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एन. रघुरामन का कॉलम: नौकरी को एक अलग बिजनेस में बदलने के लिए अच्छा प्रदर्शन करें! Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  नौकरी को एक अलग बिजनेस में बदलने के लिए अच्छा प्रदर्शन करें! Politics & News

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1 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

पहला पत्र : पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में तैनात नर्सिंग कर्मियों को कुछ व्यवहार का पालन करने का निर्देश दिया गया है। इस सर्कुलर के अनुसार उनसे अपेक्षा जताई गई है कि वे मरीजों के साथ अच्छा रवैया, दयालु व्यवहार, समर्पण, गरिमा और अनुशासन के साथ, संचार कौशल में नरमी रखें।

सर्कुलर में यह भी चेतावनी दी गई है कि किसी भी तरह के खराब व्यवहार की सूचना पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सभी संबंधित नर्सिंग प्रशासकों को मरीजों की सेवा के मानक बनाए रखने के लिए सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

इसका मतलब यह है कि विभिन्न स्तरों पर नर्सिंग कर्मी रोगियों और उनके परिवारों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं, जबकि उनसे स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते समय करुणा और सहानुभूति के साथ काम करने की उम्मीद की जाती है।

दूसरा पत्र : हाल ही मेंं, कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री मार्क हॉलैंड ने समकक्षों को लिखा कि नर्स प्रैक्टिशनर्स (एनपी), फार्मासिस्ट व मिडवाइफ द्वारा दी जाने वाली “चिकित्सक की समकक्ष सेवाओं” को सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित हेल्थ इंश्योरेंस प्रोग्राम में कवर किया जाना चाहिए।

इसका मतलब ये है कि उपरोक्त तीनों वर्ग के लोग मरीजों को संबंधित सेवाएं देने के बाद बीमा कंपनियों को स्वतंत्र रूप से बिल दे सकेंगे जैसे चिकित्सक अपनी सेवाओं के बाद करते हैं। ये पत्र अप्रत्यक्ष रूप से, प्राथमिक देखभाल सेवाओं को चिकित्सा सेवाओं की तरह ही महत्वपूर्ण मानता है।

इस पत्र ने एक और बहस छेड़ी है कि इस तरह के लाभ पाने के लिए मनोवैज्ञानिकों, फिजियोथैरेपिस्ट व संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों को शामिल क्यों नहीं किया गया है। या सब कुछ डॉक्टरों को चिकित्सकीय रूप से आवश्यक मानना चाहिए व मेडिकेयर द्वारा कवर किया जाना चाहिए? इसका उत्तर खोजने के लिए, मेडिकेयर की बुनियादी सोच पर बड़ी बहस की जरूरत है।

भारत व कनाडा में जारी ये दो अलग-अलग पत्र, भले एक-दूसरे से पूरी तरह असंबद्ध हो, पर निश्चित रूप से एक ही समय में एक ही पेशेवरों के साथ सामने आई स्थिति के आधार पर उन्होंने अपने तरीके से विनम्र सुझाव दिए हैं।

हालांकि, एक ही तरह के पेशेवरों (एनपी) के बारे में बात करने के बावजूद उनके बीच एक बड़ा अंतर है। इनमें से एक उनसे काम में बेहतर बर्ताव करने के लिए कह रहा है और दूसरा पत्र बात कर रहा है कि कैसे कनाडा का स्वास्थ्य कानून साफ तौर पर फिजिशियन सर्विस और हॉस्पिटल सर्विस की बात करता है, लेकिन फिजिशियन के समकक्ष सर्विस पर चुप्पी साध लेता है।

इसका मतलब ये नहीं है कि नर्सिंग पेशे में हर कोई, कोलकाता के कुछेक नर्सिंग कर्मियों की तरह है। यहां तक कि कोलकाता में भी कुछ ही होंगे, जो एनपी के इस नेक पेशे पर दाग लगा रहे हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से इस पेशे का बहुत सम्मान करता हूं क्योंकि केवल वही हैं जो रोगी के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं और मरीज को तेजी से ठीक करने के लिए वे सब कुछ करते हैं जो वे कर सकते हैं।

वे गंभीर रोगियों के लिए निस्वार्थ सेवा करते हैं। एकमात्र समस्या यह है कि वे नहीं जानते कि इस महान सेवा को एक अलग तरह से कैसे दिखाया जाए, ताकि उचित मान्यता प्राप्त हो सके। विकसित देशों में पैसों के लिए निजी रूप से संचालित कुछ एनपी क्लीनिक्स हैं। यह एक कारण हो सकता है कि राजनेता उन लोगों का पक्ष लेने की कोशिश कर रहे हैं जो अस्पतालों में मुख्य चिकित्सक और चिकित्सा व्यवसाय में अस्पताल के सहयोगी सेवाओं के रूप में काम करते हैं।

यह कोई भी पेशा हो सकता है, जो मुख्य पेशे से संबद्ध है। और अगर वे पेशेवरता के साथ अच्छा दृष्टिकोण, दयालु व्यवहार, संचार में नरमी और अनुशासन के साथ समर्पण जैसे कुछ गुण अपने आप में ले आएं तो यह भी एक अलग व्यवसाय में बदल सकता है।

फंडा यह है कि यदि हम सभी अपने संबंधित पेशों में विशेषज्ञता लाते हैं, तो हर पेशा किसी अन्य प्रमुख पेशे के सहयोगी होने के बजाय खुद में स्थापित सेवा बन सकता है। भविष्य में इसके अलग बिजनेस बनने की पूरी संभावना है, जैसे कि कुछ एनपी पश्चिमी देशों में कर रहे हैं।

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