[ad_1]
- Hindi News
- Opinion
- N. Raghuraman’s Column The World Is Looking At Our Rich History And Literature!
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
विदेशी हमारे समृद्ध इतिहास-साहित्य को समग्र रूप से स्वीकार रहे हैं। प्रयागराज की गलियों में घूमकर देखें, कैसे हर दूसरे व्यक्ति के हाथ में या तो रामचरितमानस या श्रीमद्भगवद्गीता की एक प्रति जरूर होगी, हालांकि ये अंग्रेजी में होगी। और अब देश के दूसरे छोर चेन्नई की बात करते हैं, जहां तमिल साहित्य जैसे थिरुक्कुरल जैसे प्राचीन क्लासिक के अरबी, फ्रेंच, मलय, स्वाहिली, मराठी, बंगाली सहित 50 से अधिक भाषाओं में अनुवाद के लिए एमओयू पर साइन हुए हैं।
चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सबसे ज्यादा एमओयू अरबी भाषा से अनुवाद के हुए हैं, जिसमें तमिल की 33 पुस्तकों का अनुवाद होना है। इसके बाद फ्रेंच, मलय (मलेशिया) और स्वाहिली है। स्वािहली 14 देशों में बोली जाती है, इसमें तंजानिया, केन्या, युगांडा, रवांडा, बुरुंडी, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, सोमालिया, मोजाम्बिक, मलावी, जाम्बिया, कोमोरोस और मध्य पूर्व में ओमान से यमन तक शामिल हैं।
‘सिलप्पअथिकारम’ और ‘मणिमेकलाई’ जैसे तमिल महाकाव्यों के भी अनुवाद की योजना है। दिलचस्प ये है कि पुस्तक मेला अधिकारियों ने अल्बानियाई व लातवियाई जैसी भाषाओं के लिए भी हस्ताक्षर किए हैं। कुंभ क्षेत्र के आसपास स्थानीय दुकानदारों ने इस बढ़ती मांग को देखते हुए किताबों का स्टॉक किया है।
तीर्थयात्रियों को विशेष रूप से किताबों के उन संस्करण में रुचि होती है, जो पवित्र ग्रंथों की सरल व्याख्या करते हैं। अंग्रेजी अनुवाद, जिसकी कीमत 350 रु. है, विशेष रूप से युवा पाठकों और विदेशी आगंतुकों के बीच लोकप्रिय है जो हिंदू धर्म के दार्शनिक सार को समझना चाहते हैं।
चूंकि मांग अधिक है, इसलिए कई विक्रेताओं ने पूरे मेले में खास ऐसी जगह पर अस्थायी स्टॉल लगाए हैं, जिससे ये ग्रंथ आगंतुकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सकें। प्रकाशकों ने भी देखा है कि पाठक अंग्रेजी अनुवादों और टिप्पणियों के साथ-साथ मूल संस्कृत छंदों वाले संस्करणों की तलाश कर रहे हैं।
दिलचस्प बात ये है कि हर 100 अंग्रेजी किताबों की बिक्री के साथ, उसी शीर्षक वाली 300 हिंदी किताबें बिकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ दार्शनिक संवाद आधुनिक पाठकों को शाश्वत मार्गदर्शन और स्पष्टता देता है।
आधुनिक पाठकों को लगता है कि जब वे करियर के चौराहे पर खड़े हैं, जहां प्रतिस्पर्धा लगातार नौकरी को खतरे में डाल रही है, तो ये संवाद उन्हें ऐसे लगते हैं, मानो कोई मेंटर अपने परेशान शिष्य से बात कर रहा है और उसे भ्रम से स्पष्टता की ओर जाने का मार्ग दिखा रहा है। इसके अलावा गीता कर्तव्य, धार्मिकता, आध्यात्मिक ज्ञान का सार्वभौमिक संदेश देती है, जो समकालीन जीवन की चुनौतियों से गहराई से मेल खाती है।
ये दोनों उदाहरण साफ संकेत हैं कि न केवल दुनिया, बल्कि हमारे देश में भी कई युवा हमारे अतीत को और जानना चाहते हैं। तमिल संस्कृति प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है और मानवविज्ञानियों ने पुरापाषाण युग में इस्तेमाल कुल्हाड़ियां यहां पाई है व उस युग के कई इतिहास संदर्भ भी हैं।
ये भूविज्ञान, संग्रहालय विज्ञान, चित्रकला, पुरातत्व और सभी मानवविज्ञान में रुचि रखने वालों के मन में जुनून पैदा करता है। देश की लगभग हर संस्कृति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त समृद्ध है और इसलिए इसे दुनिया के सामने प्रदर्शित करने से पहले हमारे लिए इसमें महारत हासिल करना महत्वपूर्ण है। हम ‘सोने की चिड़िया’ सिर्फ इसलिए नहीं थे कि हमारे पास धन था, बल्कि हमारे पास तमिल भाषा समेत कई भारतीय भाषा-संस्कृति का पुराना समृद्ध इतिहास व साहित्य भी था, जिसे दुनिया जानने के लिए उत्सुक है। कई लोग, जो भाषा से प्यार करते हैं और इतिहास के बारे में और जानना और दुनिया के सामने लाना चाहते हैं, वे शब्दों, भाषा की गुणवत्ता से प्रेम करते हैं। दुनिया हमारा समृद्ध इतिहास जानना चाहती है और ये हमारा काम है कि हम इसे उनकी भाषा में लाएं और हमारे जीवन को ज्ञान व धन से और समृद्ध बनाएं!
फंडा यह है कि इस दुनिया की नज़र हमारे समृद्ध अतीत पर है और यह हमारे लिए करिअर का भी एक अवसर है कि अपनी समृद्ध संस्कृति को उनके दरवाजे तक लेकर जाएं।
[ad_2]
एन. रघुरामन का कॉलम: दुनिया भर की नजर हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य पर है!