गुण सिर्फ कानून लागू करने वाली मशीनरी तक ही सीमित नहीं हैं। कॉर्पोरेट जगत में इन गुणों की सबसे ज्यादा जरूरत है। और ये गुण तभी विकसित हो सकते हैं, जब आपका मन शांत रहेगा।
फंडा यह है कि साज़ो-सामान, इंसानों और आसपास मौजूद अन्य सजीवों में अगर आपको कुछ असामान्य चीज खोजनी है, तो ऑब्जर्वेशन के स्किल को बेहतर करना होगा और फिर क्या पता, वह असामान्य चीज ही उस अनोखी समस्या के पीछे की मिस्ट्री को सुलझा दे।
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एन. रघुरामन का कॉलम: पहेली सुलझाने के लिए बारीक से बारीक चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए